बुधवार, 18 जुलाई 2018

निर्मित को नहीं निर्माता को प्रभावित कीजिए...

जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है। अरे "बॉडी" लेकर आइये, "बॉडी" को उठाइये, "बॉडी" को सूलाइये ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते , जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी। इसीलिए "निर्मिती" को नहीं "निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो। जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे। अपनी पसंद की चीजो के लिये खर्चा किजिये। इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये। आप कितना भी बूरा नाचते हो , फिर भी नाचिये। उस खूशी को महसूस किजिये। फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये। बिलकुल छोटे बच्चे बन जाइयें क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है। लॉस तो वो है के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है। हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है। "जिंदगी है छोटी, हर पल में खुश हूं,
काम में खुश हूं, आराम में खुश हू,
आज पनीर नहीं, दाल में ही खुश हूं,
आज गाड़ी नहीं, पैदल ही खुश हूं,
दोस्तों का साथ नहीं, अकेला ही खुश हूं,
आज कोई नाराज है, उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
जिस को देख नहीं सकता, उसकी आवाज से ही खुश हूं,
जिसको पा नहीं सकता, उसको सोच कर ही खुश हूं,
बीता हुआ कल जा चुका है, उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
आने वाले कल का पता नहीं, इंतजार में ही खुश हूं,
हंसता हुआ बीत रहा है पल, आज में ही खुश हूं,
जिंदगी है छोटी, हर पल में खुश हूं,
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना, वरना बिना जवाब के भी खुश हूं..!😊 कमल सिंघल 🙏

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