शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के समय तक इस राष्ट्र की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कर हिन्दू राष्ट्र की बहुआयामी उन्नति करने के जो प्रयास चले थे, वे बार-बार विफल हो रहे थे। इनके संरक्षण के लिए अनेकों राज्यों के शासकों का संघर्ष जारी था।
साथ ही संत समाज द्वारा भी समाज में एकता लाने के प्रयास किए जा रहे थे। जन समूहों को एकत्रित एवं संगठित करने और उनकी श्रद्धा को बनाये रखने के लिए अनेक प्रकार के प्रयोग चल रहे थे। कुछ तात्कालिक तौर पर सफल भी हुए और कुछ पूर्ण विफल हुए... किन्तु जो सफलता समाज को चाहिये थी, वह कहीं नहीं दिख रही थी..!
इन सारे प्रयोगों एवं प्रयासों की अंतिम परिणति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक है। यह विजय केवल शिवाजी महाराज की विजय नहीं थी..! अपितु हिंदू राष्ट्र के लिये संघर्ष करने वालों की, शत्रुओं पर विजय थी।
शिवाजी के प्रयत्नों से तात्कालिक हिंदू समाज के मन में विश्वास के भाव का निर्माण हुआ। समाज को आभास हुआ कि पुनः इस राष्ट्र को सांस्कृतिक रूप से सम्पन्न बनाते हुए, सर्वांगीण उन्नति के पथ पर अग्रसर कर सकते हैं।
कवि भूषण जो कि औरंगजेब के दरबार में कविता का पाठ करते थे। शिवाजी की कृति पताका को देखते हुए औरंगजेब के दरबार को छोड़कर, शिवाजी के दरबार में गायन को उपस्थित हुए।
शिवाजी महाराज औरंगजेब के दरबार से छूट कर निकल आए और पुनः संघर्ष के पश्चात अपना सिंहासन प्राप्त किया, जिसका परिणाम यह हुआ कि देश भर में अनेकों राजा आपसी कलह भूल कर एकजुट होने लगे। राजस्थान के सभी राजपूत शासकों ने अपने आपसी कलह छोड़ कर दुर्गादास राठौर के नेतृत्व में अपना दल निर्मित किया।
शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के पश्चात कुछ ही वर्षों में ऐसी परिस्थिति उत्पन्न की कि सारे विदेशी आक्रांताओं को राजस्थान छोड़ना पड़ा। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में इस दिन को शिवाजी साम्राज्य दिवस नहीं, बल्कि हिंदू साम्राज्य दिवस कहा जाता है। डॉक्टर साहब कहा करते थे कि हमारा आदर्श तो तत्व है, भगवा ध्वज है लेकिन कई बार सामान्य व्यक्ति को निर्गुण निराकार समझ में नहीं आता..!
उस को सगुण साकार स्वरूप चाहिये और व्यक्ति के रूप में सगुण आदर्श के नाते छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन का प्रत्येक अंश हमारे लिये दिग्दर्शक है। उस चरित्र की, उस नीति की, उस कुशलता की, उस उद्देश्य के पवित्रता की आज आवश्यकता है। इसीलिए संघ ने इस ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के दिन को हिंदू साम्राज्य दिवस के रूप में आयोजित करने का निश्चय किया था।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में स्वयंसेवक शिवाजी महाराज के कृतत्व, उनके गुण, उनके चरित्र के द्वारा मिलने वाले दिग्दर्शन को आत्मसात कर, समाज जीवन के लिये अनुकरणीय बनें, यही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का ध्येय है।
✊🏻 जय भवानी ⛳ जय शिवाजी 🙏🏻 भारत माता की जय 🇮🇳
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