शुक्रवार, 27 अक्तूबर 2017

षष्ठी देवी की उपासना का दिन छठ पर्व

देवी षष्ठी सूर्य की बहन है ये सूर्य की पहली किरण कहलाती है । ये ब्रह्मा की मानसी कन्या है, स्वामी कार्तिकेय की अधिकारिणी पत्नी है ।इनहे मातृकाओ मे देवसेना के नाम से जाना जाता है । यह संतान देने वाली और पुत्रो की अधिषठात्रि देवी है । बालको को दीर्घ आयु प्रदान करना और उनके रक्षण का काम करती है । यह गर्भाशय की अधिषठात्रि देवी है इनकी उपासना से गर्भाशय के समस्त रोग समाप्त हो जाते है। देवी षष्ठी शासन करने वाले पुत्रो को उतपन्न करती है।अगर आप चाहते है की आपका पुत्र शासन करने वाला हो, कोई उच्च पद पर आसीन हो, विधायक, सांसद प्रतिनिधि, मंत्री, प्रधानमंत्री आदि शासन करने वाले उच्च पद पर आसीन हो तो इसके लिए आपको देवी षष्ठी की उपासना करनी चाहिए । बालको के समस्त रोगों को ये समाप्त कर देती है । बिल्ली इनकी सवारी है और एक बालक को गोद मे ले रखा है और दूसरे बालक की उगली पकड रखी है।कार्तिक छठ तिथि को इनका पूजन करें और हर माह की शुक्ल पक्ष की छठ तिथि को इनका पूजन व व्रत करना चाहिए ।
ये छठ माता यानि जिन्हें षष्ठी देवी के नाम से जाना जाता है का अत्यंत महत्वपूर्ण दुर्लभ चित्र है ।
जय छठ माता जय षष्ठी माता ।

बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

किसकी शरीर मृत्यु के बाद जमीन में गाड़ दी जाती है

रामायण में पड़ा होगा
जब श्री राम को वनवास हो जाता है तो श्री राम ,लक्ष्मण और सीता जी वन से गुजरते हुए जाते है | रास्ते में उन्हे विराट नाम का राक्षस मिलता है ,राम जी उसे मार देते है ,जब विराट की अंतिम सांसे चल रही होती है तब राम जी उससे पूछते है > मै तुम्हारा अंतिम संस्कार कैसे करू मुझें नही पता
हम इंसानो को तो जला के उनका अंतिम संस्कार करते है पर राक्षसों का अंतिम संस्कार कैसे करे ये हमें नही पता अब तुम बताओ कि तुम्हारा अंतिम संस्कार कैसे करू,
तब राक्षस विराट कहता है--- हे राम ,हम राक्षसो के अंतिम संस्कार की यह परंपरा हमारे पूर्वजो ( राक्षसो) ने ही बनाई है, हम राक्षसो को मरने के बाद भूमि मे गाड़ दिया जाता है ,संपूर्ण राक्षस जाति इसी प्रकार संस्कार करती है ,मैं राक्षस हू अतः तुम मुझे भी भूमि मे ही गाड़ दें
इस तरह यह स्पष्ट है की राक्षसों को गाडने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है और आज भी गाड़ा जाता है, वो भी राक्षस ही है।

सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

तुलसी कौन थी?

तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा``` -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर``` आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।
सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।
भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?
उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।
सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगे और प्रार्थना करने लगे यब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।
उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग```
```स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में```
```किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !```

शुक्रवार, 20 अक्तूबर 2017

सेकूलर कौन है..?

सेकूलर वो लोग होता है जिसका नाम तो हिंदूओं जैसा होता है लेकिन वह अपने हिंदू होने पर बेहद शर्मिंदा होता है।
- सेकूलर वो आदमी होता है जो आवारा कुत्तों को पकड कर शहर से बाहर करने पर म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को इंसानियत का विरोधी करार देता है लेकिन घर में गाय काट कर खाने का ख्बाव देखता है।
- सेकूलर वो होता है जो दिवाली पर छाती कूट-कूट कर फेसबुक और व्हाट़सएप पर मार्मिक अपील करता है कि दिवाली पर प्रदूषण न फैलाएं, पटाखे न जलाएं। लेकिन ईद पर एक बार भी नहीं बोलता की बिना जानवरों का कत्ल किए ईद मनाई जाए।
- सेकूलर वो आदमी है जो आतंकवादी को सजा मिलने पर उसके लिए उसके मजबह को जोड देता है जबकि देश के लिए जान गंवाने वाले के लिए बोलता है कि सैनिक तो पैदा ही मरने के लिए होते हैं।
- सेकूलर वो होता है जो गाय को काटकर खाने वाले परिवार को इनाम में 45 लाख देता है, जबकि गौ-तस्करों को पकड रहे सब इंस्पेक्टर की गोली मारकर हत्या कर दिए जाने पर 5 लाख भी नहीं देता है।
- सेकूलर वो होता है जिसे वंदे मातरम कहना सांप्रदायिक लगता है अरे क्या क्या बताऊं कि सेकूलर क्या होता है.. बस इतना समझ लो कि कोई इंसान की शक्ल में भेडिया जैसा होता है सेकूलर होता है।

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बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

रूप चतुर्दशी कथा

                                        प्राचीन समय पहले हिरण्यगर्भ नामक राज्य में एक योगी रहा करते थे। एक बार योगीराज ने प्रभु को पाने की इच्छा से समाधि धारण करने का प्रयास किया। अपनी इस तपस्या के दौरान उन्हें अनेक कष्टों का सामना करना पडा़। उनकी देह पर कीड़े पड़ गए, बालों, रोओं और भौंहों पर जुएँ पैदा हो गई।      अपनी इतनी विभत्स दशा के कारण वह बहुत दुखी होते हैं। तभी विचरण करते हुए नारद जी उन योगी राज जी के पास आते हैं और उन योगीराज से उनके दुख का कारण पूछते हैं। योगीराज उनसे कहते हैं कि, हे मुनिवर मैं प्रभु को पाने के लिए उनकी भक्ति में लीन रहा परंतु मुझे इस कारण अनेक कष्ट हुए हैं ऎसा क्यों हुआ? योगी के करूणा भरे वचन सुनकर नारदजी उनसे कहते हैं, हे योगीराज तुमने मार्ग तो उचित अपनाया किंतु देह आचार का पालन नहीं जान पाए इस कारण तुम्हारी यह दशा हुई है।

नारद जी के कथन को सुन, योगीराज उनसे देह आचार के विषय में पूछते हैं इस पर नारदजी उन्हें कहते हैं कि सर्वप्रथम आप कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा अराधना करें क्योंकि ऎसा करने से आपका शरीर पुन: पहले जैसा स्वस्थ और रूपवान हो जाएगा। तब आप मेरे द्वारा बताए गए देह आचार को कर सकेंगे। नारद जी के वचन सुन योगीराज ने वैसा ही किया और उस व्रत के फलस्वरूप उनका शरीर पहले जैसा स्वस्थ एवं सुंदर हो गया। अत: तभी से इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी के नाम से जाना जाने लगा।                                                                                 पूजन विधि |
इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर शरीर पर तेल या उबटन लगाकर मालिश करने के बाद स्नान करना चाहिए। ऐसा माना जाता हैं कि जो व्यक्ति नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य के उदय होने के बाद नहाता हैं। उसके द्वारा पूरे वर्ष भर में किये गये शुभ कार्यों के फल की प्राप्ति नहीं होती।

सूर्य उदय से पहले स्नान करने के बाद दक्षिण मुख करके हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें। ऐसा करने से व्यक्ति के द्वारा किये गये वर्ष भर के पापों का नाश होता हैं। इस दिन विशेष पूजा की जाती है जो इस प्रकार होती है, सर्वप्रथम एक थाल को सजाकर उसमें एक चौमुख दिया जलाते हैं तथा सोलह छोटे दीप और जलाएं तत्पश्चात रोली खीर, गुड़, अबीर, गुलाल, तथा फूल इत्यादि से ईष्ट देव की पूजा करें। इसके बाद अपने कार्य स्थान की पूजा करें. पूजा के बाद सभी दीयों को घर के अलग अलग स्थानों पर रख दें तथा गणेश एवं लक्ष्मी के आगे धूप दीप जलाएं। इसके पश्चात संध्या समय दीपदान करते हैं जो यम देवता, यमराज के लिए किया जाता है। विधि-विधान से पूजा करने पर व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो प्रभु को पाता है।

गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

नवदुर्गा - एक स्त्री के पूरे जीवनचक्र का बिम्ब हैं...

नवदुर्गा के नौ स्वरूप...

1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या शैलपुत्री स्वरूप हैं।

2. कौमार्य अवस्था तक ब्रह्मचारिणी का रूप हैं।

3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह चंद्रघंटा समान हैं।

4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह कूष्मांडा स्वरूप हैं।

5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री स्कन्दमाता हो जाती हैं।

6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री कात्यायनी रूप हैं।

7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह कालरात्रि जैसी हैं।

8. संसार का उपकार करने से महागौरी हो जाती हैं। एक महिला के लिए उसका परिवार ही उसका संसार होता हैं।

9.धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार मे अपनी संतान को सिद्धि का आशीर्वाद देने वाली सिद्धिदात्री हो जाती हैं।

🙏🏻 नारायणी नमोस्तुते

बुधवार, 4 अक्तूबर 2017

विराट तथा बारीक़ से बारीक़ काल गणना

****** महान भारत ******

1 त्रुटि= सैकन्ड का 300वाँ भाग
2 त्रुटि= 1 लव
1 लव = 1 क्षण
30 क्षण = 1 विपल
60 विपल = 1 पल
60 पल = 1 घड़ी (24 मिनट )
2.5 घड़ी = 1 होरा (घन्टा)
24 होरा = 1 दिवस (दिन या वार)
7 दिवस = 1 सप्ताह
4 सप्ताह = 1 माह
2 माह = 1 ऋतु
6 ऋतु = 1 वर्ष
100 वर्ष = 1 शताब्दी
10 शताब्दी = 1 सहस्राब्दी
432 सहस्राब्दी = 1 युग
2 युग = 1 द्वापर युग
3 युग = 1 त्रेता युग
4 युग = सतयुग
1 महायुग = सतयुग + त्रेतायुग + द्वापरयुग + कलियुग
76 महायुग = मनवन्तर
1000 महायुग = 1 कल्प
1 नित्य प्रलय = 1 महायुग (धरती पर जीवन अन्त और फिर आरम्भ)
1 नैमितिका प्रलय = 1 कल्प (देवों का अन्त और जन्म)
1 महाकाल = 730 कल्प (ब्रह्मा का अन्त और जन्म)

विश्व का सबसे बड़ा और वैज्ञानिक समय गणना तन्त्र यही है | जो हमारे देश भारत में बना | ये हमारा भारत है जिस पर हमको गर्व है |