गुरुवार, 29 सितंबर 2022

मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं...

 एक टेलीफोन साक्षात्कार में भारतीय अरबपति रतनजी टाटा से रेडियो प्रस्तोता ने पूछा : सर आपको क्या याद है कि आपको जीवन में सबसे अधिक खुशी कब मिली..?

रतनजी टाटा ने कहा : मैं जीवन में खुशी के चार चरणों से गुजरा हूं और आखिरकार मुझे सच्चे सुख का अर्थ समझ में आया।
पहला चरण धन और साधन संचय करना था लेकिन इस स्तर पर मुझे वह सुख नहीं मिला, जो मैं चाहता था।
फिर क़ीमती सामान और वस्तुओं को इकट्ठा करने का दूसरा चरण आया, लेकिन मैंने महसूस किया कि इस चीज का असर भी अस्थायी होता है और कीमती चीजों की चमक ज्यादा देर तक नहीं रहती..!
फिर आया बड़ा प्रोजेक्ट मिलने का तीसरा चरण... वह तब था जब भारत और अफ्रीका में डीजल की आपूर्ति का 95% मेरे पास था, मैं भारत और एशिया में सबसे बड़ा इस्पात कारखाने मालिक भी था, लेकिन यहां भी मुझे वो खुशी नहीं मिली जिसकी मैंने कल्पना की थी।
चौथा चरण वह समय था, जब मेरे एक मित्र ने मुझे कुछ विकलांग बच्चों के लिए व्हील चेयर खरीदने के लिए कहा... लगभग 200 बच्चे थे, दोस्त के कहने पर मैंने तुरन्त व्हील चेयर खरीद ली... लेकिन दोस्त ने ज़िद की कि मैं उसके साथ जाऊं और बच्चों को व्हील चेयर भेंट करूँ... मैं तैयार होकर उनके साथ चल दिया, वहाँ मैंने सारे पात्र बच्चों को अपने हाथों से व्हील चेयर दीं... मैंने इन बच्चों के चेहरों पर खुशी की अजीब सी चमक देखी... मैंने उन सभी को व्हील चेयर पर बैठे, घूमते और मस्ती करते देखा... यह ऐसा था जैसे वे किसी पिकनिक स्पॉट पर पहुंच गए हों, जहां वे बड़ा उपहार जीतकर शेयर कर रहे हो... मुझे उस दिन अपने अन्दर असली खुशी महसूस हुई।
जब मैं वहाँ से वापस जाने को हुआ तो उन बच्चों में से एक ने मेरी टांग पकड़ ली, मैंने धीरे से अपने पैर को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन बच्चे ने मुझे नहीं छोड़ा और उसने मेरे चेहरे को देखा और मेरे पैरों को और कसकर पकड़ लिया।
मैं झुक गया और बच्चे से पूछा : क्या तुम्हें कुछ और चाहिए..?
तब उस बच्चे ने मुझे जो जवाब दिया, उसने न केवल मुझे झकझोर दिया बल्कि जीवन के प्रति मेरे दृष्टिकोण को भी पूरी तरह से बदल दिया।
उस बच्चे ने कहा था- मैं आपका चेहरा याद रखना चाहता हूं ताकि जब मैं आपसे स्वर्ग में मिलूं, तो मैं आपको पहचान सकूं और एक बार फिर आपका धन्यवाद कर सकूं...

उपरोक्त शानदार कहानी का मर्म यह है कि हम सभी को अपने अंतर्मन में झांकना चाहिए और यह मनन अवश्य करना चाहिए कि इस जीवन और संसार और सारी सांसारिक गतिविधियों
को छोड़ने के बाद आपको किसलिए याद किया जाएगा..?

क्या कोई आपका चेहरा फिर से देखना चाहेगा..! यह बहुत मायने रखता हैं।

         रतन टाटा जी 25 वर्ष         रतन टाटा जी 84 वर्ष
साभार

चार युग और उनकी विशेषताएं...

युग शब्द का अर्थ होता है "एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि" जैसे सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलियुग आदि... आज हम चारों युगों का वर्णन करेंगें... 
युग वर्णन से तात्पर्य है कि उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊँचाई एवं उनमें होने वाले अवतारों के बारे में विस्तार से परिचय देना... 
प्रत्येक युग के वर्ष प्रमाण और उनकी विस्तृत जानकारी कुछ इस तरह है...

1. सत्ययुग: यह प्रथम युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है...

सत्ययुग का तीर्थ: पुष्कर है।

इस युग में पाप की मात्र: 0 विश्वा अर्थात् (0%) होती है।
इस युग में पुण्य की मात्रा: 20 विश्वा अर्थात् (100%) होती हैं।

इस युग के अवतार: मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह (सभी अमानवीय अवतार हुए) है। अवतार होने का कारण, शंखासुर का वध एंव वेदों का उद्धार, पृथ्वी का भार हरण, हरिण्याक्ष दैत्य का वध, हिरण्यकश्यपु का वध एवं प्रह्लाद को सुख देने के लिए...

इस युग की मुद्रा: रत्नमय है।
इस युग के पात्र: स्वर्ण के है।
काल: 17,28000 वर्ष
मनुष्य की लंबाई: 32 फ़ीट
आयु: 1 लाख वर्ष

2. त्रेतायुग: यह द्वितीय युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है...

त्रेतायुग का तीर्थ: नैमिषारण्य है।

इस युग में पाप की मात्रा: 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है।
इस युग में पुण्य की मात्रा: 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है।
इस युग के अवतार: वामन, परशुराम, राम (राजा दशरथ के घर)

अवतार होने के कारण: बलि का उद्धार कर पाताल भेजा, मदान्ध क्षत्रियों का संहार, रावण-वध एवं देवों को बन्धनमुक्त करने के लिए...

इस युग की मुद्रा: स्वर्ण है।
इस युग के पात्र: चाँदी के है।
काल: 12,96,000 वर्ष
मनुष्य की लंबाई: 21 फ़ीट
आयु: 10,000 वर्ष

3. द्वापरयुग: यह तृतीय युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है...

द्वापरयुग का तीर्थ: कुरुक्षेत्र है।

इस युग में पाप की मात्रा: 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है।
इस युग में पुण्य की मात्रा: 10 विश्वा अर्थात् (50%) होती है।
इस युग के अवतार: कृष्ण, (देवकी के गर्भ से एंव नंद के घर पालन-पोषण)

अवतार होने के कारण: कंसादि दुष्टो का संहार एंव गोपों की भलाई, दैत्यो को मोहित करने के लिए...

इस युग की मुद्रा: चाँदी है।
इस युग के पात्र: ताम्र के हैं।
काल: 8,64,000 वर्ष
मनुष्य की लंबाई: 11 फ़ीट
आयु: 1,000 वर्ष

4. कलियुग: यह चतुर्थ युग है इस युग की विशेषताएं इस प्रकार है...

कलियुग का तीर्थ: गंगा है।

इस युग में पाप की मात्रा: 15 विश्वा अर्थात् (75%) होती है।
इस युग में पुण्य की मात्रा: 5 विश्वा अर्थात् (25%) होती है।
इस युग के अवतार: कल्कि (ब्राह्मण विष्णु यश के घर)

अवतार होने के कारण: मनुष्य जाति के उद्धार अधर्मियों का विनाश एंव धर्म कि रक्षा के लिए...

इस युग की मुद्रा: लोहा है।
इस युग के पात्र: मिट्टी के है।
काल: 4,32,000 वर्ष
मनुष्य की लंबाई: 5.5 फ़ीट
आयु: 60-100 वर्ष