इस का एक मात्र कारण ये था कि गुरु गोबिंद सिंह जी जो भी करते थे, उसके पीछे कोई सन्देश जरुर होता था।
इसके पीछे भी था -
पहला गुण - बाज़ को कभी गुलाम नहीं रख सकते या तो वो पिंजरा तोड़ देगा या मर जायगा लेकिन गुलाम नहीं रहेगा।
दूसरा गुण - बाज़ कभी किसी का किया हुआ शिकार नहीं खाता।
तीसरा गुण - बाज़ बहुत ऊपर उड़ता है लेकिन इतना ऊपर उड़ने के बाद भी उसकी नज़र हमेशा ज़मीन पर ही होती हैं।
चौथा गुण - बाज़ सारी जिंदगी कभी अपने पास आलस नहीं आने देता।
पांचवां गुण - बाज़ कभी अपना घर या घोंसला नहीं बनाता, 18वीं सदी में सिक्ख भी ऐसा ही करते थे।
छठवां गुण - बाज़ दूसरे पंछियो के समान हवा के साथ नहीं बल्कि हवा के विपरीत दिशा में उड़ता हैं।
श्री गुरु गोबिंद साहब की सोच को शत्-शत नमन 🙏🏻⛳
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