रविवार, 20 दिसंबर 2020

कौन था वह गुरुकुल वासी #स्वामी_श्रद्धानंद

23 दिसंबर - स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस

संगीनों के आगे सीना, खोल खड़ा था सन्यासी...⛳
सिंह सरीखा निर्भय था जो, कौन था वो गुरुकुलवासी

जिस दिन हुआ बरेली में था, दर्शन उसे दयानंद का...
उस दिन मुंशीराम के उर में, बीज पड़ा श्रद्धानंद का...
आस्तिकता के अंकुर फूटे, जीवन ने अंगड़ाई ली...
देश-धर्म का बना वो प्रहरी, जग से मोल लड़ाई ली...
नास्तिक मुंशीराम बन गया, पक्का ईश्वर-विश्वासी...
कौन था वो गुरुकुलवासी..?

किसने ‘शुद्धि’ की बजा बांसुरी, बिछड़े भाई बुलाये थे।
किसने घटती आबादी पर, सारे हिन्दू चेताये थे...
किसने उद्धार किया दलितों का, जाति के बंधन तोड़े...
छुआछूत का भेद मिटाया, दिल से दिल के रिश्ते जोड़े...
दृढ़ संकल्पी पर उपकारी, संस्कृत प्रेमी हिन्दीभाषी...
कौन था वो गुरुकुलवासी..?

गाँधी ने जिसके चरण छुए, हरजन ने जिसको नमन किया।
गुरुकुल की शिक्षा ज़िन्दा की, वेदों का फिर से स्तवन किया।
‘शुद्धि’ का चक्र नहीं थमता, भारत का विभाजन न होता..!
यदि श्रद्धानंद-सा राष्ट्रभक्त, मृत्यु की नींद नहीं सोता..!
अंग्रेजों का प्रबल विरोधी, संघर्षों का अभ्यासी...
कौन था वो गुरुकुलवासी..?

था पलंग पर निपट अकेला, रुग्ण-निहत्था सन्यासी...
मार के गोली प्राण ले गया, ‘अब्दुल रशीद’ सत्यानाशी...
एक बार देखा फिर जग ने, नंगा चेहरा इस्लाम का...
मानवता का शत्रु है ये, मज़हब नहीं ईमान का..!
राष्ट्र-यज्ञ में स्वाह हो गया, सबकी मुक्ति का अभिलाषी...
कौन था वो गुरुकुलवासी... 🙏🏻⛳

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2020

पूंजीवाद

किसी गांव में दस हजार गरीब हो और दो आदमी उनमें से मेहनत करके अमीर हो जाएं तो बाकी नौ हजार नौ सौ निन्यानवे लोग कहेंगे कि इन दो आदमियों ने अमीर होकर हमको गरीब कर दिया। और कोई यह नहीं पूछता कि जब ये दो आदमी अमीर नहीं थे तब तुम अमीर थे? तुम्हारे पास कोई संपत्ति थी, जो इन्होंने चूस ली। नहीं तो शोषण का मतलब क्या होता है? अगर हमारे पास था ही नहीं तो शोषण कैसे हो सकता है? शोषण उसका हो सकता है जिसके पास हो। अमीर के न होने पर हिन्दुस्तान में गरीब नहीं था? हां, गरीबी का पता नहीं चलता था। क्योंकि पता चलने के लिए कुछ लोगों का अमीर हो जाना आवश्यक है। तब गरीबी का बोध होना शुरू होता है। बड़े आश्चर्य की बात है, जो लोग मेहनत करें, बुद्धि लगाएं, श्रम करें और अगर थोड़ी-बहुत संपत्ति इकट्ठा कर लें तो ऐसा लगता है कि इन लोगों ने बड़ा अन्याय किया होगा।

पूंजीवाद शोषण की व्यवस्था नहीं है। पूंजीवाद एक व्यवस्था है श्रम को पूंजी में कन्वर्ट करने की। श्रम को पूंजी में रूपांतरित करने की व्यवस्था है। लेकिन जब आपका श्रम रूपांतरित होता है, जब आपको या मुझे दो रुपए मेरे श्रम के मिल जाते हैं तो मैं देखता हूं जिसने मुझे दो रुपए दिए उसके पास कार भी है, बंगला भी खड़ा होता जाता है। स्वभावत: तब मुझे खयाल आता है कि मेरा कुछ शोषण हो रहा है। और मेरे पास कुछ भी नहीं था उसका शोषण हुआ।