लेती नहीं दवाई मां
जोड़े पाई-पाई मां
दुःख थे पर्वत, राई मां
हारी नहीं लड़ाई मां
इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई मां
दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई मां
जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई मां
बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई मां
बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई मां
बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई मां
नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मम्मी, मैया, माई, मां
सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई मां
घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई मां
बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई मां
रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई मां
लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई मां
बेटी रहे ससुराल में खुश,
सब ज़ेवर दे आई मां
मां से घर, घर लगता हैं,
घर में घुली, समाई मां
बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाईमां
दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई मां
घर के शगुन सभी मां से,
हैं घर की शहनाई मां
सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई मां
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