अग्रसेन-अग्रोहा-अग्रवाल
महाराजा अग्रसेन – अग्रवाल समाज के संस्थापक व समाजवाद के प्रवर्तक। प्रताप नगर के सूर्यवंशी महाराजा वल्लभ के पुत्र।
महारानी माधवी – महाराजा अग्रसेन की महारानी व नागलोक के राजा कुमुद की पुत्री ।
अग्रसेन जयंती – प्रत्येक वर्ष आसोद सुदी एकम (पहला नवरात्रा) को मनाई जाती है।
महाराजा अग्रसेन के सिद्धांत – सर्वेभवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामया
महाराजा अग्रसेन का आदर्श - जीओ और जीने दो...
महाराजा अग्रसेन ने 18 यज्ञ किए व यज्ञ में पशु बलि को बंद किया। महाराजा अग्रसेन ने बड़े पुत्र विभु को राजगद्दी सौंपी।
महाराजा अग्रसेन जलपोत का अनावरण 14 मार्च 1995 को हुआ ।
महाराजा अग्रसेन सुपर नेशनल हाइवे – दिल्ली से कन्याकुमारी तक
महाराजा अग्रसेन जी पर डाक टिकट 24 सितंबर 1976 को भारत सरकार ने जारी किया।
अग्रोहा – अग्रवालों की पितृभूमि, हिसार(हरियाणा) जिले में है, अग्रोहा को पांचवा धाम माना गया है।
अग्रोहा की रीति – एक ईंट और एक मुद्रा( रूपया )
लाला हरभजन शाह (महम निवासी) – अग्रोहा को दोबारा बसाया। इनको श्रीचंद नामक व्यापारी के पत्र से यह प्रेरणा मिली।
अग्रवालों की कुलदेवी - महालक्ष्मी
अग्रोहा में प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा को महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
अग्रोहा के दर्शनीय स्थल – शक्ति सरोवर, मंदिर जैसे – महाराजा अग्रसेन, कुलदेवी महालक्ष्मी, माता सरस्वती, शक्ति माता शीला, माता वैष्णोदेवी, हनूमान जी की 90 फीट ऊंची प्रतिमा, अप्पू घर, महाराजा अग्रसेन मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, पुराने किले के अवशेष आदि...
स्व . श्री तिलक राज अग्रवाल – शीला माता के भव्य मंदिर का निर्माण करवाया।
अग्रोहा में मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का उद्घाटन 7 अगस्त 1994 को हुआ।
अग्रोहा धाम – राष्ट्रीय राजमार्ग नं. 10 के हिसार जिले में है।
लाला हरभजन शाह – इन्होंने परलोक के भुगतान पर कर्ज दिया ।
अग्रवाल - महाराजा अग्रसेन जी के वंशज अग्रवाल कहलाते हैं। यह राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और इसकी परम्पराएं महान हैं। इसने कभी भी जाति की संकीर्ण भावनाओं को प्रोत्साहन नहीं दिया। अग्रवाल समाज की राष्ट्रीय व सामाजिक सेवाओं का प्रसार मानव मात्र से लेकर पशु-पक्षियों, चर-अचर तथा सृष्टि के समस्तप प्राणियों तक में दिखाई देता है। इस जाति का संबंध वैश्य समुदाय से है। इस जाति में गौत्र की शानदार परंपरा रही है, इसकी कारण आज भी इस जाति की गणना विश्व की श्रेष्ठ जातियों में होती है। इस समाज की सबसे बड़ी विशेषता उसकी व्यवसाय एवं उद्योग क्षमता है।
दूसरी – अद्भुत पुरूषार्थ, साहस, हिम्मत व धैर्य...
तीसरी – सरलता, सादगी एवं मितव्ययता है।
अग्रवाल समाज में लोकोपकार एवं दानशीलता की भावना मां की जन्म घूटी के साथ ही मिलने लगती है। ये हमेशा अपनी साख पर ध्यान रखते हैं। अग्रवालों की यह भी विशेषता रही है कि वह जहां भी जाता है, वहीं का हो जाता है। राष्ट्रीय उत्थान में अग्रवालों का योगदान इतिहास का एक स्वर्णिम पृष्ठ है। इतिहास साक्षी है कि जब तक वैश्य अग्रवालों के हाथ में कृषि, गौरक्षा और वाणिज्य् का कार्य रहा... भारत सोने की चिड़िया कहलाया... स्वतंत्रता आंदोलन में हजारों अग्रवालों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यह समाज वीरता एवं त्याग के क्षेत्र में भी अग्रणी रहा है।
🙏🏻 जय श्री अग्रसेन जी महाराज ⛳
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