बहुत से बुद्धिजीवियों को आपने यह कहता सुना होगा कि कपड़े कोई मायने नहीं रखते हैं... खासकर तब जब चर्चा का विषय महिलाओं से छेड़छाड़/बलात्कार का हो... लेकिन यह सरासर झूठ है... कपड़े ही व्यक्ति की विचारधारा एवं व्यक्तित्व को दर्शाते हैं... शायद कई लोगों को मेरी बात कड़वी एवं गलत लगे लेकिन यह सत्य है कि छेड़छाड़ एवं बलात्कार में कपड़े एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं...
अब इस विषय को थोड़ा घुमाते हैं... छेड़छाड़ केवल लड़कियों से ही नहीं की जाती... हर बार केवल लड़के ही किसी लड़की को फोन करके तंग नहीं करते... हर बार फेसबुक पर केवल लड़के ही लड़कियों को फ्रेंड रिक्वेस्ट नहीं भेजते... हर बार प्रपोज लड़के ही नहीं करते... ये सब हरकते लड़कियों द्वारा भी की जाती हैं... और यह सब करने का जोखिम हम तभी उठाते हैं, जब हमें सामने कुछ संभावना नजर आएं...
अब मैं मेरे निजी जीवन के माध्यम से आपको समझाता हूं... मैंने अपने जीवन में कभी किसी को प्रपोज नहीं किया... मुझे बहुत बार बिना किसी जान पहचान के लड़कियों के फोन मित्रता बढ़ाने हेतु आएं... कई बार लड़कियों द्वारा प्रेम प्रस्ताव मिला... कई लड़कियों ने मुझसे डबल मीनिंग में बात की... बहुत सी लड़कियों के Facebook पर फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, उसके बाद मैसेंजर पर बातें हुई... इस तरह की काफी घटनाएं है और यह सब तब की हैं, जब मैं कहीं ना कहीं इन सब के लिए तैयार था... जब से मैंने सादा जीवन जीना शुरु किया, कुर्ते-पजामे पहनने शुरू किये, Facebook को भी आध्यात्मिक एवं देश भक्ति भावनाओं को साझा करने के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया तब से इन सभी घटनाओं पर पूर्ण विराम लग गया...
मेरे पहनावे को देख कर किसी लड़की के मन में इस तरह की भावना नहीं आती, कारण उसे लगता है कि यह इस तरह का लड़का नहीं हैं...
मैं इस पोस्ट से केवल यही समझाना चाहता हूं... मेरे कहने का केवल इतना-सा भाव है कि अगर मेरे 'लड़का' होने के बावजूद भी... मेर पहनावे के कारण लड़कियों के व्यवहार में परिवर्तन आता है तो लड़कियों के पहनावे से लड़कों के व्यवहार/मानसिकता में परिवर्तन आना स्वभाविक हैं...
इसलिए पहनावा सुंदर डालिए लेकिन सभ्य डालिए... आपके कपड़े ऐसे हो जिसे डालने के बाद आप सुंदर लगे, ना कि असभ्य/उत्तेजित... कपड़ों का आविष्कार बदन को ढकने के लिए किया गया था, दिखाने के लिए नहीं... बच्चों के माता-पिता से अनुरोध बच्चों के द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों का आंकलन कीजिए... उनकी T-Shirt पर लिखी जाने वाली wording पर ध्यान दीजिए...
यकीन मानिए सभ्य कपड़ो में एक सुंदर लड़की को देखकर कोई भी लड़का उससे शादी करने की तो सोच सकता है लेकिन उसके मन में कोई गलत विचार नहीं आएगा और इसके विपरीत असभ्य कपड़ों में लड़की को देख कर कोई भी लड़का कुछ गलत करने की तो सोच सकता है लेकिन कभी भी उससे शादी करने की नहीं सोचेगा...
मेरे द्वारा लिखी गई इस पोस्ट में की गई गलतियों के लिए क्षमा🙏 आप सब से अनुरोध कृपया इस लेख के शब्दों को नहीं भावनाओं को पढ़ें...
✍🏻 कमल सिंघल🙏🏻
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