शनिवार, 7 अगस्त 2021

गुरु

अंधकार रूपी मायाजाल से प्रकाश रूपी परमार्थ पर व्यक्ति को लगाने वाले शक्ति का नाम ही गुरु है। गुरु का हर व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ी ही महत्व है। चाहे वो लोग सांसारिक हो चाहे सन्यासी गुरु सबको बनाना चाहिए। गुरु का महत्व इसी बात से लगाया जा सकता है कि जितने भी अवतार हुए भगवान के उन्होंने भी गुरु धारण किया है। गुरु के बिना जीवन उसी प्रकार है, जैसे पानी बिना घड़ा। भगवान शिव ने माता पार्वती से गुरु के महत्व को विस्तार से समझाया है। हर सत्कर्म में भागीदार होने से पहले दीक्षित होना जरुरी हैं। चाहे आप ईश्वर को ही क्यों न गुरु मान रहे हों।


गुरु को इसलिए मिली है ईश्वर की उपाधि

पं. शैलेंद्र शास्त्री ने बताया कि गुरु की रचना क्यों प्रभु ने की इसके पीछे भी बड़ा कारण है। सभी इंसान के कर्म इतने अच्छे नही है जो प्रभु प्रत्यक्ष सबके साथ रहे और उनका मार्गदर्शन करें। यही देखकर प्रभु से गुरु के रूप में अपने आप को प्रकट किया इसलिए गुरु और प्रभु में कोई भेद नही किया जाता। भगवान गुरु रूप में पृथ्वी पर विराजमान हैं। जो गुरु का सच्चा सेवक होता है फिर उसे किसी बात का डर नही होता। 

गुरु बनाते समय इन बातों का रखें ध्यान

जब भी किसी को गुरु बनाते है तो वो अपने अपने पंथ सम्प्रदाय अनुसार मन्त्र दीक्षा देता हैं। वो मंत्र कोई साधरण मंत्र नही होता उस मंत्र में पूरी गुरु परम्परा के सभी सिद्ध महात्मो की शक्ति समाई रहती है। ये मन्त्र किसी को भी बताया नही जाता। इसको बड़े गुप्त तरीके से गुरु अपने शिष्य के कान में फूंकता है ताकि अपने चारों और विद्यमान अदृश्य शक्तियां भी उसे सुन ना पाए। ये मंत्र हमें गुरु से अदृश्य रूप से जोड़े रखता है। गुरु मंत्र का जाप कभी भी बोलकर नही करना चाहिए।

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