रहता है कांटों में मगर सबको सुख का अनुभव करा जाता,
दुख दर्द सहकर भी कभी किसी को अपना दर्द न दिखा पाता,
कहते हैं गुलाब उसको जो हमेशा उपवन का राजा कहलाता...
भीनी-भीनी खुशबू से जहां सारा जहां सुगंधित हो जाता...🌹
वहीं कांटों में रहकर भी चेहरे पर सबके मुस्कान सजा जाता...
है कमल पुष्प राज़ जो भगवान विष्णु का प्रिय कहलाता...
होता है कमल जहां वह तड़ाग भी सुन्दर सरोवर बन जाता,
कीचड़ में खिलता है मगर परम पवित्र कहलाता हैं। 💮
है धन्य पुरुष वो जो हर संकट से हंसकर तर जाता हैं।
जीवन की कहानी इन दो पुष्पों पर आधारित हो जाती है।
कहीं कांटों में खिलती जवानी और कहीं कीचड़ की निशानी है।
क्या खेल है कुदरत का कहीं कांटों का उपहार मिलता हैं,
तो कहीं कीचड़ की सौगात का प्रसाद सजता है।
फिर भी फूल का काम है खिलना, वह हर हाल में खिलता है।
कमल और गुलाब का सार जैसे हर जीवन में सजता है।
जब भी दुख और घनघोर संकट से कभी घबरा जाओ तुम...
कर लेना याद कमल और गुलाब को संकट में फंस जाओ तुम...
संकटमोचक बनकर उबार ले जायेंगे कमल और गुलाब
तब याद रखना जीवन का समझ में आयेगा सही सार...
- चन्द्र शेखर मार्कंडेय
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें