दोस्तों आज मेरा जन्मदिन हैं...
आज सुबह जब मैं जागा तो मेरे फोन पर अनेको सन्देश थे जिनमें मेरे जन्मदिन पर मुझे शुभकामनायें दी गयी थी । मैं बड़ा खुश था, मुझे लगा मुझे चाहने वाले कितने अच्छे हैं हर सन्देश को पढने के बाद मेरा मन काफी प्रफुलित हुआ तथा मैंने मन ही मन ईश्वर का धन्यवाद किया ।
कुछ पल सोचता रहा कि ईश्वर ने कितने सुंदर ढंग से इस सृष्टि का निर्माण किया है और हमें यह मानव तन मिला है । बस ऐसे ही विचारों का सिलसिला आगे बढ़ता गया और मैंने आत्मविश्लेषण करना शुरू कर दिया ।
मेरे सामने काफी प्रश्न उपस्थित हुए मैने अपने आप को एक असमंजस कि स्तिथि में पाया , इधर मेरे फोन कि घंटी बार बार बज रही थी और उधर मेरा मन मुझसे बार बार प्रश्न कर रहा था । खेर यह सिलसिला काफी देर चलता रहा , मैं ऐसी स्थिति में भी सबकी शुभकामनाओं को सहर्ष स्वीकार करता रहा ।
थोड़ी देर के बाद शुभकामनाओं का सिलसिला कम हुआ ।
बस फिर क्या था । एक के बाद एक प्रश्न ?........? कुल मिलाकर मुझे अपनी जिन्दगी का हर लम्हा याद आया और फिर मैंने खुद से पूछा.. आखिर इस जिन्दगी का मकसद क्या है ? क्या तुम जो कुछ कर रहे हो यह इस जिन्दगी का मकसद हैं ? फिर कहीं याद आया " मानुष जन्म दुर्लभ है होत न बारम्बार " जो दुर्लभ है जो बड़ी मुश्किल से मिला है आखिर उसका लक्ष्य क्या हो सकता है । एक बार अपने वर्तमान परिदृश्य की तरफ झाँका , महसूस किया, क्या आज जो कुछ संसार में हो रहा है मैं भी उसका हिस्सा तो नहीं हूँ ?
आज के समय के सन्दर्भ में मुझे किसी शायर की पंक्तियाँ याद आ गयी :
आदमी की शक्ल से डर रहा है आदमी
अपनों को लुट कर , घर भर रहा है आदमी ।
मर रहा है आदमी और मार रहा है आदमी
समझ में नहीं आता, क्या कर रहा है आदमी ।
ऐसी हालत में मुझे कुछ नहीं सुझा , बस एक प्रार्थना के सिवा " ईश्वर मेरे सारे गुनाहों को माफ़ कर दे " ।
इंसान धरती पर आकर क्या किसी को दे जाता है और क्या ले जाता है ? हम अपनी जिन्दगी का अधिकांश समय बेकार की बातों में गुजार देते है । कितनी बड़ी है दुनियां हम इसका कभी एहसास ही नहीं कर पाते । जब तक हमें महसूस होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है । इसलिए यह निर्णय लिया की जितना हो सके हम मानवीय भावनाएं अपने हृदय में बसाकर मानवता कर कल्याण के लिए कार्य कर पायें । जितना हो सके हम इस धरती पर शांति का वातावरण कायम करने में सहायक बन पायें । अपने पराये का भेद समाप्त कर पूरी मानव जाति में इस ईश्वर के दर्शन कर सकें । तभी इस मानव जीवन की सार्थकता होगी ।
शनिवार, 10 जून 2017
मेरा जन्मदिन... मेरे विचार...
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