शुक्रवार, 21 जुलाई 2017

क्या है सूतक और पातक...

सूतक क्या है? 

हिन्दू धर्म में सूतक और पातक दोनों का ही बहुत बड़ा महत्व है। सूतक – पसूतक लग गया, अब मंदिर नहीं जाना, ऐसा कहा-सुना तो बहुत बार... किन्तु अब इसका अर्थ भी समझ लेना जरूरी है। 

सूतक का संबंध ‘जन्म के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है।
 

जन्म के अवसर पर जो नाल काटा जाता है और जन्म होने की प्रक्रिया में अन्य प्रकार की जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘सूतक’ माना जाता है।

जन्म के बाद नवजात की पीढ़ियों को हुई अशुचिता: 3 पीढ़ी तक – 10 दिन तक...  

ध्यान दें...

एक रसोई में भोजन करने वालों की पीढ़ी नहीं गिनी जाती... वहां पूरा 10 दिन का सूतक माना है। 

प्रसूति (नवजात की माँ) की 45 दिन का सूतक रहता है। प्रसूति स्थान 1 माह तक अशुद्ध है। इसीलिए कई लोग जब भी अस्पताल से घर आते हैं तो स्नान करते हैं।

जब भी परिवार में किसी का जन्म होता है तो परिवार पर दस दिन के लिए सूतक लग जाता है। इस दौरान परिवार का कोई भी सदस्य ना तो किसी धार्मिक कार्य में भाग ले सकता है और ना ही मंदिर जा सकता है। उन्हें इन दस दिनों के लिए पूजा-पाठ से दूर रहना होता है। इसके अलावा बच्चे को जन्म देने वाली स्त्री का रसोईघर में जाना या घर का कोई काम करना तब तक वर्जित होता है, जब तक कि घर में हवन ना हो जाएं।

जब बच्चे का जन्म होता है तो उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास भी नहीं हुआ होता। वह बहुत ही जल्द संक्रमण के दायरे में आ सकता है, इसलिए 10-30 दिनों की समयावधि में उसे बाहरी लोगों से दूर रखा जाता था, उसे घर से बाहर नहीं लेकर जाया जाता था। बाद में जरूर सूतक को एक अंधविश्वास मान लिया गया लेकिन इसका मौलिक उद्देश्य स्त्री के शरीर को आराम देना और शिशु के स्वास्थ्य का ख्याल रखने से ही था।


पातक क्या है? 

पातक का अर्थ भी समझ लेना जरूरी है।

 पातक का संबंध ‘मरण के’ निमित्त से हुई अशुद्धि से है।

 मरण के अवसर पर दाह – संस्कार में इत्यादि में जो हिंसा होती है, उसमें लगने वाले दोष पाप के प्रायश्चित स्वरूप ‘पातक’ माना जाता है।

 मरण के बाद हुई अशुचिता: 3 पीढ़ी तक – 12 दिन।

किसी लंबी और घातक बीमारी या फिर एक्सिडेंट की वजह से या फिर वृद्धावस्था के कारण व्यक्ति की मृत्यु होती है। कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन इन सभी की वजह से संक्रमण फैलने की संभावनाएं बहुत हद तक बढ़ जाती हैं। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि दाह-संस्कार के पश्चात स्नान आवश्यक है ताकि श्मशान घाट और घर के भीतर मौजूद कीटाणुओं से मुक्ति मिल सके।

पालतू पशुओं का सूतक पातक :-
घर के पालतू गाय, भैंस, घोड़ी, बकरी इत्यादि को घर में बच्चा होने पर हमे 1 दिन का सूतक रहता है किन्तु घर से दूर-बाहर जन्म होने पर कोई सूतक नहीं रहता ।
– बच्चा देने वाली गाय, भैंस और बकरी का दूध, क्रमशः 15 दिन, 10 दिन और 8 दिन तक “अभक्ष्य/अशुद्ध” रहता है ।


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