गुरुवार, 14 सितंबर 2017

आओ हम हिन्दी अपनाएँ, गैरों को परिचय करवाएँ...

हिन्दी मेरा आन हैं, हिन्दी मेरी पहचान हैं...
हिन्दू हूँ मैं... वतन भी मेरा प्यारा हिन्दुस्तान हैं...

हिन्दी की बिन्दी को मस्तक पे सजा के रखना हैं...
सर आँखो पे बिठाएँगे, यह भारत माँ का गहना हैं...

बढ़े चलो हिन्दी की डगर हो, अकेले फिर भी मगर...
मार्ग की काँटे भी देखना, फूल बन जाएँगे पथ पर...

हिन्दी को आगे बढ़ाना हैं, उन्नति की राह ले जाना हैं...
केवल इक दिन ही नहीं हमने नित हिन्दी दिवस मनाना हैं.

हिन्दी से हिन्दुस्तान हैं, तभी तो यह देश महान हैं...
निज भाषा की उन्नति के लिए अपना सब कुछ कुर्बान हैं.

निज भाषा का नहीं गर्व जिसे क्या प्रेम देश से होगा उसे...
वही वीर देश का प्यारा हैं, हिन्दी ही जिसका नारा हैं...

राष्ट्र की पहचान है जो, भाषाओं में महान है जो...
जो सरल सहज समझी जाए, उस हिन्दी को सम्मान दो...

अग्रेजी का प्रसार भले, हम अपनी भाषा भूल चले...
तिरस्कार माँ भाषा का जिसकी ही गोदि में हैं पले...

भाषा नहीं होती बुरी कोई, क्यों हमने मर्यादा खोई...
क्यों जागृति के नाम पर हमने स्व-भाषा ही डुबोई...

अच्छा बहु भाषा का ज्ञान, इससे ही बनते हैं महान...
सीखो जी भर भाषा अनेक पर राष्ट्र भाषा न भूलो एक...

इक दिन ऐसा भी आएगा, हिन्दी परचम लहराएगा...
इस राष्ट्र भाषा का हर ज्ञाता भारतवासी कहलाएगा...

निज भाषा का ज्ञान ही उन्नति का आधार हैं...
बिन निज भाषा ज्ञान के नहीं होता सद-व्यवहार हैं...

आओ हम हिन्दी अपनाएँ, गैरों को परिचय करवाएँ...
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा हैं, यह बात सभी को समझाएँ...

नहीं छोड़ो अपना मूल कभी, होगी अपनी भी उन्नति तभी
सच्च में ज्ञानी कहलाओगें, अपनाओगे निज भाषा जभी...

हिन्दी ही हिन्द का नारा हैं, प्रवाहित हिन्दी धारा हैं...
लाखों बाधाएँ हो फिर भी, नहीं रुकना काम हमारा हैं...

हम हिन्दी ही अपनाएँगे, इसको ऊँचा ले जाएँगे...
हिन्दी भारत की भाषा हैं, हम दुनिया को दिखाएँगे।

जय हिंद जय हिंदी
                            

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