शनिवार, 17 फ़रवरी 2024

बेलपत्र कब और कैसे लगाएं...

बेल, बिल्व या बेलपत्र भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है। बेल भारत के प्राचीन फलों में से एक है। बेल वृक्ष को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। इस वृक्ष का इतिहास वैदिक काल में भी मिलता है। बेल को ‘श्रीफल’ के नाम से भी जाना जाता है। इस वृक्ष की पत्तियों का उपयोग पारम्परिक रूप से भगवान शिव को चढ़ाने के लिए किया जाता है। बेल का फल 5 से 17 सेंटीमीटर व्यास का होता हैं। इनका हल्के हरे रंग का खोल कड़ा व चिकना होता है। पकने पर हरे से सुनहरे पीले रंग का हो जाता है जिसे तोड़ने पर मीठा रेशेदार सुगंधित गूदा निकलता है। इस गूदे में छोटे, बड़े कई बीज होते हैं। बेल विभिन्न प्रकार की बंजर भूमि (ऊसर, बीहड़, खादर, शुष्क एवं अर्धशुष्क) में उगाया जा सकने वाला एक पोषण (विटामिन-ए, बी.सी., खनिज तत्व, कार्बोहाइड्रेट) एवं औषधीय गुणों से भरपूर फल है। इससे अनेक परिरक्षित पदार्थ (शरबत, मुरब्बा) बनाया जा सकता है। इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं।

★पौधे की उत्त्पत्ति◆●
स्कंद पुराण के अनुसार मंदार पर्वत पर माता पार्वती के पसीने की बूंदे गिरने से बेल के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी। यह पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में माना जाता है कि बेलपत्र से ही पूरे ब्रह्मांड का निर्माण हुआ है। मान्यता है कि बेल वृक्ष में भगवान शिव, माता पार्वती, लक्ष्मी जी समेत कई देवी-देवताओं का वास होता है।

★बेलपत्र के पौधे की पूजा◆●
स्कंद पुराण के अनुसार, रविवार और द्वादशी के दिन बेलपत्र के पेड़ का पूजन करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिनों में पूजा करने से घर की दरिद्रता समाप्त हो जाती है। इसके साथ ही ब्रह्महत्या जैसे महापाप भी नष्ट हो जाते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

पौधा लगाने के पहले ध्यान रखने वाली बातें◆●
बेल का पौधा उगाने से पहले इन बातों का ध्यान रखें। 
आपको गमला थोड़ा बड़ा लेना होगा क्योंकि इसका पौधा बहुत तेजी से बढ़ता है। बीज से अगर आप इसे उगा रहे हैं, तो पौधा बड़ा होने में काफी समय लेगा। पौधे की अच्छी बढ़वार के लिए मिट्टी की क्वालिटी बेहतर होना जरूरी है। बेल का पौधा जमीन पर लगाने के लिए सही समय जुलाई-अगस्त माह का है, पर गमले में आप इसे वर्षा ऋतु के अलावा वसंत ऋतु में भी लगा सकते हैं।

अगर बीज से उगा रहे हैं तो◆●
बेल फल के अंदर मिलने वाले बीजों को धोकर सुखा लीजिए। इसके बाद बीज को लगभग 12 घंटों के लिए पानी में डुबाया जाता हैं इसके बाद इन्हे सीधे खेत में या नर्सरी में बोया जाता है। बीजों को 2-3 इंच मिट्टी के नीचे गाड़ दीजिए। इसे पानी की जरूरत होगी, लेकिन कभी ओवर वॉटर ना करें। 10-12 दिनों में आप देखेंगी कि बीज से पौधा निकलना शुरू हो गया है। हालांकि, बीज से लगे पौधे को पूरा बढ़ने में 3-4 साल का समय लग सकता हैं।

अगर नर्सरी से पौधा लाते है तो◆◆
बेल पत्र का पौधा घर पर जल्दी उगाना है, तो इसे नर्सरी से खरीद कर लाये, इसे आप सरकारी नर्सरी से भी ला सकते है। हां, इसे खरीदते वक़्त आपको ये ध्यान रखना है कि लाए हुए पौधे में किसी तरह की कोई बीमारी ना हो। अगर पौधे की पत्तियां मुड़ी हुई या सफेद दिख रही हैं, तो उसे ना खरीदें। तने पर छेद नहीं होना चाहिये।

पौधा किस तरह की मिट्टी में लगाएं◆●
अगर आपको इसका पौधा उगाना है, तो आपको अच्छे से ड्रेन होने वाली मिट्टी का इस्तेमाल करना है। सूखी मिट्टी, रेत, गोबर खाद समान मात्रा में लेकर 20% इट पत्थर के टुकड़े भी मिलाये है। सरसो खली नीम खली अरंडी खली फंगीसाइड को मिलाकर मिट्टी तैयार करें। बेलपत्र के पौधे को बहुत ज्यादा फर्टिलाइजर की जरूरत नहीं होती है, इस लिए एक बार सही से खाद देने पर पूरे मौसम ग्रोथ होती रहती है। बेलपत्र एक कांटों वाला पौधा होता है और सूखा ग्रस्त इलाकों में भी उग सकता है इसलिए मिट्टी उसी हिसाब से बनानी चाहिए। बेल का वृक्ष कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है इसे दलदलीय, क्षारीय, पथरीली मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है। बेल के लिए दोमट मिट्टी सर्वश्रेष्ठ है। इसके लिए मिट्टी का पी.एच. मान 5-8 होना चाहिए।

नमी और सिचाई◆●
बेलपत्र के पौधे को बार-बार पानी देने से बचे, हमेशा मिट्टी जांच कर ही पानी दे। एक बार पानी देकर 2 से 3 दिन बाद ही दुबारा पानी देने पर विचार करें। तेज गर्मियो में रोजाना पनीं दे सकते हैं।

मिट्टी की सफाई है और गुड़ाई◆●
जब बेल का पौधा छोटा होता है तब इसकी मिट्टी में खरपतवार जादा उग जाते हैं। उस समय मिट्टी की गुड़ाई करके इसकी जड़ों पर हवा लगने दे, खर पतवार को बढ़ने न दे। ये पौधे की वृद्धि में बाधा उत्पन्न करते हैं।

पौधे को घना करने के लिए◆●
बेल का पौधा जब छोटा होता है तब 1 से 2 महीने में एक बार इसे फर्टिलाइजर दिया जा सकता है। गोबर की खाद और वर्मी कम्पोस्ट ऐसे कम पानी में पनपने वाले पौधों के लिए बेस्ट होती है। मिट्टी का PH लेवल बढ़ाने के लिए आप 1 कप छाछ को एक लीटर पानी में मिलाकर भी इस पौधे में डाल सकती हैं। ध्यान रखें छाछ शुद्ध होनी चाहिए इसमें किसी भी तरह का कोई मसाला ना मिला हो। पौधे की घनी पत्तियों के लिए इसकी छंटाई बहुत जरूरी है। आपको 2 महीने में एक बार इसकी छंटाई करनी चाहिए जिससे पौधा लंबा होने पर नहीं घना होने पर ध्यान देगा।

उजाला और सूर्य प्रकाश◆●
बेल के पौधे को भरपूर सूरज की धूप चाहिए इसलिए इसे ऐसी लोकेशन पर ही रखना चाहिए जहां धूप अच्छी हो। हां, जब पौधा बहुत छोटा होता है तब दोपहर की कड़ी धूप से गर्मियों में बचाया जा सकता है। एक बार पौधा 2-3 फिट का हो गया, तो इसे कहीं भी धूप में रख दें फर्क नहीं पड़ेगा।

बीमारी से बचाव◆●
इसमें कीड़े और बीमारियां लग सकती हैं। इसके लिए बाजार से दवा खरीदकर लाने की जगह नीम ऑयल को पानी में डाइल्यूट कर इसकी पत्तियों पर महीने में एक बार छिड़काव करना ही काफी होगा। तने के रोग से बचाने के लिए तने की समय समय पर जांच करते रहे।

पौधे के औषधीय गुण◆●
बेल पत्र के पौधे को शुभ माना जाता है वह तो अलग बात है, इस पौधे में बहुत सारे औषधीय गुण भी हैं। बेल पत्र और फल दोनों ही एंटी माइक्रोबियल गुण रखते हैं। इनमें एंटीवायरल और रेडियो प्रोटेक्टिव गुण भी हैं। गर्मियों में ये शरीर को ठंडा रख सकते हैं। कुछ हद तक डायरिया की दिक्कत में भी यह मददगार साबित हो सकते हैं। बेल के फल में टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और कुमेरिन जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं जो प्राकृतिक रूप से सूजन कम करने में मदद करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार बेल के पत्तों का तेल त्वचा को संक्रमित करने वाले फंगस को रोकता है। साथ ही रैशेज और खुजली जैसी समस्या के भी फायदेमंद है। बेल एक कार्डियो-प्रोटेक्टिव फल है, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट की भरपूर मात्रा पाई गई है, जो हार्ट डिजीज के जोखिम को भी कम कर सकता है।

बेल फल का उपयोग◆●
बेल एक लाभकारी फल है अत: इसके अधिकाधिक उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए। कच्चे फलों को मुरब्बा एवं कैंडी, या भुनकर खाने से पेचिश, भूख न लगना एवं अन्य पेट के विकारों से छुटकारा पाया जा सकता है। और इसका उपयोग शरबत, जेम, टाफी, बेल चूर्ण बनाने में भी किया जाता है। जो कि पाचन को दुरुस्त करता है।