बुधवार, 9 जून 2021

कुत्ता पालने वाले इन बातों को ध्यान में रखकर ही कुत्ता पालें..!

पशुओं में कुत्ता मनुष्य का सबसे अच्छा मित्र, वफ़ादार एवं स्वामिभक्त माना जाता है। यह चोरों से घर की रखवाली करता है। संदिग्ध लोगों एवं खतरनाक वस्तुओं, अचानक होने वाली घटनाओं से सचेत करता है। अतः सभी कुत्ते के प्रति सकारात्मक भाव ही रखते हैं।

आवारा कुत्ते को भोजन देने का फल शास्त्रों ने बहुत ही अधिक बताया है। पालतू कुत्तों के पालन से भी बारह वर्षों तक सब प्रकार की प्रगति एवं ऐश्वर्य देखने को मिलता है पर बारहवें वर्ष के पश्चात् घर में कलह- अशान्ति, अदालती-मुकदमा तथा बीसवें वर्ष में ‘सर्वस्व’ से भी हाथ धोना पड़ सकता है, इसलिए घर में कुत्ता पालने का काम न करें।

महाभारत में महाप्रस्थानिक पर्व के अन्तिम अध्याय - इन्द्र और धर्मराज युधिष्ठिर संवाद में इस विषय का उल्लेख है।

जब युधिष्टिर ने पूछा कि यह कुत्ता मेरे साथ यहाँ तक चलकर आया है तो मैं इस कुत्ते को अपने साथ स्वर्ग क्यों नहीं ले जा सकता?

तब इन्द्र ने कहा- “हे राजन! कुत्ता पालने वाले के लिए स्वर्ग में स्थान नहीं है, ऐसे व्यक्तियों का स्वर्ग में प्रवेश वर्जित है।”

कुत्ते को पालने वाले घर में किये गये यज्ञ और पुण्य कर्म के फल का क्रोधवश कालनेमि नामक राक्षस हरण कर लेते हैं।

यहाँ तक कि उस घर के व्यक्तियों द्वारा दान, पुण्य, स्वाध्याय, हवन और कुआँ-बावड़ी इत्यादि बनवाने से जो भी पुण्य फल प्राप्त होता है वह सब घर में कुत्ते की दृष्टि पड़ने मात्र से निष्फल हो जाता है। इसलिए कुत्ते का घर में पालना निषिद्ध और वर्जित है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी कुत्ता राहु ग्रह का प्रतीक है। अभिप्राय यह है कि कुत्ते को घर में रखना राहु को अपने पास रखने के समकक्ष है। राहु एक दुष्ट ग्रह है जो भक्तिभाव से दूर करता है।

इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि कुत्ते को संरक्षण देना चाहिए। अगर आप सामर्थ्यवान हैं तो रोज़ अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुत्तों को भोजन दे सकते हैं। घर में बनने वाली अन्तिम एक रोटी पर कुत्ते का अधिकार है। इस पशु को भूलकर भी प्रताड़ित नहीं करना चाहिए।

लेकिन इसकी सेवा दूर से ही करनी चाहिए, इससे अवधूत भगवान दत्तात्रेय और भैरव बाबा प्रसन्न होते हैं।

यदि कुत्ते पालते ही हैं तो कुत्तों के लिए घर के बाहर बाड़ा बनवायें, घर के अन्दर कदापि नहीं..!

शास्त्रों का मत है कि अतिथि घर में, गाय आँगन में और कुत्ता, कौआ, चींटी घर के बाहर ही फलदायी होते हैं।

कुत्ता पालने वाले को निम्न बातें ध्यान में रखना अनिवार्य हैं:
 
1. जिसके घर में कुत्ता होता है उसके यहाँ देवता हविष्य (भोजन) ग्रहण नहीं करते।

2. यदि कुत्ता घर में हो और किसी का देहान्त हो जाये तो देवताओं तक पहुँचने वाली वस्तुएँ देवता स्वीकार नहीं करते। अत: यह मुक्ति में बाधक हो सकता है।

3. कुत्ते के छू जाने पर द्विजों के यज्ञोपवीत खण्डित हो जाते हैं। अत: धर्मानुसार कुत्ता पालने वालों के यहाँ ब्राह्मणों को भोजन नहीं करना चाहिए।

4. कुत्ते के सूँघने मात्र से प्रायश्चित्त का विधान है, कुत्ता यदि हमें सूँघ ले तो हम अपवित्र हो जाते हैं।

5. कुत्ता किसी भी वर्ण के यहाँ पालने का विधान नहीं है। कुत्ता केवल प्रतिलोमाज वर्णसंकरों (अत्यन्त नीच जाति जो कुत्ते का मांस तक खाती है) के यहाँ ही पालने योग्य है।

6. और तो और, अन्य वर्ण यदि कुत्ता पालते हैं तो वे भी उसी नीचता को प्राप्त हो जाते हैं।

7. कुत्ते की दृष्टि जिस भोजन पर पड़ जाती है वह भोजन खाने योग्य नहीं रह जाता। यही कारण है कि जहाँ कुत्ता पला हो वहाँ जाना ही नहीं चाहिए।

विगत दो-तीन दशकों में बूढ़े माता-पिता, दिल व घर से निकलकर वृद्धाश्रम में पहुँच गये और गौएँ शहर से बाहर निकलकर बाहरी गौशालाओं में शिफ्ट कर दी गयी हैं। यहाँ तक कि घर के शिशु (बच्चे) नौकरों के भरोसे हो गये, जबकि कुत्ते घर के बाहर से भीतर सोफे और बिस्तर से होते हुए गोद तक में पहुँच गये। आधुनिक महिलाएँ तो उन्हें अपनी कारों में गोद में लिए रहती हैं। 

इस सांस्कृतिक व सामाजिक पतन के फलस्वरूप लोगों को मानसिक अशान्ति एवं अनेकों प्रकार की नयी-नयी बीमारियों ने घेर लिया है।

इसलिए कुत्ते को घर में पालना निषिद्ध और वर्जित है।

मेरा यह लेख शास्त्रमत से चलनेवाले धर्मावलंबियों के लिए है आधुनिक विचारधारा के लोग इससे सहमत या असहमत होने के लिए बाध्य नहीं है।

अतः वे अनावश्यक कॉमेंट्स करके अपनी ऊर्जा व्यर्थ न करें।

आचार्य जितेन्द्र शास्त्री ⛳
📲 8871790411 🙏🏻

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