रविवार, 15 मार्च 2020

आइए वैज्ञानिक/हिंदू_मास/months को समझते हैं...

हिन्दू मास को समझना थोड़ा कठिन है- मूलत: चंद्र मास को देखकर ही तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। सबसे ज्यादा यही प्रचलित है। इसके अलाव नक्षत्र मास, सौर मास और अधिमास भी होते हैं।

चंद्रमास : चंद्रमा की कला की घट-बढ़ वाले दो पक्षों (कृष्‍ण और शुक्ल) का जो एक मास होता है, वही चंद्रमास कहलाता है। यह दो प्रकार का शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर अमावस्या को पूर्ण होने वाला 'अमांत' मास मुख्‍य चंद्रमास है। कृष्‍ण प्रतिपदा से 'पूर्णिमात' पूरा होने वाला गौण चंद्रमास है। यह तिथि की घट-बढ़ के अनुसार 29, 30 व 28 एवं 27 दिनों का भी होता है।

पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी आधार पर महीनों का नामकरण हुआ है। सौर-वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा हैं। चंद्र-वर्ष इसीलिए हर 3 वर्ष में इसमें 1 महीना जोड़ दिया जाता है।

सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बड़े हुए दिनों को 'मलमास' या 'अधिमास' कहते हैं।

चंद्रमास के नाम : चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन

महीनों के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र में रहता है...

1. चैत्र : चित्रा, स्वाति

2. वैशाख : विशाखा, अनुराधा

3. ज्येष्ठ : ज्येष्ठा, मूल

4. आषाढ़ : पूर्वाषाढ़, उत्तराषाढ़, सतभिषा

5. श्रावण : श्रवण, धनिष्ठा

6. भाद्रपद : पूर्वभाद्र, उत्तरभाद्र

7. आश्विन : अश्विन, रेवती, भरणी

8. कार्तिक : कृतिका, रोहणी

9. मार्गशीर्ष : मृगशिरा, उत्तरा

10. पौष : पुनर्वसु, पुष्य

11. माघ : मघा, अश्लेशा

12. फाल्गुन : पूर्वाफाल्गुन, उत्तराफाल्गुन, हस्त

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