मंगलवार, 23 मार्च 2021

शिवलिंग एक Radioactive Cource Container

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे...
भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। 
▪️ शिवलिंग एक Radioactive Cource Container है। जाग्रत शिवलिंग Live source का Container है, बाकी सब प्रतीक हैं। चूंकि Source गर्म हो जाता है, इसलिये इस पर लगातार जल की बूंदे डाली जाती हैं।
▪️शिवालय में शिवलिंग नीचे तल पर होता है, ताकि इसका पानी बाहर न छलके क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। 
▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। 
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
▪️ पहले के जमाने में शिवालय हमेशा बस्ती से बाहर वीराने में पाये जाते थे, जैसे कि परमाणु बिजलीघर आज भी बस्ती से बाहर वीराने में बनाये जाते हैं।
▪️ भगवान शिव को परमाणु शक्ति का अधिपति माना जा सकता है। 
 शिवजी के साथ उन के प्रतीक चिन्ह भी होते हैं, उनके पीछे का विज्ञान समझिए...
त्रिशूल - अल्फा, बीटा तथा गामा किरणों का प्रतीक
सांप - Cooling Coils
डमरू - Emergency Siren
नंदी - Emergency Vehicle
भूतगण - Radiation Workers जो रेडिएशन के असर से वैसे दिखते हैं।
शिवजी का क्रोध ( तांडव ) - Nuclear Disaster
पाशुपतास्त्र - Nuclear Weapon
▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। 
महाकाल उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों के बीच का सम्बन्ध (दूरी) देखिये -
▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी 
▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी 
▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी 
▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी 
▪️ उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी 
▪️ उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी 
▪️ उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी 
▪️ उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी 
▪️ उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी 
हिन्दू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता था। 
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं। 
इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये हैं करीब 2050 वर्ष पहले...
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिए उज्जैन ही आते हैं।
🙏🏻 सत्य सनातन धर्म की जय ⛳

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