नुक्कड़ गली मकान हमारे अब्बा का,
है पूरा मैदान हमारे अब्बा का,
जिस पर तुम गुलकंद,सुपाड़ी रखते हो,
है वो पत्ता-पान हमारे अब्बा का,
बूचड़खाने चाकू छुरी तुम्हारी हैं,
खेत और खलिहान हमारे अब्बा का,
दुनिया से अनुलोम विलोम कराते हैं,
है योगा का ज्ञान हमारे अब्बा का,
चीख चीख के माइक पर मर जाओगे,
कायम है तूफ़ान हमारे अब्बा का,
रिंच,हथौड़ी,पाना,टिकरी,पम्प,हवा,
पंचर का सामान हमारे अब्बा का,
अम्मी,खाला,फुफ्फी,आपा,आजी क्या,
तेरा अब्बा जान,हमारे अब्बा का,
धर्म बदलने से पुरखे कब बदले हैं,
हर शहरुख सलमान हमारे अब्बा का,
मस्जिद,ईद,नमाज़,मदरसे या रोज़े,
सब पर है अहसान हमारे अब्बा का,
"गौरव" कहे कटेगी नाक तुम्हारी भी,
जो पकड़ोगे कान हमारे अब्बा का
भारत के गद्दारों!फिर से कहता हूँ,
हाँ,है हिंदुस्तान,हमारे अब्बा का,
--------कवि गौरव चौहान(ओवैसी के सम्मान में बिना कांट छांट के खूब शेयर करें)
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