बुधवार, 10 फ़रवरी 2021

सृष्टि के कण-कण में जीवन... ये बतलाया हिन्दु ने...

दौड़ रहा है लावा बनकर...
खून रगों में हिन्दु का...
     भारत माँ को छोड़ झुका कब!
शीश पगों में हिन्दु का...
     सृष्टि के कण-कण में जीवन...
ये बतलाया हिन्दु ने...
     है पूरा ब्रह्माण्ड ब्रह्ममय...
ज्ञान सिखाया हिन्दु ने...
     वेदों को रच के अदभुद...
मन्त्र सिखाये हिन्दु ने...
     ईश्वर को धरती पर...
तार बनाये हिन्दु ने...
     परशुराम-सा तेज, राम-सा
त्याग मिलेगा हिन्दु में...
     लक्ष्मण और भरत जैसा...
वैराग मिलेगा हिन्दु में...
     अनुसूया और सीता जैसी...
नारी मिलेगी हिन्दु में...
     लक्ष्मीबाई चेनम्मा झल-करी
मिलती हिन्दु में...
     वीर शिवजी जैसे योद्धा...
वीर मिलेंगे हिन्दु में...
     राणा सांगा वीर युध्द के
धीर मिलेंगे हिन्दु में...
     अर्जुन और कर्ण जैसे
तीर मिलेंगे हिन्दु में...
     भीष्म पितामह जैसे भी
प्रण वीर मिलेंगे हिन्दु में...
     तुलसी सुर कबीर जैसा
भक्त हुआ वो हिन्दु हैं।
     किन्तु धर्म के लिए वज्र-सा
सख्त हुआ वो हिन्दु हैं।
     प्रलयकाल के वेग सरीखा
फिर प्रलयकर हिन्दु हैं।
     रखे तीसरा नेत्र क्रोध का
मानो शंकर हिन्दु हैं।
     सुने विश्व हिंदुत्व शक्ति अब
जाग उठी है हिन्दु में...
     शांत पड़ी थी बरसो से
आग उठी है हिन्दु में...
  
                    🙏 जय श्री राम ⛳

रविवार, 7 फ़रवरी 2021

गुलाब और कमल

भीनी-भीनी खुशबू से जो पूरे जंगल को महका जाता...🌹
रहता है कांटों में मगर सबको सुख का अनुभव करा जाता,
दुख दर्द सहकर भी कभी किसी को अपना दर्द न दिखा पाता,
कहते हैं गुलाब उसको जो हमेशा उपवन का राजा कहलाता...
भीनी-भीनी खुशबू से जहां सारा जहां सुगंधित हो जाता...🌹
वहीं कांटों में रहकर भी चेहरे पर सबके मुस्कान सजा जाता...

है कमल पुष्प राज़ जो भगवान विष्णु का प्रिय कहलाता...
होता है कमल जहां वह तड़ाग भी सुन्दर सरोवर बन जाता,
कीचड़ में खिलता है मगर परम पवित्र कहलाता हैं। 💮
है धन्य पुरुष वो जो हर संकट से हंसकर तर जाता हैं।

जीवन की कहानी इन दो पुष्पों पर आधारित हो जाती है।
कहीं कांटों में खिलती जवानी और कहीं कीचड़ की निशानी है।
क्या खेल है कुदरत का कहीं कांटों का उपहार मिलता हैं,
तो कहीं कीचड़ की सौगात का प्रसाद सजता है।
फिर भी फूल का काम है खिलना वह हर हाल में खिलता है।
कमल और गुलाब का सार जैसे हर जीवन में सजता है।
जब भी दुख और घनघोर संकट से कभी घबरा जाओ तुम...
कर लेना याद कमल और गुलाब को संकट में फंस जाओ तुम...
संकटमोचक बनकर उबार ले जायेंगे कमल और गुलाब
तब याद रखना जीवन का समझ में आयेगा सही सार...

- चन्द्र शेखर मार्कंडेय