गुरुवार, 5 अक्टूबर 2017

नवदुर्गा - एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैं...

नवदुर्गा के नौ स्वरूप...

1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या शैलपुत्री स्वरूप हैं।

2. कौमार्य अवस्था तक ब्रह्मचारिणी का रूप हैं।

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा समान हैं।

4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कूष्मांडा स्वरूप हैं।

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता हो जाती हैं।

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी रूप हैं।

7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह कालरात्रि जैसी हैं।

8. संसार का उपकार करने से महागौरी हो जाती हैं। एक महिला के लिए उसका परिवार ही उसका संसार होता हैं।

9.धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री हो जाती हैं।

🙏🏻 नारायणी नमोस्तुते

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें