सोमवार, 4 सितंबर 2017

शिक्षक दिवस पर जनहित में जारी...

गुरु के आगे राजा शीश नवाते थे।

राज-समस्या को गुरु ही सुलझाते थे।

अब राजा के सम्मुख क्या कदर है दोस्तों...

“सर” को नैतिक शिक्षा पर बल देना होगा...

“मैडम”को ममता का आँचल देना होगा...

आँख खुले तो समझो नई सहर है दोस्तों...

गुरु की खोई महिमा को लौटाना होगा...

हर शाला को गुरुकुल पुन: बनाना होगा...

शिक्षक का गुरुकुल ही तो घर है दोस्तों...

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