गुरुवार, 10 अगस्त 2017

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने जाते जाते देश पर असहिष्णुता आरोप लगाकर मुस्लिमो को असुरक्षित बताया है उनको चेतावनी स्वरूप नई रचना ----

फिर से जेहादी झूले में झूल गए हो हामिद क्या
संवैधानिक पद की गरिमा भूल गए हो हामिद क्या
संविधान का धर्म राष्ट है सिर्फ एक इस्लाम नहीं
राज्यसभा की सभापति तुम दिल्ली के ईमाम नहीं
पहले से ही झुके शीश को शर्म सिखाने निकले हो
वन्देमातरम के दुश्मन अब धर्म सिखाने निकले हो
देशद्रोह या देशप्रेम का एक रास्ता चुन लेना
आग्नेय की घोर गर्जना कान खोलकर सुन लेना
खूब मोम हमने पिघलाया चर्चो के उजियारो पर
हमने चादर खूब चढ़ाई सैय्यद के दरबारों पर
हिन्दू वो है जिसने बाँधा सकल विश्व को बाहों में
मुस्लिम से ज्यादा हिन्दू हैं हाजी की दरगाहो में
जो घर की पहली रोटी गौ माँ को भोग लगाता हो
जो भोजन करने से पहले पंचयज्ञ करवाता हो
जिसने बंदर को भी अपने चने खिलाकर पाला हो
जिसने छोटी सी चींटी तक को भी आटा डाला हो
जिसने पानी नहीं पिया चिड़िया के खाने से पहले
डूब मरो उस हिन्दू पर आरोप लगाने से पहले
भारत तेरे दंशों को अब और नहीं सह सकता है
आक्रोशित हो आग्नेय बस इतना ही कह सकता है
नालों ने गाली दी है माँ गंगा सी पावित्री को
और वैश्या पढ़ा रही है पाठ सती सावित्री को
भारत को मुगलिस्तान बनाने की तैयारी बंद करो
उपराष्ट्रपति हो एक कौम की ठेकेदारी बंद करो
हामिद तेरा सूरज जाने वाला है अस्ताचल में
मुसलमान खुश रहता है तो भारतमाँ के आँचल में
जुटे हुए हो इस्लामी शासन की धाक बनाने में
कूद पड़े हो भारत को जलता ईराक बनाने में
यूँ तो तुमसे देशप्रेम का धरम नहीं हो सकता है
जैसे कुत्तों को देशी घी हजम नहीं हो सकता है
अलगाववाद के बर्तन की अब दाल नहीं गलने देंगे
अब पृथ्वी गौरी को सत्रह चाल नहीं चलने देंगें
तुमको शीश झुकाना होगा भारत की परिपाटी पर
इस्लाम सुरक्षित है तो केवल श्री राम की माटी पर

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