बुधवार, 29 नवंबर 2017

राजीव दीक्षित जी का परिचय

दोस्तों राजीव दीक्षित जी के परिचय मे जितनी बातें कही जाए वो कम है ! कुछ चंद शब्दो मे उनके परिचय को बयान कर पाना असंभव है ! ये बात वो लोग बहुत अच्छे से समझ सकते है जिन्होने राजीव दीक्षित जी को गहराई से सुना और समझा है !! फिर भी हमने कुछ प्रयास कर उनके परिचय को कुछ शब्दो का रूप देने का प्रयत्न किया है ! परिचय शुरू करने से पहले हम आपको ये बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि जितना परिचय राजीव भाई का हम आपको बताने का प्रयत्न करेंगे वो उनके जीवन मे किये गये कार्यो का मात्र 1% से भी कम ही होगा ! उनको पूर्ण रूप से जानना है तो आपको उनके व्याख्यानों को सुनना पडेगा !!

राजीव दीक्षित जी का जन्म 30 नवम्बर 1967 को उत्तर प्रदेश राज्य के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में पिता राधेश्याम दीक्षित एवं माता मिथिलेश कुमारी के यहाँ हुआ था। उन्होने प्रारम्भिक और माध्यमिक शिक्षा फिरोजाबाद जिले के एक स्कूल से प्राप्त की !! इसके उपरान्त उन्होने इलाहाबाद शहर के जे.के इंस्टीटयूट से बी. टेक. और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute of Technology से एम. टेक. की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद राजीव भाई ने कुछ समय भारत CSIR (Council of Scientific and Industrial Research) मे कार्य किया। तत्पश्चात उन्होंने किसी Research Project मे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के साथ भी कार्य किया !!

श्री राजीव जी इलाहाबाद के जे.के इंस्टीटयूट से बी.टेक. की शिक्षा लेते समय ही ‘‘आजादी बचाओ आंदोलन’’ से जुड गए जिसके संस्थापक श्री बनवारी लाल शर्मा जी थे जो कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ही गणित विभाग के मुख्य शिक्षक थे ! इसी संस्था में राजीव भाई प्रवक्ता के पद पर थे, संस्था में श्री अभय प्रताप, संत समीर, केशर जी, राम धीरज जी, मनोज त्यागी जी तथा योगेश कुमार मिश्रा जी शोधकर्ता अपने अपने विषयों पर शोध कार्य किया करते थे जो कि संस्था द्वारा प्रकाशित ‘‘नई आजादी उद्घोष’’ नमक मासिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ करते थे और राजीव भाई के ओजस्वी वाणी से देश के कोने-कोने में व्याख्यानों की एक विशाल श्रंखला-बद्ध वैचारिक क्रान्ति आने लगी राजीव जी ने अपने प्रवक्ता पद के दायित्वों को एक सच्चे राष्ट्रभक्त के रूप में निभाया जो कि अतुल्य है ……

बचपन से ही राजीव भाई में देश की समस्याओ को जानने की गहरी रुची थी ! प्रति मास 800 रूपये का खर्च उनका मैगजीनों, सभी प्रकार के अखबारो को पढने मे हुआ करता था! वे अभी नौवी कक्षा मे ही थे कि उन्होने अपने इतिहास के अध्यापक से एक ऐसा सवाल पूछा जिसका जवाब उस अध्यापक के पास भी नहीं था जैसा कि आप जानते है कि हमको इतिहास की किताबों मे पढाया जाता है कि अंग्रेजो का भारत के राजा से प्रथम युद्ध 1757 मे पलासी के मैदान मे रोबर्ट क्लाइव और बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला से हुआ था ! उस युद्ध मे रोबर्ट क्लाइव ने सिराजुद्दोला को हराया था और उसके बाद भारत गुलाम हो गया था !!

राजीव भाई ने अपने इतिहास के अध्यापक से पूछा कि सर मुझे ये बताइए कि प्लासी के युद्ध में अंग्रेजो की तरफ से लड़ने वाले कितने सिपाही थें? तो अध्यापक कहते थे कि मुझको नहीं मालूम, तो राजीव भाई ने पूछा क्यों नहीं मालूम? तो कहते थे कि मुझे किसी ने नहीं पढाया तो मै तुमको कहाँ से पढा दू।

तो राजीव भाई ने उनको बराबर एक ही सवाल पूछा कि सर आप जरा ये बताईये कि बिना सिपाही के कोई युद्ध हो सकता है ?? तो अध्यापक ने कहा नहीं ! तो फिर राजीव भाई ने पूछा फिर हमको ये क्यों नहीं पढाया जाता है कि युद्ध में कितने सिपाही थे अंग्रेजो के पास ? और उसके दूसरी तरफ एक और सवाल राजीव भाई ने पूछा था कि अच्छा ये बताईये कि अंग्रेजो के पास कितने सिपाही थे ये तो हमको नहीं मालुम सिराजुद्दोला जो लड रहा था हिंदुस्तान की तरफ से उनके पास कितने सिपाही थे? तो अध्यापक ने कहा कि वो भी नहीं मालूम। तो खैर इस सवाल का जवाब बहुत बडा और गंभीर है कि आखिर इतना बडा भारत मुठी भर अंग्रेजो का गुलाम कैसे हो गया ?? यहाँ लिखेंगे तो बात बहुत बडी हो जाएगी ! इसका जवाब आपको राजीव भाई के एक व्याख्यान जिसका नाम आजादी का असली इतिहास मे मिल जाएगा।

तो देश की आजादी से जुडे ऐसे सैंकडों-सैंकडों सवाल दिन रात राजीव भाई के दिमाग मे घूमते रहते थे !! इसी बीच उनकी मुलाकात प्रो. धर्मपाल नाम के एक इतिहासकार से हुई जिनकी किताबें अमेरिका मे पढाई जाती है लेकिन भारत मे नहीं !! धर्मपाल जी को राजीव भाई अपना गुरु भी मानते है, उन्होने राजीव भाई के काफी सवालों का जवाब ढूंढने मे बहुत मदद की! उन्होने राजीव भाई को भारत के बारे मे वो दस्तावेज उपलब्ध करवाए जो इंग्लैंड की लाइब्रेरी हाउस आफ कामन्स मे रखे हुए थे जिनमे अंग्रेजो ने पूरा वर्णन किया था कि कैसे उन्होने भारत गुलाम बनाया ! राजीव भाई ने उन सब दस्तावेजो का बहुत अध्यन किया और ये जानकर उनके रोंगटे खडे हो गए कि भारत के लोगो को भारत के बारे मे कितना गलत इतिहास पढाया जा रहा है !! फिर सच्चाई को लोगो के सामने लाने के लिए राजीव भाई गाँव–गाँव, शहर–शहर जाकर व्याख्यान देने लगे ! और साथ-साथ देश की आजादी और देश के अन्य गंभीर समस्याओ का इतिहास और उसका समाधान तलाशने मे लगे रहते !!

इलाहबाद मे पढते हुए उनके एक खास मित्र हुआ करते थे जिनका नाम है योगेश मिश्रा जी उनके पिता जी इलाहबाद हाईकोर्ट मे वकील थे !! तो राजीव भाई और उनके मित्र अक्सर उनसे देश की आजादी से जुडी रहस्यमयी बातों पर वार्तालाप किया करते थे ! तब राजीव भाई को देश की आजादी के विषय मे बहुत ही गंभीर जानकारी प्राप्त हुई ! कि 15 अगस्त 1947 को देश मे कोई आजादी नहीं आई ! बल्कि 14 अगस्त 1947 की रात को अंग्रेज माउंट बेटन और नेहरू के बीच के समझोता हुआ था जिसे सत्ता का हस्तांतरण ( transfer of power agreement) कहते हैं ! इस समझोते के अनुसार अंग्रेज अपनी कुर्सी नेहरू को देकर जाएंगे लेकिन उनके द्वारा भारत को बर्बाद करने के लिए बनाए गये 34735 कानून वैसे ही इस देश मे चलेंगे !! और क्योकि आजादी की लडाई मे पूरे देश का विरोध अँग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ था तो सिर्फ एक ईस्ट इंडिया कंपनी भारत छोड कर जाएगी और उसके साथ जो 126 कंपनिया और भारत को लुटने आए थी वो वैसे की वैसे ही भारत मे व्यापार करेगी ! लूटती रहेगी ! आज उन विदेशी कंपनियो की संख्या बढ कर 6000 को पार कर गई है !! (इस बारे मे और अधिक जानकरी उनके व्याख्यानों मे मिलेगी)

एक बात जो राजीव भाई को हमेशा परेशान करती रहती थी कि आजादी के बाद भी अगर भारत मे अँग्रेजी कानून वैसे के वैसे ही चलेंगे और आजादी के बाद भी विदेशी कंपनियाँ भारत को वैसे ही लूटेंगी जैसे आजादी से पहले ईस्ट इंडिया कंपनी लूटा करती थी ! आजादी के बाद भी भारत मे वैसे ही गौ हत्या होगी जैसे अंग्रेजो के समय होती थी, तो हमारे देश की आजादी का अर्थ क्या है ??

तो ये सब जानने के बाद राजीव भाई ने इन विदेशी कंपनियो और भारत में चल रहे अँग्रेजी कानूनों के खिलाफ एक बार फिर से वैसा ही स्वदेशी आंदोलन शुरू करने का संकल्प लिया जैसा किसी समय मे बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजो के खिलाफ लिया था !! अपने राष्ट्र मे पूर्ण स्वतंत्रता लाने और आर्थिक महाशक्ति के रुप में खडा करने के लिए उन्होंने आजीवन ब्रह्मचारी रहने की प्रतिज्ञा की और उसे जीवन पर्यन्त निभाया। वो गाँव-गाँव, शहर-शहर घूम कर लोगो को लोगो को भारत मे चल रहे अँग्रेजी कानून, आधी अधूरी आजादी का सच, विदेशी कंपनियो की भारत मे लूट आदि विषयो के बारे मे बताने लगे ! सन् 1999 में राजीव के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने समूचे देश में धूम मचा दी थी।!

1984 मे जब भारत मे भोपाल गैस कांड हुआ तब राजीव भाई ने इसके पीछे के षडयंत्र का पता लगाया और ये खुलासा किया कि ये कोई घटना नहीं थी बल्कि अमेरिका द्वारा किया गया एक परीक्षण था (जिसकी अधिक जानकारी आपको उनके व्याख्यानों मे मिलेगी) तब राजीव भाई यूनियन कार्बाइड कंपनी के खिलाफ प्रदर्शन किया!

इसी प्रकार 1995-96 में टिहरी बाँध के बनने के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में भाग लिया और पुलिस लाठी चार्ज में काफी चोटें भी खायीं। !! और इसी प्रकार 1999 मे उन्होने राजस्थान के कुछ गांवसियों साथ मिलकर एक शराब बनाने वाली कंपनी जिसको सरकार ने लाइसेन्स दिया था और वो कंपनी रोज जमीन की नीचे बहुत अधिक मात्रा मे पानी निकाल कर शराब बनाने वाली थी उस कंपनी को भगाया !!

1991 भारत मे चले ग्लोबलाएशन, लिब्रलाइजेसशन को राजीव भाई स्वदेशी उद्योगो का सर्वनाश करने वाला बताया और पूरे आंकडों के साथ घंटो-घंटो इस पर व्याख्यान दिये और स्वदेशी व्यापारियो को इसके खिलाफ जागरूक किया !! फिर 1994 मे भारत सरकार द्वारा किए WTO समझोते का विरोध किया क्योकि ये समझोता भारत को एक बहुत बडी आर्थिक गुलामी की और धकेलने वाला था ! इस समझोते मे सैंकडों ऐसे शर्ते सरकार ने स्वीकार कर ली थी जो आज भारत मे किसानो की आत्महत्या करने का, रुपए का डालर की तुलना मे नीचे जाने का, देश बढ रही भूख और बेरोजगारी का, खत्म होते स्वदेशी उद्योगो का, बैंकिंग, इन्सुरेंस, वकालत सभी सर्विस सेक्टर मे बढ रही विदेशी कंपनियो का कारण है ! राजीव भाई के अनुसार इस समझोते के बाद सरकार देश को नहीं चलाएगी बल्कि इस समझोते के अनुसार देश चलेगा !! देश की सारी आर्थिक नीतियाँ इस समझौते को ध्यान मे रख कर बनाई जाएगी ! और भारत मे आज तक बनी किसी भी सरकार में हिम्मत नहीं जो इस WTO समझौते को रद्द करवा सके !!

उन्होने ने बताया कि कैसे WORLD BANK, IMF, UNO जैसे संस्थाये अमेरिका आदि देशो की पिठ्ठू है और विकासशील देशो की सम्पत्ति लूटने के लिए इनको पैदा किया गया है ! (WTO समझोते के बारे मे अधिक जानकारी राजीव भाई के व्याख्यानों मे मिलेगी) इन राष्ट्र विरोधी ताकतों के खिलाफ अपनी लडाई को और मजबूत करने लिए राजीव भाई अपने कुछ साथियो के साथ मिलकर पूरे देश मे विदेशी कम्पनियों, अँग्रेजी कानून, WTO, आदि के खिलाफ अभियान चलाने लगे !! ऐसे ही आर्थर डंकल नाम एक अधिकारी जिसने डंकल ड्राफ्ट बनाया था भारत मे लागू करवाने के लिए वो एक बार भारत आया तो राजीव भाई और बाकी कार्यकर्ता बहुत गुस्से मे थे तब राजीव भाई ने उसे एयरपोर्ट पर ही जूते से मार मार कर भगाया और फिर उनको जेल हुई !!

1999-2000 सन् मे उन्होने दो अमेरिकन कम्पनियाँ पेप्सी और कोकाकोला के खिलाफ प्रदर्शन किया और लोगो को बताया कि ये दोनों कम्पनियाँ पेय पदार्थ के नाम पर आप सबको जहर बेच रही है और हजारो करोड की लूट इस देश मे कर रही हैं ! और आपका स्वास्थ बिगाड रही हैं ! राजीव भाई ने लोगो से कोक ,पेप्सी और इसका विज्ञापन करने वाले क्रिकेट खिलाडियो और, फिल्मी स्टारों का बहिष्कार करने को कहा !! सन 2000 मे 9-11 की घटना घटी तो कुछ अखबार वाले राजीव भाई के पास भी उनके विचार जानने को पहुँचे ! तब राजीव भाई ने कहा की मुझे नहीं लगता कि ये दोनों टावर आतंकवादियो ने गिराये है ! तब उन्होने पूछा आपको क्या लगता है ? राजीव भाई ने कहा मुझे लगता है ये काम अमेरिका ने खुद ही करवाया है ! तो उन्होने कहा आपके पास क्या सबूत है ? राजीव भाई ने कहा समय दो जल्दी सबूत भी ला दूंगा !!

और 2007 मे राजीव भाई ने गुजरात के एक व्याख्यान मे इस 9-11 की घटना का पूरा सच लाइव प्रोजक्टर के माध्यम से लोगो के सामने रखा ! (जिसका विडियो youtube पर 9-11 was totally lie के नाम से उपलब्ध है) और 9 सितंबर 2013 को रूस ने भी एक विडियो जारी कर 9-11 की घटना को झूठा बताया! 2003-2004 मे राजीव भाई ने भारत सरकार द्वारा बनाये गये VAT कानून का विरोध किया और पूरे देश के व्यपरियो के समूह मे जाकर घंटो-घंटो व्याख्यान दिये और उन्होने जागरूक किया कि ये VAT का कानून आपकी आर्थिक लूट से ज्यादा आपके धर्म को कमजोर करने और भारत मे ईसाईयत को बढावा देने के लिए बनाया गया है !! (इस बारे मे अधिक जानकारी राजीव भाई के VAT वाले व्याख्यान मे मिलेगी) देश मे हो रही गौ हत्या को रोकने के लिए भी राजीव भाई ने कडा संघर्ष किया ! राजीव भाई का कहना था कि जब तक हम गौ माता का आर्थिक मूल्यांकन कर लोगो को नहीं समझाएँगे ! तब तक भारत मे गौ रक्षा नहीं हो सकती ! क्योंकि कोई भी सरकार आजतक गौ हत्या के खिलाफ संसद मे बिल पास नहीं कर सकी ! उनका कहना था कि सरकारो का तो पता नहीं वो कब संसद मे गौ हत्या के खिलाफ बिल पास करें क्योकि कि आजादी के 64 साल मे तो उनसे बिल पास नहीं हुआ और आगे करेंगे इसका भरोसा नहीं !! इसलिए तब हमे खुद अपने स्तर पर ही गौ हत्या रोकने का प्रयास करना चाहिए !!

उन्होने देश भर मे घूम घूम कर अलग अलग जगह पर व्याख्यान कर लोगो को गौ माता की महत्वता और उसका आर्थिक महत्व बताया ! उन्होने 60 लाख से अधिक किसानो को देसी खेती (organic farming) करने के सूत्र बताये कि कैसे किसान रासायनिक खाद, यूरिया आदि खेतो मे डाले बिना गौ माता के गोबर और गौ मूत्र से खेती कर सकते है ! जिससे उनके उत्पादन का खर्चा लगभग शून्य होगा !! और उनकी आय मे बहुत बढोतरी होगी ! आज किसान 15-15 हजार रुपए लीटर कीटनाश्क खेत मे छिडक रहा है !! टनों टन महंगा यूरिया, रासायनिक खाद खेत मे डाल रहा है जिससे उसके उत्पादन का खर्चा बढता जा रहा है और उत्पादन भी कम होता जा रहा है !! रासायनिक खाद वाले फल सब्जियाँ खाकर लाखो लाखो लोग दिन प्रतिदिन बीमार हो रहे हैं ! राजीव भाई ने गरीब किसानो को गाय ना बेचने की सलाह दी और उसके गोबर और गौ मूत्र से खेती करने के सूत्र बताये !! किसानो ने राजीव भाई के बताये हुए देसी खेती के सूत्रो द्वारा खेती करना शुरू किया और उनकी आर्थिक समृद्धि बहुत बढीं !!

1998 मे राजीव भाई ने कुछ गौ समितियों के साथ मिलकर गौ हत्या रोकने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मे मुकदमा दायर कर दिया कि गौ हत्या नहीं होनी चाहिए ! सामने बैठे कुरेशी कसाइयो ने कहा क्यों नहीं होनी चाहिए ? कोर्ट मे साबित ये करना था की गाय की हत्या कर मांस बेचने से ज्यादा लाभ है या बचाने से !! कसाइयो की तरफ से लड़ने वाले भारत के सभी बड़े-बड़े वकील जो 50-50 लाख तक फीस लेते हैं सोली सोराब्जी की बीस लाख की फीस है, कपिल सिब्बल 22 लाख की फीस है, महेश जेठ मालानी (राम जेठ मालानी का लड़का) जो फीस लेते है 32 लाख से 35 लाख सारे सभी बड़े वकील कसाइयों के पक्ष में ! और इधर राजीव भाई जैसे लोगो के पास कोई बडा वकील नहीं था क्योंकि इतना पैसा नहीं था ! तो इन लोगो ने अपना मुकदमा खुद ही लडा !!

(इस मुकद्दमे की पूरी जानकारी आपको राजीव भाई के व्याख्यान जिसका नाम गौ हत्या और राजनीति) मे मिल जाएगी!! हाँ इतना आपको जरूर बता दें 2005 मे मुकदमा राजीव भाई और उनके कार्यकर्ताओ ने जीत लिया !! राजीव भाई अदालत मे गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो खाद तैयार करने का फॉर्मूला बताया और अदालत के सामने करके भी दिखया जिससे रोज की 1800 से 2000 रुपए की रोज की कमाई की जा सकती है !! ऐसे ही उन्होने गौ मूत्र से बनने वाली औषधियों का आर्थिक मूल्यांकन करके बताया !!! और तो और उन्होने सुप्रीम कोर्ट के जज की गाडी गोबर गैस से चलाकर दिखा दी !! जज ने तीन महीने गाडी चलाई और ये सब देख अपने दाँतो तले उंगली दबा ली!! अधिक जानकरी आपको राजीव भाई के व्याख्यान मे मिलेगी !! (Gau Hatya Rajniti Supreme Court mein ladai at Aurngabaad.mp3)

राजीव भाई को जब पता चला कि रासायनिक खाद बनाने वाली कंपनियो के बाद देश की सबसे अधिक हजारो करोड रुपए की लूट दवा बनाने वाली सैंकडों विदेशी कंपनियाँ कर रही है ! और इसके इलावा ये बडी बडी कंपनियाँ वो दवाये भारत मे बेच रहे है जो अमेरिका और यूरोप के बहुत से देशों मे बैन है और जिससे देश वासियो को भयंकर बीमारियाँ हो रही है तब राजीव भाई ने इन कंपनियो के खिलाफ भी आंदोलन शुरू कर दिया !! राजीव भाई ने आयुर्वेद का अध्यन किया और 3500 वर्ष पूर्व महाऋषि चरक के शिष्य वागभट्ट जी को महीनो महीनो तक पढा !! और बहुत ज्ञान अर्जित किया ! फिर घूम घूम कर लोगो को आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे मे बताना शुरू किया की कैसे बिना दवा खाये आयुर्वेद के कुछ नियमो का पालन कर हम सब बिना डॉक्टर के स्वस्थ रह सकते है और जीवन जी सकते है इसके अलावा हर व्यक्ति अपने शरीर की 85% चिकित्सा स्वंय कर सकता है !! राजीव भाई खुद इन नियमो का पालन 15 वर्ष से लगातार कर रहे थे जिस कारण वे पूर्ण स्वस्थ थे 15 वर्ष तक किसी डॉक्टर के पास नहीं गए थे !! वो आयुर्वेद के इतने बडे ज्ञाता हो गए थे कि लोगो की गम्भीर से गम्भीर बीमारियाँ जैसे शुगर, बीपी, दमा, अस्थमा, हार्ट ब्लोकेज, कोलेस्ट्रोल आदि का इलाज करने लगे थे और लोगो को सबसे पहले बीमारी होने का असली कारण समझाते थे और फिर उसका समाधान बताते थे !! लोग उनके हेल्थ के लेक्चर सुनने के लिए दीवाने हो गए थे इसके इलावा वो होमोपैथी चिकित्सा के भी बडे ज्ञाता थे होमोपैथी चिकित्सा मे तो उन्हे डिग्री भी हासिल थी !!

एक बार उनको खबर मिली कि उनके गुरु धर्मपाल जी को लकवा का अटैक आ गया है और उनके कुछ शिष्य उनको अस्पताल ले गए थे ! राजीव भाई ने जाकर देखा तो उनकी आवाज पूरी जा चुकी थी हाथ पाँव चलने पूरे बंद हो गए थे ! अस्पताल मे उनको बांध कर रखा हुआ था ! राजीव भाई धर्मपाल जी को घर ले आए और उनको एक होमियोपैथी दवा दी मात्र 3 दिन उनकी आवाज वापिस आ गई और एक सप्ताह मे वो वैसे चलने फिरने लगे कि कोई देखने वाला मानने को तैयार नहीं था कि इनको कभी लकवा का अटैक आया था !! कर्नाटक राज्य में एक बार बहुत भयंकर चिकन-गुनिया फैल गया हजारो की संख्या मे लोग मरे ! राजीव भाई अपनी टीम के साथ वहाँ पहुँच कर हजारो हजारो लोगो को इलाज करके मृत्यु से बचाया ! ये देख कर कर्नाटक सरकार ने अपनी डॉक्टरों की टीम राजीव भाई के पास भेजी और कहा कि जाकर देखो कि वो किस ढंग से इलाज कर रहे हैं !

(अधिक जानकारी के लिए आप राजीव भाई के हेल्थ के लेक्चर सुन सकते हैं घंटो घंटो उन्होने स्वस्थ रहने और रोगो की चिकित्सा के व्याख्यान दिये है)

इसके इलावा राजीव भाई ने यूरोप और भारत की सभ्यता संस्कृति और इनकी भिन्नताओ पर गहरा अध्यन किया और लोगो को बताया कि कैसे भारतवासी यूरोप के लोगो की मजबूरी को अपना फैशन बना रहे है और कैसे उनकी नकल कर बीमारियो के शिकार हो रहे है !! राजीव भाई का कहना था कि देश मे आधुनिकीकरण के नाम पर पश्चिमीकरण हो रहा है ! और इसका एक मात्र कारण देश मे चल रहा अंग्रेज मैकॉले का बनाया हुआ indian education system है ! क्योकि आजाद भारत मे सारे कानून अंग्रेजो के चल रहे हैं इसीलिए ये मैकॉले द्वारा बनाया गया शिक्षा तंत्र भी चल रहा है !

राजीव भाई कहते थे कि इस अंग्रेज मैकॉले ने जब भारत का शिक्षा तंत्र का कानून बनाया और शिक्षा का पाठयक्रम तैयार किया तब इसने एक बात कही कि मैंने भारत का शिक्षा तंत्र ऐसा बना दिया है की इसमे पढ के निकलने वाला व्यक्ति शक्ल से तो भारतीय होगा पर अकल से पूरा अंग्रेज होगा ! उसकी आत्मा अंगेजों जैसी होगी उसको भारत की हर चीज मे पिछडापन दिखाई देगा !! और उसको अंग्रेज और अंग्रेजियत ही सबसे बढिया लगेगी !!

इसके इलावा राजीव भाई का कहना था कि इसी अंग्रेज मैकॉले ने भारत की न्याय व्यवस्था को तोड कर IPC, CPC जैसे कानून बनाये और उसके बाद ब्यान दिया की मैंने भारत की न्याय पद्धति को ऐसा बना दिया है कि इसमे किसी गरीब को इंसाफ नहीं मिलेगा ! सालों साल मुकदमे लटकते रहेंगे !! मुकदमो के सिर्फ फैंसले आएंगे न्याय नहीं मिलेगा !! इस अंग्रेज शिक्षा पद्धति और अँग्रेजी न्यायव्यवस्था के खिलाफ लोगो को जागरूक करने के लिए राजीव राजीव भाई ने मैकॉले शिक्षा और भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पर बहुत व्याख्यान दिये और इसके अतिरिक्त अपने एक मित्र आजादी बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता पवन गुप्ता जी के साथ मिल कर एक गुरुकुल की स्थापना की वहाँ वो फेल हुए बच्चो को ही दाखिल करते थे कुछ वर्ष उन बच्चो को उन्होने प्राचीन शिक्षा पद्धति से पढाया ! और बच्चे बाद मे इतने ज्ञानी हो गए की आधुनिक शिक्षा मे पढे बडे बडे वैज्ञानिक उनके आगे दाँतो तले उंगली दबाते थे !

राजीव जी ने रामराज्य की कल्पना को समझना चाहा ! इसके लिए वे भारत अनेकों साधू संतो,रामकथा करने वालों से मिले और उनसे पूछते थे की भगवान श्री राम रामराज्य के बारे क्या कहा है ?? लेकिन कोई भी उत्तर उनको संतुष्ट नहीं कर पाया ! फिर उन्होने भारत मे लिखी सभी प्रकार की रामायणों का अध्यन किया और खुद ये हैरान हुए कि रामकथा मे से भारत की सभी समस्याओ का समाधान निकलता है ! फिर राजीव भाई घूम घूम कर खुद रामकथा करने लगे और उनकी रामकथा सभी संत और बाबाओ से अलग होती वो सिर्फ उसी बात पर अधिक चर्चा करते जिसे अन्य संत तो बताते नहीं या वो खुद ही ना जानते है ! राजीव भाई लोगो को बताते कि किस प्रकार रामकथा मे भारत की सभी समस्याओ का समाधान निकलता है ! (इस बारे मे अधिक जानकारी के लिए आप राजीव भाई की रामकथा वाला व्याख्यान सुन सकते हैं)

2009 मे राजीव भाई बाबा रामदेव के संपर्क मे आए और बाबा रामदेव को देश की गंभीर समस्याओ और उनके समाधानो से परिचित करवाया और विदेशो मे जमा कालेधन आदि के विषय मे बताया और उनके साथ मिल कर आंदोलन को आगे बढाने का फैसला किया !! आजादी बचाओ के कुछ कार्यकर्ता राजीव भाई के इस निर्णय से सहमत नहीं थे !! फिर भी राजीव भाई ने 5 जनवरी 2009 को भारत स्वाभिमान आंदोलन की नीव रखी !! जिसका मुख्य उदेश्य लोगो को अपनी विचार धारा से जोडना, उनको देश की मुख्य समस्याओ का कारण और समाधान बताना !! योग और आयुर्वेद से लोगो को निरोगी बनाना और भारत स्वाभिमान आंदोलन के साथ जोड कर 2014 मे देश से अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नई पार्टी का निर्माण करना था जिसका उदेश्य भारत मे चल रही अँग्रेजी व्यवस्थाओ को पूर्ण रूप से खत्म करना, विदेशो मे जमा काला धन वापिस लाना, गौ हत्या पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना, और एक वाक्य मे कहा जाए ये आंदोलन सम्पूर्ण आजादी को लाने के लिए शुरू किया गया था !!

राजीव भाई के व्याख्यान सुन कर मात्र ढाई महीने मे 6 लाख कार्यकर्ता पूरे देश मे प्रत्यक्ष रूप मे इस अंदोलन से जुड गए थे राजीव भाई पतंजलि मे भारत स्वाभिमान के कार्यकर्ताओ के बीच व्याख्यान दिया करते थे जो पतंजलि योगपीठ के आस्था चैनल पर के माध्यम से भारत के लोगो तक पहुंचा करते थे इस प्रकार अप्रत्यक्ष रूप से भारत स्वाभिमान अंदोलन के साथ 3 से 4 करोड लोग जुड गए थे ! फिर राजीव भाई भारत स्वाभिमान आंदोलन के प्रतिनिधि बनकर पूरे भारत की यात्रा पर निकले गाँव-गाँव शहर-शहर जाया करते थे पहले की तरह व्याख्यान देकर लोगो को भारत स्वाभिमान से जुडने के लिए प्रेरित करते थे !!

लगभग आधे भारत की यात्रा करने के बाद राजीव भाई 26 नवंबर 2010 को उडीसा से छतीसगढ राज्य के एक शहर रायगढ पहुंचे वहाँ उन्होने 2 जन सभाओ को आयोजित किया ! इसके पश्चात अगले दिन 27 नवंबर 2010 को जंजगीर जिले मे दो विशाल जन सभाए की इसी प्रकार 28 नवंबर बिलासपुर जिले मे व्याख्यान देने से पश्चात 29 नवंबर 2010 को छतीसगढ के दुर्ग जिले मे पहुंचे ! उनके साथ छतीसगढ के राज्य प्रभारी दया सागर और कुछ अन्य लोग साथ थे ! दुर्ग जिले मे उनकी दो विशाल जन सभाए आयोजित थी पहली जनसभा तहसील बेमतरा मे सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक थी! राजीव भाई ने विशाल जन सभा को आयोजित किया !! इसके बाद का कार्यक्रम साय 4 बजे दुर्ग मे था !! जिसके लिए वह दोपहर 2 बजे बेमेतरा तहसील से रवाना हुए !

(इसके बात की घटना विश्वास योग्य नहीं है इसके बाद की सारी घटना उस समय उपस्थित छतीसगढ के प्रभारी दयासागर और कुछ अन्य साथियो द्वारा बताई गई है)

उन लोगो का कहना है गाडी मे बैठने के बाद उनका शरीर पसीना पसीना हो गया ! दयासागर ने राजीव जी से पूछा तो जवाब मिला की मुझे थोडी गैस सीने मे चढ गई है शोचालय जाऊँ तो ठीक हो जाऊंगा ! फिर दयासागर तुरंत उनको दुर्ग के अपने आश्रम मे ले गए वहाँ राजीव भाई शोचालय गए और जब कुछ देर बाद बाहर नहीं आए तो दयासागर ने उनको आवाज दी राजीव भाई ने दबी दबी आवाज मे कहा गाडी स्टार्ट करो मैं निकल रहा हूँ ! जब काफी देर बाद राजीव भाई बाहर नहीं आए तो दरवाजा खोला गया राजीव भाई पसीने से लथपत होकर नीचे गिरे हुए थे ! उनको बिस्तर पर लिटाया गया और पानी छिडका गया दयासागर ने उनको अस्पताल चलने को कहा ! राजीव भाई ने मना कर दिया उन्होने कहा होमियोपैथी डॉक्टर को दिखाएंगे !

थोडी देर बाद होमियोपैथी डॉक्टर आकर उनको दवाइयाँ दी ! फिर भी आराम ना आने पर उनको भिलाई के सेक्टर 9 मे इस्पात स्वयं अस्पताल मे भर्ती किया गया ! इस अस्पताल मे अच्छी सुविधाइए ना होने के कारण उनको Apollo BSR मे भर्ती करवाया गया ! राजीव भाई एलोपेथी चिकित्सा लेने से मना करते रहे ! उनका संकल्प इतना मजबूत था कि वो अस्पताल मे भर्ती नहीं होना चाहते थे ! उनका कहना था कि सारी जिंदगी एलोपेथी चिकित्सा नहीं ली तो अब कैसे ले लू ? ! ऐसा कहा जाता है कि इसी समय बाबा रामदेव ने उनसे फोन पर बात की और उनको आईसीयु मे भर्ती होने को कहा !

फिर राजीव भाई 5 डॉक्टरों की टीम के निरीक्षण मे आईसीयु भर्ती करवाएगे !! उनकी अवस्था और भी गंभीर होती गई और रात्रि एक से दो के बीच डॉक्टरों ने उन्हे मृत घोषित किया !!

(बेमेतरा तहसील से रवाना होने के बाद की ये सारी घटना राज्य प्रभारी दयासागर और अन्य अधिकारियों द्वारा बताई गई है अब ये कितनी सच है या झूठ ये तो उनके नार्को टेस्ट करने ही पता चलेगा !!)

क्योकि राजीव जी की मृत्यु का कारण दिल का दौरा बता कर सब तरफ प्रचारित किया गया ! 30 नवंबर को उनके मृत शरीर को पतंजलि, हरिद्वार लाया गया जहां हजारो की संख्या मे लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे ! और 1 दिसंबर राजीव जी का दाह संस्कार कनखल हरिद्वार मे किया गया !!

राजीव भाई के चाहने वालों का कहना है कि अंतिम समय मे राजीव जी का चेहरा पूरा हल्का नीला, काला पड गया था ! उनके चाहने वालों ने बार-बार उनका पोस्टमार्टम करवाने का आग्रह किया लेकिन पोस्टमार्ट्म नहीं करवाया गया !! राजीव भाई की मौत लगभग भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत से मिलती जुलती है आप सबको याद होगा ताशकंद से जब शास्त्री जी का मृत शरीर लाया गया था तो उनके भी चेहरे का रंग नीला, काला पड गया था !! और अन्य लोगो की तरह राजीव भाई भी ये मानते थे कि शास्त्री जी को विष दिया गया था !! राजीव भाई और शास्त्री जी की मृत्यु मे एक जो समानता है कि दोनों का पोस्टमार्टम नहीं हुआ था !!

राजीव भाई की मृत्यु से जुडे कुछ सवाल !!

किसके आदेश पर ये प्रचारित किया गया ? कि राजीव भाई की मृत्यु दिल का दौरा पडने से हुयी है ?

29 नवंबर दोपहर 2 बजे बेमेतरा से निकलने के पश्चात जब उनको गैस की समस्या हुए और रात 2 बजे जब उनको मृत घोषित किया गया इसके बीच मे पूरे 12 घंटे का समय था 12 घंटे मे मात्र एक गैस की समस्या का समाधान नहीं हो पाया ??

आखिर पोस्ट मार्टम करवाने मे क्या तकलीफ थी ??

राजीव भाई का फोन जो हमेशा आन रहता था उस 2 बजे बाद बंद क्यों था ??

राजीव भाई के पास एक थैला रहता था जिसमे वो हमेशा आयुर्वेदिक, होमियोपैथी दवाएं रखते थे वो थैला खाली क्यों था ??

30 नवंबर को जब उनको पतंजलि योगपीठ मे अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था उनके मुंह और नाक से क्या टपक रहा था उनके सिर को माथे से लेकर पीछे तक काले रंग के पालिथीन से क्यूँ ढका था ?

राजीव भाई की अंतिम विडियो जो आस्था चैनल पर दिखाई गई तो उसको एडिट कर चेहरे का रंग सफेद कर क्यों दिखाया गया ?? अगर किसी के मन को चोर नहीं था तो विडियो एडिट करने की क्या जरूरत थी ??

अंत पोस्टमार्टम ना होने के कारण उनकी मृत्यु आजतक एक रहस्य ही बन कर रह गई !!

राजीव भाई के कई समर्थक उनके जाने के बाद बाबा रामदेव से काफी खफा है क्योंकि बाबा रामदेव अपने एक व्याख्यान मे कहा कि राजीव भाई को हार्ट ब्लोकेज था, शुगर की समस्या थी, बी.पी. भी था राजीव भाई पतंजलि योगपीठ की बनी दवा मधुनाशनी खाते थे ! जबकि राजीव भाई खुद अपने एक व्याख्यान मे बता रहे हैं कि उनका शुगर, बीपी, कोलेस्ट्रोल सब नार्मल है !! वे पिछले 20 साल से डॉक्टर के पास नहीं गए ! और अगले 15 साल तक जाने की संभावना नहीं !!

और राजीव भाई के चाहने वालो का कहना है कि हम कुछ देर के लिए राजीव भाई की मृत्यु पर प्रश्न नहीं उठाते लेकिन हमको एक बात समझ नहीं आती कि पतंजलि योगपीठ वालों ने राजीव भाई की मृत्यु के बाद उनको तिरस्कृत करना क्यों शुरू कर दिया ??

मंचो के पीछे उनकी फोटो क्यों नहीं लगाई जाती ??

आस्था चैनल पर उनके व्याख्यान दिखाने क्यों बंद कर दिये गए ?? कभी साल अगर उनकी पुण्यतिथि पर व्याख्यान दिखाये भी जाते है तो वो भी 2-3 घंटे के व्याख्यान को काट काट कर एक घंटे का बनाकर दिखा दिया जाता है !!

इसके अतिरिक्त उनके कुछ समर्थक कहते हैं कि भारत स्वाभिमान आंदोलन की स्थापना जिस उदेश्य के लिए हुए थी राजीव भाई की मृत्यु के बाबा रामदेव उस राह हट क्यों गए ?

राजीव भाई और बाबा खुद कहते थे कि सब राजनीतिक पार्टियां एक जैसी है हम 2014 मे अच्छे लोगो को आगे लाकर एक नया राजनीतिक विकल्प देंगे ! लेकिन राजीव भाई की मृत्यु के बाद बाबा रामदेव ने भारत स्वाभिमान के आंदोलन की दिशा बदल दी और राजीव की सोच के विरुद्ध आज वो भाजपा सरकार का समर्थन कर रहें !! इसलिए बहुत से राजीव भाई के चाहने वाले भारत स्वाभिमान से हट कर अपने अपने स्तर पर राजीव भाई का प्रचार करने मे लगे हैं !!

राजीव भाई ने अपने पूरे जीवन मे देश भर मे घूम घूम कर 5000 से ज्यादा व्याख्यान दिये! सन 2005 तक वह भारत के पूर्व से पश्चिम उत्तर से दक्षिण चार बार भ्रमण कर चुके थे !! उन्होने विदेशी कंपनियो की नाक मे दम कर रखा था !

भारत के किसी भी मीडिया चैनल ने उनको दिखाने का साहस नहीं किया !! क्योकि वह देश से जुडे ऐसे मुद्दो पर बात करते थे की एक बार लोग सुन ले तो देश मे 1857 से बडी क्रांति हो जाती ! वह ऐसे ओजस्वी वक्ता थे जिनकी वाणी पर माँ सरस्वती साक्षात निवास करती थी। जब वे बोलते थे तो स्रोता घण्टों मन्त्र-मुग्ध होकर उनको सुना करते थे ! 30 नवम्बर 1967 को जन्मे और 30 नवंबर 2010 को ही संसार छोडने वाले ज्ञान के महासागर श्री राजीव दीक्षित जी आज केवल आवाज के रूप मे हम सबके बीच जिंदा है उनके जाने के बाद भी उनकी आवाज आज देश के लाखो करोडो लोगो का मार्गदर्शन कर रही है और भारत को भारत की मान्यताओं के आधार पर खडा करने आखिरी उम्मीद बनी हुई है !

राजीव भाई को शत शत नमन !!

 

अंतिम शब्दों में एक भाव पूर्ण श्रद्धांजलि ….

~!~ शत् – शत् नमन है ~!~

जिसने भारत का सोया स्वाभिमान जगा दिया…..

भारत सोने की चिडिया था ..है….और आगे कैसे होगा

हम-सब को फिर से बता दिया ……

आज जब सत्य बोलना नामुमकिन हो ,

उसने उस डगर पे चलना हमे सिखा दिया ……

भारत का सोया स्वाभिमान जगा दिया…..

वो आया था ‘‘विवेकान्द’’ बन कर

अपने सत् कर्मो से बता दिया…….

पर अफसोस कि देश आज भरा गदारो से,

जिस कारण ‘‘माँ भारतीय के लाल को ,

‘‘शास्त्री जी’’ की तरह विदा किया

सगाई के दौरान लड़की- लड़का दोनों एकदूसरे की अनामिका उंगली में ही क्यों अंगूठी पहनाते हैं...

सगाई की अंगूठी अनामिका में ही क्यूँ पहनी जाती है ?
एक सुंदर प्रयोग बताता हूँ .....
आप भी कर के देखें ......
..
बुद्धिजीवियों के अनुसार हमारे हाथ की दसों उंगलियां ये एक कुटुम्ब है ।
..
. हाथ के अंगूठे हमारे माता-पिता का प्रतीक हैं
.
अंगूठे के पास वाली उंगली (तर्जनी) हमारे भाई-बहन की प्रतीक ।
..
बीच की उंगली (मध्यमा) हम खुद
..
चौथी अनामिका...
मतलब हमारा जोड़ीदार,
.
और अंतिम सबसे छोटी उंगली (करंगली)
हमारे बच्चे
..
ये हो गया कुटुंब
अब देखते हैं कुटुंब के लोगों से हमारे संबंध कैसे ईश्वर ने स्थापित किये हैं
.
.अब फोन को एक ओर रख दोनों हाथ नमस्कार मुद्रा में जोड़ें
.
बीच की दोनों उंगली को अंदर की ओर fold कर हथेली से लगा लें ।
अब दोनो अंगूठे एक दूसरे से दूर करे वो हो जाएंगे
.
.कारण माता-पिता का साथ हमें जन्मभर नही मिलता, कभी न कभी वो हमें छोड़ कर जाते हैं ।
..
अब अंगूठे छोड़ उसके पास वाली उंगली को खोलें
वो भी खुलेगी
कारण भाई-बहन का अपना परिवार है , उनका खुद का अपना जीवन है ।
..
अब वो उंगलियां जोड़ हाथ के आखरिवाली सबसे छोटी उंगली को आपस मे खोलें
..
वो भी खुलेंगी, कारण आपके बच्चे बड़े होने पर घोसला छोड़ उड़ान भरने ही वाले हैं ।
..
छोटी उंगलियों को अब जोड़ लें
.
.अब अंगूठी वाली अनामिका को एक दूजे से दूर करे
..
आश्चर्य होगा;
पर वो दूर नही होती । कारण जोड़ीदार, मतलब पति-पत्नी, जीवनभर एक साथ रहने वाले होते हैं । सुख और दुःख में एक दूजे के जीवनसाथी.....
"ये आयुष्य का सुंदर अर्थ
अनामिका सिवाय सब व्यर्थ"

विवाह हो या जन्म दिन हर मौके पर संस्कृत में दीजिए शुभकामनाएँ

हमारे कई सुधी पाठक हमसे लगातार आग्रह करते रहे हैं कि विविध अवसरों पर दी जाने वाली शुभकामना संस्कृत श्लोकों में हिन्दी अर्थ के साथ उपलब्ध कराई जाए। हमारे सुधी पाठकों के सहयोग से हमने संस्कृत के कुछ श्लोक हिन्दी अर्थ के साथ पाठकों की रुचि के अनुरूप पलब्ध कराने का प्रयास किया है। यदि आप भी समें कोई श्लोक जोड़ना चाहें तो आपका स्वागत है।

विवाह के अवसर पर

राजेश-ऋचा विवाह अनुबन्धम्। शुभं भवतु ॠषि कृत प्राचीन प्रबन्धम्।।

प्राचीन भारतीय ॠषियों द्वारा अनुप्रणीत सामाजिक प्रबन्धन के अनुसार विशेष और स्नेहा का विवाह शुभ और कल्याण प्रद हो।
(इसमें राजेश-ऋचा की जगह नवविवाहित जोड़े का नाम दिया जा सकता है)

खलु भवेत् नव युगल जीवने सत्यं ज्ञान प्रकाशः।
वर्धयेन्नित्यं परस्परं प्रेम त्याग विश्वासः।
काम क्रोध लोभ संमोहाः प्रमुच्येत् भव बन्धम्।।

हम परमपिता ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि नव दम्पति का जीवन सदैव सत्य और ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण हो और दोनों में दिन-प्रतिदिन परस्पर प्रेम त्याग और विश्वास बढ़ता रहे। आप काम क्रोध लोभ मोह आदि बन्धनों से मुक्त होकर अपने जीवन के रम लक्ष्य को प्राप्त करें।

इहेमाविन्द्र सं नुद चक्रवाकेव दम्पती ।
प्रजयौनौ स्वस्तकौ विश्मायुर्व्यऽश्नुताम् ॥

हमारी शुभकामना है कि देवों के देव इन्द्र नव-दंपत्ति को इसी तरह एक करें जैसे चकवा पक्षी का जोड़ा रहता है; विवाह का ये पवित्र बंधन आपके कुल की वृध्दि और संपन्नता का कारक बने।

विवाह दिनं इदम् भवतु हर्षदम्।
मंगलम तथा वां च क्षेमदम्।।
प्रतिदिनं नवं प्रेम वर्धता।
शत गुण कुलं सदा हि मोदता।।

लोक सेवया देव पूजनमं।
गृहस्थ जीवन भवतु मोक्षदम्।।

विवाह का ये मंगल दिन आप दोनों के लिए प्रसन्नता, प्रगति और सुखी व संपन्न जीवन का पथ प्रशस्त करे।

आप दोनों एक-दूसरे के लिए नवीन प्रेम का सृजन करें।
आप दोनों शतायु हों और अपने परिवार व कुल की उन्नति के कारक बनें।
समाज सेवा और ईश्वर भक्ति की भावना के साथ आप सांसारिकता से सदा मुक्त रहें।

ज्यायस्वन्तश्चित्तिनो मा वि यौष्ट संराधयन्तः सधुराश्चरन्तः ।
अन्यो अन्यस्मै वल्गु वदन्त एत सध्रीचीनान्वः संमनसस्क्र्णोमि । । अथर्व।३-३०-५

बड़ों की छत्र छाया में रहने वाले एवं उदारमना बनो । कभी भी एक दूसरे से पृथक न हो। समान रूप से उत्तरदायित्व को वहन करते हुए एक दूसरे से मीठी भाषा बोलते हुए एक दूसरे के सुख दुख मे भाग लेने वाले ‘एक मन’ के साथी बनो ।

सध्रीचीनान् व: संमनसस्कृणोम्येक श्नुष्टीन्त्संवनेन सर्वान्।
देवा इवामृतं रक्षमाणा: सामं प्रात: सौमनसौ वो अस्तु।। (अथर्व. ३-३०-७)

तुम परस्पर सेवा भाव से सबके साथ मिलकर पुरूषार्थ करो। उत्तम ज्ञान प्राप्त करो। योग्य नेता की आज्ञा में कार्य करने वाले बनो। दृढ़ संकल्प से कार्य में दत्त चित्त हो तथा जिस प्रकार देव अमृत की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार तुम भी सायं प्रात: अपने मन में शुभ संकल्पों की रक्षा करो।

स्वत्यस्तु ते कुशल्मस्तु चिरयुरस्तु॥ विद्या विवेक कृति कौशल सिद्धिरस्तु ॥
ऐश्वर्यमस्तु बलमस्तु राष्ट्रभक्ति सदास्तु॥ वन्शः सदैव भवता हि सुदिप्तोस्तु ॥

आप सदैव आनंद से, कुशल से रहे तथा दीर्घ आयु प्राप्त करें | विद्या, विवेक तथा कार्यकुशलता में सिद्धि प्राप्त करें | ऐश्वर्य व बल को प्राप्त करें तथा राष्ट्र भक्ति भी सदा बनी रहे| आपका वंश सदैव तेजस्वी बना रहे।

कुर्यात् सदा मंगलम्

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दीर्घायुरारोग्यमस्तु
सुयशः भवतु
विजयः भवतु
जन्मदिनशुभेच्छाः

शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्
जय जय जय तव सिद्ध साधनम्
सुख शान्ति समृद्धि चिर जीवनम्
शुभ तव जन्म दिवस सर्व मंगलम्

प्रार्थयामहे भव शतायु: ईश्वर सदा त्वाम् च रक्षतु।
पुण्य कर्मणा कीर्तिमार्जय जीवनम् तव भवतु सार्थकम् ।।

ईश्वर सदैव आपकी रक्षा करे
समाजोपयोगी कार्यों से यश प्राप्त करे
आपका जीवन सबके लिए कल्याणकारी हो
हम सभी आपके लिए यही प्रार्थना करते हैं

शुभकामना के लिए

शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धन संपदः |
शत्रु बुद्धि विनाशाय दीपंज्योति नमोऽस्तु ते||

दीपक की जो ज्योति हमारे जीवन में सौभाग्य, स्वास्थ्य, प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते हुए अंधकार रुपी नकारात्मक शक्तियों का नाश करती है, उस दीप ज्योति को मैं नमन करता हूँ।

मृत्यु के लिए शोक संवेदना –गीता के श्लोक

जातस्य हि ध्रुवो मृत्युर्ध्रुवं जन्म मृतस्य च। तस्मादपरिहार्येऽर्थे न त्वं शोचितुमर्हसि॥२७॥

क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे हुए का जन्म निश्चित है। इससे भी इस बिना उपाय वाले विषय में तू शोक करने योग्य नहीं है। ॥२७॥

अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत। अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना॥२८॥
हे अर्जुन! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट हैं, फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना है?। ॥२८॥

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही॥२२॥

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्तहोता है। ॥२२॥

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥२३॥ अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च। नित्यः सर्वगतः स्थाणुरचलोऽयं सनातनः॥२४॥
इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकती। क्योंकि यह आत्मा अच्छेद्य है, यह आत्मा अदाह्य, अक्लेद्य और नि:संदेह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है।

गृह प्रवेश के लिए श्लोक
अरहम्परमानन्दभाजनं पुण्यदर्शनम्।
मेघनागौतमागारं भंसाली भवनं नवम्।।

मेघना और गौतम (मेघना और गौतम के स्थान पर आप जिसके भी भवन /मकान/फ्लैट का शुभारंभ है उनका नाम रख सकते हैं) का नवनिर्मित आवास अरहम के परम आनन्द का भण्डार है, जो पुण्य या पवित्र दिखाई देता है ( या जिसको देखने से पवित्रता का अनुभव होता है)।

दीपावली पर शुभकामनाएँ देने के लिए
सत्याधारस्तपस्तैलं दयावर्ति: क्षमाशिखा।
अंधकारे प्रवेष्टव्ये दीपो यत्नेन वार्यताम्॥

घना अंधकार फैल रहा हो, ऑंधी सिर पर बह रही हो तो हम जो दिया जलाएं, उसकी दीवट सत्य की हो, उसमें तेल तप का हो, उसकी बत्ती दया की हो और लौ क्षमा की हो। आज समाज में फैले अंधकार को नष्ट करने के लिए ऐसा ही दीप प्रज्जवलित करने की आवश्यकता है।

दान के लिए
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जनः।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥3-21॥

क्योंकि जो एक श्रेष्ठ पुरुष करता है, दूसरे लोग भी वही करते हैं… वह जो करता है, उसी को प्रमाण मानकर अन्य लोग भी पीछे वही करते हैं…

अञ्जनस्य क्षयं दृष्ट्वा वल्मीकस्य च संचयम् अवन्ध्यं दिवसं कुर्याद्दानाध्ययनकर्मसु ।
नीतिअञ्जन के क्रमशाः क्षय को तथा वल्मीक के संचय को देखकर पुरुष को अपने दिन को दान, अध्ययन एवं शुभकर्मों से सफल बनाना चाहिए ।

अन्नदानेन सदृशं दानं न भविष्यति । तस्मादन्नं विशेषेण दातुमिच्छन्ति मानवः ॥
अन्नदान के सदृश कोई दान नहीं है इसलिए विशेषतया लोग अन्नदान करने की इच्छा करते हैं
अनुशासनपर्व-६३/६।

अयाचिता निदेशानि सर्वदानानि भारत । अन्नं विद्या तथा कन्या अनर्थीभ्यो न दीयते ॥
अन्न , विद्या और कन्या के अतिरिक्त सभी दान बिना माँगे देना चाहिए।

विद्या का महत्व

विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनं
विद्या भोगकरी यश:सुखकरी विद्या गुरूणां गुरु:।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतं
विद्या राजसु पूजिता न तु धनं विद्या विहीन: पशु:।।

सरलार्थ- विद्या ही मनुष्य का सर्वोत्तम रूप तथा गुप्त धन है। विद्या ही भोग्य पदार्थों को देती है; यश और सुख को देने वाली तथा गुरुओं की भी गुरु है। विद्या ही विदेश में बन्धुजनों की भाँति सुख-दु:ख में सहायक होती है और यही भाग्य है। राजाओं के द्वारा विद्या की ही पूजा होती है, धन की नहीं। अत: विद्या से हीन पुरुष पशु के समान है। तात्पर्य यह है कि विद्या अवश्य प्राप्त करनी चाहिए।

गुरू का महत्व

‘यस्य देवे परा भक्तिर्यथा देवे तथा गुरु’ अर्थात जैसी भक्ति की आवश्यकता देवता के लिए है वैसी ही गुरु के लिए भी होनी चाहिए। बल्कि सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का साक्षात्कार भी संभव है। गुरु की कृपा के अभाव में कुछ भी संभव नहीं है।

गुरवो बहवः सन्ति शिष्यवित्तापहारकाः
दुर्लभः स गुरुर्लोके शिष्यचित्तापहारकः
– समयोचितपद्यमालिका

शिष्य के धन को अपहरण करनेवाले गुरु तो बहुत हैं लेकिन शिष्य के हृदय का संताप हरनेवाला एक गुरु भी दुर्लभ है ऐसा मैं मानता हूँ

श्री स्कान्दोत्तरखण्ड में उमामहेश्वर-संवाद के माध्यम से श्री गुरुगीता में गुरू की महिमा को विस्तार से बताया गया है।

गुरु गीता एक हिन्दू ग्रंथ है। इसके रचयिता वेद व्यास हैं। वास्तव में यह स्कन्द पुराण का एक भाग है। इसमें कुल ३५२ श्लोक हैं। गुरु गीता में भगवान शिव और पार्वती का संवाद है जिसमें पार्वती भगवान शिव से गुरु और उसकी महत्ता की व्याख्या करने का अनुरोध करती हैं। इसमें भगवान शंकर गुरु क्या है, उसका महत्व, गुरु की पूजा करने की विधि, गुरु गीता को पढने के लाभ आदि का वर्णन करते हैं। वह सद्गुरु कौन हो सकता है उसकी कैसी महिमा है। इसका वर्णन इस गुरुगीता में पूर्णता से हुआ है। शिष्य की योग्यता, उसकी मर्यादा, व्यवहार, अनुशासन आदि को भी पूर्ण रूपेण दर्शाया गया है। ऐसे ही गुरु की शरण में जाने से शिष्य को पूर्णत्व प्राप्त होता है तथा वह स्वयं ब्रह्मरूप हो जाता है। उसके सभी धर्म-अधर्म, पाप-पुण्य आदि समाप्त हो जाते हैं तथा केवल एकमात्र चैतन्य ही शेष रह जाता है वह गुणातीत व रूपातीत हो जाता है जो उसकी अन्तिम गति है। यही उसका गन्तव्य है जहाँ वह पहुँच जाता है। यही उसका स्वरूप है जिसे वह प्राप्त कर लेता है।

भवारण्यप्रविष्टस्य दिड्मोहभ्रान्तचेतसः |
येन सन्दर्शितः पन्थाः तस्मै श्रीगुरवे नमः ||

संसार रूपी अरण्य में प्रवेश करने के बाद दिग्मूढ़ की स्थिति में (जब कोई मार्ग नहीं दिखाई देता है), चित्त भ्रमित हो जाता है , उस समय जिसने मार्ग दिखाया उन श्री गुरुदेव को नमस्कार हो | ( गुरू गीता 41)

विद्या धनं बलं चैव तेषां भाग्यं निरर्थकम् |
येषां गुरुकृपा नास्ति अधो गच्छन्ति पार्वति ||

जिसके ऊपर श्री गुरुदेव की कृपा नहीं है उसकी विद्या, धन, बल और भाग्य निरर्थक है| हे पार्वती ! उसका अधःपतन होता है | (गुरू गीता 149)

धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोदभवः|
धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता ||

जिसके अंदर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका वंश धन्य है, उसके वंश में जन्म लेनेवाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है | ( गुरू गीता 150)

गुरुर्देवो गुरुर्धर्मो गुरौ निष्ठा परं तपः |
गुरोः परतरं नास्ति त्रिवारं कथयामि ते ||

गुरु ही देव हैं, गुरु ही धर्म हैं, गुरु में निष्ठा ही परम तप है | गुरु से अधिक और कुछ नहीं है यह मैं तीन बार कहता हूँ | (गुरू गीता 152)

सर्वसन्देहसन्दोहनिर्मूलनविचक्षणः |
जन्ममृत्युभयघ्नो यः स गुरुः परमो मतः ||

सर्व प्रकार के सन्देहों का जड़ से नाश करने में जो चतुर हैं, जन्म, मृत्यु तथा भय का जो विनाश करते हैं वे परम गुरु कहलाते हैं, सदगुरु कहलाते हैं | (170)

भिद्यते हृदयग्रन्थिश्छिद्यन्ते सर्वसंशयाः |
क्षीयन्ते सर्वकर्माणि गुरोः करुणया शिवे ||

हे शिवे ! गुरुदेव की कृपा से हृदय की ग्रन्थि छिन्न हो जाती है, सब संशय कट जाते हैं और सर्व कर्म नष्ट हो जाते हैं | ( गुरू गीता 191)

सप्तकोटिमहामंत्राश्चित्तविभ्रंशकारकाः |
एक एव महामंत्रो गुरुरित्यक्षरद्वयम् ||

सात करोड़ महामंत्र विद्यमान हैं | वे सब चित्त को भ्रमित करनेवाले हैं | गुरु नाम का दो अक्षरवाला मंत्र एक ही महामंत्र है | (203)

गुरुरेको जगत्सर्वं ब्रह्मविष्णुशिवात्मकम् |
गुरोः परतरं नास्ति तस्मात्संपूजयेद् गुरुम् ||

ब्रह्मा, विष्णु, शिव सहित समग्र जगत गुरुदेव में समाविष्ट है | गुरुदेव से अधिक और कुछ भी नहीं है, इसलिए गुरुदेव की पूजा करनी चाहिए | (209)

ज्ञानं विना मुक्तिपदं लभ्यते गुरुभक्तितः |
गुरोः समानतो नान्यत् साधनं गुरुमार्गिणाम् ||

गुरुदेव के प्रति (अनन्य) भक्ति से ज्ञान के बिना भी मोक्षपद मिलता है | गुरु के मार्ग पर चलनेवालों के लिए गुरुदेव के समान अन्य कोई साधन नहीं है | (210)

मंत्रराजमिदं देवि गुरुरित्यक्षरद्वयम् |
स्मृतिवेदपुराणानां सारमेव न संशयः ||

हे देवी ! गुरु यह दो अक्षरवाला मंत्र सब मंत्रों में राजा है, श्रेष्ठ है | स्मृतियाँ, वेद और पुराणों का वह सार ही है, इसमें संशय नहीं है | 

सोमवार, 6 नवंबर 2017

जो माँ जैसी देवी घर के मंदिर में नहीं रख सकते हैं...

जब आंख खुली तो अम्‍मा की
गोदी का एक सहारा था
उसका नन्‍हा सा आंचल मुझको
भूमण्‍डल से प्‍यारा था

उसके चेहरे की झलक देख
चेहरा फूलों सा खिलता था
उसके स्‍तन की एक बूंद से
मुझको जीवन मिलता था

हाथों से बालों को नोंचा
पैरों से खूब प्रहार किया
फिर भी उस मां ने पुचकारा
हमको जी भर के प्‍यार किया

मैं उसका राजा बेटा था
वो आंख का तारा कहती थी
मैं बनूं बुढापे में उसका
बस एक सहारा कहती थी

उंगली को पकड़ चलाया था
पढने विद्यालय भेजा था
मेरी नादानी को भी निज-
अन्‍तर में सदा सहेजा था

मेरे सारे प्रश्‍नों का वो
फौरन जवाब बन जाती थी
मेरी राहों के कांटे चुन
वो खुद गुलाब बन जाती थी

मैं बडा हुआ तो कॉलेज से
इक रोग प्‍यार का ले आया
जिस दिल में मां की मूरत थी
वो रामकली को दे आया

शादी की पति से बाप बना
अपने रिश्‍तों में झूल गया
अब करवाचौथ मनाता हूं
मां की ममता को भूल गया

हम भूल गये उसकी ममता
मेरे जीवन की थाती थी
हम भूल गये अपना जीवन
वो अमृत वाली छाती थी

हम भूल गये वो खुद भूखी
रह करके हमें खिलाती थी
हमको सूखा बिस्‍तर देकर
खुद गीले में सो जाती थी

हम भूल गये उसने ही
होठों को भाषा सिखलायी थी
मेरी नीदों के लिए रात भर
उसने लोरी गायी थी

हम भूल गये हर गलती पर
उसने डांटा समझाया था
बच जाउं बुरी नजर से
काला टीका सदा लगाया था

हम बडे हुए तो ममता वाले
सारे बन्‍धन तोड़ आए
बंगले में कुत्‍ते पाल लिए
मां को वृद्धाश्रम छोड आए

उसके सपनों का महल गिरा कर
कंकर-कंकर बीन लिए
खुदग़र्जी में उसके सुहाग के
आभूषण तक छीन लिए

हम मां को घर के बंटवारे की
अभिलाषा तक ले आए
उसको पावन मंदिर से
गाली की भाषा तक ले आए

मां की ममता को देख मौत भी
आगे से हट जाती है
गर मां अपमानित होती
धरती की छाती फट जाती है

घर को पूरा जीवन देकर
बेचारी मां क्‍या पाती है
रूखा सूखा खा लेती है
पानी पीकर सो जाती है

जो मां जैसी देवी घर के
मंदिर में नहीं रख सकते हैं
वो लाखों पुण्‍य भले कर लें
इंसान नहीं बन सकते हैं

मां जिसको भी जल दे दे
वो पौधा संदल बन जाता है
मां के चरणों को छूकर पानी
गंगाजल बन जाता है

मां के आंचल ने युगों-युगों से
भगवानों को पाला है
मां के चरणों में जन्‍नत है
गिरिजाघर और शिवाला है

हिमगिरि जैसी उंचाई है
सागर जैसी गहराई है
दुनियां में जितनी खुशबू है
मां के आंचल से आई है

मां कबिरा की साखी जैसी
मां तुलसी की चौपाई है
मीराबाई की पदावली
खुसरो की अमर रूबाई है

मां आंगन की तुलसी जैसी
पावन बरगद की छाया है
मां वेद ऋचाओं की गरिमा
मां महाकाव्‍य की काया है

मां मानसरोवर ममता का
मां गोमुख की उंचाई है
मां परिवारों का संगम है
मां रिश्‍तों की गहराई है

मां हरी दूब है धरती की
मां केसर वाली क्‍यारी है
मां की उपमा केवल मां है
मां हर घर की फुलवारी है

सातों सुर नर्तन करते जब
कोई मां लोरी गाती है
मां जिस रोटी को छू लेती है
वो प्रसाद बन जाती है

मां हंसती है तो धरती का
ज़र्रा-ज़र्रा मुस्‍काता है
देखो तो दूर क्षितिज अंबर
धरती को शीश झुकाता है

माना मेरे घर की दीवारों में
चन्‍दा सी मूरत है
पर मेरे मन के मंदिर में
बस केवल मां की मूरत है

मां सरस्‍वती लक्ष्‍मी दुर्गा
अनुसूया मरियम सीता है
मां पावनता में रामचरित
मानस है भगवत गीता है

अम्‍मा तेरी हर बात मुझे
वरदान से बढकर लगती है
हे मां तेरी सूरत मुझको
भगवान से बढकर लगती है

सारे तीरथ के पुण्‍य जहां
मैं उन चरणों में लेटा हूं
जिनके कोई सन्‍तान नहीं
मैं उन मांओं का बेटा हूं

हर घर में मां की पूजा हो
ऐसा संकल्‍प उठाता हूं
मैं (कमल अग्रवाल) दुनियां की हर मां के
चरणों में ये शीश झुकाता हूं...

शनिवार, 4 नवंबर 2017

मम्मी, मैया, माई, मां

लेती नहीं दवाई मां
जोड़े पाई-पाई मां

दुःख थे पर्वत, राई मां
हारी नहीं लड़ाई मां

इस दुनियां में सब मैले हैं,
किस दुनियां से आई मां

दुनिया के सब रिश्ते ठंडे,
गरमागर्म रजाई मां

जब भी कोई रिश्ता उधड़े,
करती है तुरपाई मां

बाबू जी तनख़ा लाये बस,
लेकिन बरक़त लाई मां

बाबूजी थे सख्त मगर ,
माखन और मलाई मां

बाबूजी के पाँव दबा कर
सब तीरथ हो आई मां

नाम सभी हैं गुड़ से मीठे,
मम्मी, मैया, माई, मां

सभी साड़ियाँ छीज गई थीं,
मगर नहीं कह पाई  मां

घर में चूल्हे मत बाँटो रे,
देती रही दुहाई मां

बाबूजी बीमार पड़े जब,
साथ-साथ मुरझाई मां

रोती है लेकिन छुप-छुप कर,
बड़े सब्र की जाई मां

लड़ते-लड़ते, सहते-सहते,
रह गई एक तिहाई मां

बेटी रहे ससुराल में खुश,
सब ज़ेवर दे आई मां

मां से घर, घर लगता हैं,
घर में घुली, समाई मां

बेटे की कुर्सी है ऊँची,
पर उसकी ऊँचाईमां

दर्द बड़ा हो या छोटा हो,
याद हमेशा आई मां

घर के शगुन सभी मां से,
हैं घर की शहनाई मां

सभी पराये हो जाते हैं,
होती नहीं पराई मां

गुरुवार, 2 नवंबर 2017

यह(भारत) अजीब मुल्क हैं...

यह अजीब मुल्क है, रिश्वत सुविधा शुल्क है ।
काम होगा मरजी से, जल्दी है तो शुल्क है ।

यह नदियों का मुल्क है, पानी भी भरपूर है ।
बोतल में बिकता है, पन्द्रह रू. शुल्क है ।

यह शिक्षकों का मुल्क है, स्कूल भी खुब है ।
बच्चे पढने जाते नहीं, पाठशालाएं  नि:शुल्क है ।

यह गरीबों का मुल्क है, जनसंख्या भी भरपूर है ।
परिवार नियोजन मानते नहीं, नसबन्दी नि:शुल्क है ।

यह अजीब मुल्क है, निर्बलों पर हर शुल्क है ।
अगर आप हो बाहुबली, हर सुविधा नि:शुल्क है ।

यह अपना ही मुल्क है, कर कुछ सकते नहीं,
कह कुछ सकते नहीं, बोलना नि : शुल्क है ।

यह शादियों का मुल्क है, दान दहेज भी खुब है ।
शादी करने को पैसा नहीं, कोर्ट मेरिज नि:शुल्क है ।

यह पर्यटन मुल्क है, रेले भी खुब है ।
बिना टिकट पकङे गये, रोटी कपङा नि : शुल्क है ।

यह धनी मुल्क है, कपङे खऱिदने को पैसे नहीं ।
आधे कपङे पहन के कहते, यह हमारी शान है ।

यह अजीब मुल्क है, हर जरूरत पर शुल्क है ।
ढूंढ कर देते है लोग सलाह नि : शुल्क है ।

यह आवाम का मुल्क है, रहबर चुनने का हक है ।
वोट देने जाते नहीं, मतदान  नि : शुल्क है ।

यह अजीब मुल्क है, यह अजीब मुल्क है ।