रविवार, 8 दिसंबर 2019

#संघ_वाला_जमाई⛳

मेरे मात -पिता के मन में, सखी
जाने क्या थी बात समाई 
देखा उन्होंने मेरे लिए, जो
एक "संघ" वाला जमाई ।

क्या कहूँ बहन मुझे न जाने 
क्या -क्या सहन करना होता हैं!
'इनके' घर आने -जाने का 
कोई निश्चित समय न होता है।

कभी कहें दो लोगों का भोजन 
कभी दस का भी बनवाते है
जब चाहे ये घर पर बहना 
अधिकारियो को ले आते है।

लाठी, नीकर, दरी-चादर बांध 
बस ये तो फरमान सुनाते है 
शिविर में जाना हर माह इन्हें
बिस्तर बांध निकल जाते है।

प्रातः शाखा, शाम को बैठक
कार्यक्रम अनेको होते हैं...
दो बोल प्रेम से जो बोल सके मुझे 
वो बोल ही इनपर न होते है।

इनकी व्यस्त दिनचर्या से बहना 
कभी -कभी तंग बहुत आ जाती हूँ।
ये तो घर पर ज्यादा न रह पाते
मैं मायके भी न जा पाती हूँ ।

#पर...

ख़ुशी मुझे इस बात की है होती
और "गर्व" बहुत ही होता हैं।
मेरे "इनके" अंदर एक चरित्रवान इंसान
"स्वयंसेवक" के रूप में रहता है।

आज के कलुषित वातावरण में भी, जो
नियमो से जीवन जी रहा
"संघ" के कारण अनुशाषित जीवन 
और सार्थक राह पर चल रहा।

उनके कारण मैं भी तो बहन 
कुछ राष्ट्र कार्य कर पाती हूँ।
प्रत्यक्ष नहीं तो परोक्ष रूप से 
इस हवन में आहुति दे पाती हूँ।

इसीलिए नहीं कोई शिकायत 
मैं अपने मात-पिता से करती हूँ।
एक स्वयंसेवक के रूप में "संस्कारी" पाया
बस ह्रदय से धन्यवाद उनका करती हूँ।

🙏🏻भारत माता की जय⛳

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