शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

Bed vs खाट

क्या आपको पता हैं :
सोने के लिए खाट हमारे पूर्वजों की सर्वोत्तम खोज है। हमारे पूर्वजों को क्या लकड़ी को चीरना नहीं जानते थे..? वे भी लकड़ी चीरकर उसकी पट्टियाँ बनाकर डबल बेड बना सकते थे। डबल बेड बनाना कोई रॉकेट सायंस नहीं हैं..! लकड़ी की पट्टियों में कीलें ही ठोंकनी होती हैं। चारपाई भी भले कोई सायंस नहीं है, लेकिन एक समझदारी है कि कैसे शरीर को अधिक आराम मिल सकें... चारपाई बनाना एक कला है, उसे रस्सी से बुनना पड़ता है और उसमें दिमाग और श्रम लगता हैं।
जब हम सोते हैं, तब सिर और पांव के मुकाबले पेट को अधिक खून की जरूरत होती है; क्योंकि रात हो या दोपहर में लोग अक्सर खाने के बाद ही सोते हैं, पेट को पाचनक्रिया के लिए अधिक खून की जरूरत होती है। इसलिए सोते समय चारपाई की जोली ही इस स्वास्थ का लाभ पहुंचा सकती है।

दुनिया में जितनी भी आरामकुर्सियां देख लें, सभी में चारपाई की तरह जोली बनाई जाती है। बच्चों का पुराना पालना सिर्फ कपड़ की जोली का था, लकड़ का सपाट बनाकर उसे भी बिगाड़ दिया गया हैं। चारपाई पर सोने से कमर और पीठ का दर्द का दर्द कभी नहीं होता..! दर्द होने पर चारपाई पर सोने की सलाह दी जाती हैं।

डबलबेड के नीचे अंधेरा होता है, उसमें रोग के कीटाणु पनपते हैं। वजन में भारी होता है तो रोज-रोज सफाई नहीं हो सकती..! चारपाई को रोज सुबह खड़ा कर दिया जाता है और सफाई भी हो जाती है, सूरज का प्रकाश बहुत बढ़िया कीटनाशक हैं। खटिये को धूप में रखने से खटमल इत्यादि भी नहीं लगते हैं।

अगर किसी को डॉक्टर Bed Rest लिख देता है तो दो-तीन दिन में उसको English Bed पर लेटने से Bed-Soar शुरू हो जाता है। भारतीय चारपाई ऐसे मरीजों के बहुत काम की होती है । चारपाई पर Bed Soar नहीं होता क्योंकि इसमें से हवा आर-पार होती रहती हैं।

गर्मियों में इंग्लिश Bed गर्म हो जाता हैं इसलिए AC की अधिक जरुरत पड़ती हैं, जबकि चारपाई पर नीचे से हवा लगने के कारण गर्मी बहुत कम लगती है। बान की चारपाई पर सोने से सारी रात Automatically सारे शारीर का Acupressure होता रहता हैं।

गर्मी में छत पर चारपाई डालकर सोने का आनंद ही और हैं। ताज़ी हवा, बदलता मौसम, तारों की छाव, चन्द्रमा की शीतलता जीवन में उमंग भर देती हैं। हर घर में एक स्वदेशी बाण की बुनी हुई (प्लास्टिक की नहीं ) चारपाई होनी ही चाहिए।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2022

दुष्कर्मी रावण

आज कल आप जहाँ देखिये रावण को ब्राह्मण बताकर, उसका महिमामंडन करना एक आम बात हो चुकी है। यहां तक की दशहरे पर रावण के प्रतीक को जलाने पर भी विरोध के स्वर जगह-जगह से सुनाई देने लगे हैं। कुछ ब्राह्मण अनजाने में ही हिन्दू धर्म के धुर विरोधी वामपंथियों और धर्म विरोधयों की कुत्सित चालों का अनजाने में ही शिकार बनकर, पूरे हिन्दू समाज में आपसी विद्वेष फ़ैलाने की प्रायोजित चाल का मोहरा बन चुके हैं। वामपंथियों और हिन्दू विरोधियों का ये वही गैंग है, जो कभी होली तो कभी श्राद्ध और कभी भगवान शिव के जलाभिषेक पर सवाल खड़े करता है।

यहाँ आप रावण के उन चौदह प्रकार के दुष्कर्मों का प्रामाणिक वर्णन पढेंगे जिससे आप स्वयं ही रावण की मानसिक प्रवृत्ति और दुर्गुणों का अनुमान लगा सकते हैं और आपको यह ज्ञात हो जायेगा कि रावण का महिमामंडन करने वाले किस प्रकार मानवता एवं हिन्दू धर्म के विरोधी हैं।

१- ब्रह्महत्यारा रावण - जो ब्राह्मण, रावण को ब्राह्मण बताकर अपनी छाती फुलाते हैं, वे जान लें कि उनके पूर्वजों की हत्या रावण ने की थी। वह ब्राह्मण द्रोही था, रावण ने हजारों ब्राह्मण साधुओं की हत्या सिर्फ इसलिए करवा दी क्योंकि वो भगवान का हवन-पूजन इत्यादि धार्मिक कर्म करते थे -

" प्राप्तयज्ञहरं दुष्टं ब्रह्मघ्नं क्रूरकारिणम्। " - (वा०रा० ०३-३२-२०)

२- महाकामी रावण - रावण वासना का आदी था, इसमें कदापि संदेह नहीं है। रम्भा, पुजिकस्थला नामक अप्सराएँ और यहाँ तक की अपने भाई कुबेर के पुत्र नल कुबेर की पत्नी के साथ भी रावण ने व्याभिचार किया था। साथ ही अनेक अप्सराओं एवं देवकन्याओं का हरण एवं शीलभंग उसने किया था, यह वाल्मीकीय रामायण से ज्ञात हो जाता है।

३-. शराबी रावण - रावण शराब का सेवन करता था, अर्थात् वह शराबी भी था। स्वयं उसकी बहन शूर्पणखा उसे कोसती हुई कहती है -

"करसि पान सोवसि दिन राती।

सुधि नहिं तव सिर पर आराती।।" - मानस ०३-२१-०७

अर्थात् तेरे सिर पर संकट आ खड़ा है और तू(रावण) है कि शराब पीकर दिन-रात सोता रहता है।

४-. यज्ञ नष्ट करने वाला रावण - "प्राप्तयज्ञहरं" अर्थात् रावण यज्ञ को नष्ट कर देने वाला था। विश्वामित्रादि मुनियों को सताने के लिए एवं उनके यज्ञों को नष्ट करने के लिए ही उसने ताड़का, मारीच, सुबाहु इत्यादि को नियुक्त कर रखा था।

५-. महाक्रोधी रावण- भगवतगीता में कहा गया है कि काम में बाधा उत्पन्न होने पर वह क्रोध में परिवर्तित हो जाता है -

"काम एष क्रोध एष रजोगुणसमुद्भवः।

महाशनो महापाप्मा विद्ध्येनमिह वैरिणम्।।" - ( गीता ०३-३७ )

रावण को इतना क्रोध था कि वह अशोक वाटिका में "वार्यमाणः सुसंक्रुद्ध: "- ( वा०रा० युद्धकाण्ड९२/४५) सीताजी को मारने दौड़ा।

इसके ठीक पहले अर्थात् चौवालीसवें श्लोक में रावण के लिए "रावणः क्रोधमूर्छित:" शब्द का प्रयोग किया गया अर्थात् रावण क्रोध से अचेत-सा होकर सीताजी की ओर दौड़ा...

६- शिवद्रोही रावण - भुजाओं पर कैलाश को उठाना, साक्षात् शिव हनुमान् जी का अपमान करना और शिव के बारम्बार समझाने पर भी उनकी बात न मानना, उनकी अवहेलना करना, ये सभी तथ्य रावण को शिवभक्त से अधिक शिवद्रोही के रूप में प्रदर्शित करते हैं। भक्त का स्वरूप तो भगवान के प्रति समर्पण होता है, न कि स्वयं को भगवान से उच्च सिद्ध करने का प्रयास...

७--. अतिलोभी रावण - शिवजी ने पार्वतीजी के लिए स्वर्णमयी लंका की रचना कराई परन्तु लोभी रावण ने ब्राह्मण रूप धारण कर, उसे भी शंकर जी से ले लिया। इसके अलावा अपने भाई कुबेर से उसने बलपूर्वक पुष्पक विमान भी छीन लिया।

८. गाली देने वाला रावण - रावण गाली-गलौज भी करता था। मारीच को रावण ने कैसे गाली दी, इसे गोस्वामी तुलसीदास जी के शब्दों में पढ़िए -
"जाहु भवन कुल कुसल बिचारी।
सुनत जरा दीन्हिसि बहु गारी।।" - (मानस ०३-२६-०१)


९. बहनोई का हत्यारा रावण - जिस शूर्पणखा के अपमान का बदला रावण द्वारा लिए जाने की बात लोग कहते हैं, उस शूर्पणखा को विधवा भी रावण ने ही बनाया था। उसके पति विद्युतमाली की हत्या रावण ने की थी। वस्तुतः रावण ने शूर्पणखा के अपमान का कोई बदला नहीं लिया बल्कि सीताजी के सौंदर्य का स्मरण कर उसके मन मे काम उदित हो आया तथा श्रीराम के प्रति द्वेष बुद्धि का भी उदय हो गया।


१०. नारी द्रोही रावण - रावण नारी का अपमान करने के लिए कुख्यात था। महिलाओं का शील भंग करना तो उसके बाएँ हाथ का खेल था। पुत्र वधू रम्भा का बलात्कार करने में भी उसे तनिक लज्जा की अनुभूति नहीं हुई।
इधर-उधर से उसने अनेक स्त्रियों का अपहरण भी किया था -
"बह्वीनामुत्तमस्त्रीणामाहृतानामितस्ततः।
सर्वासामेव भद्रं ते ममाग्रमहिषी भव।।" (वा०रा० ०३.४७.२८)

११. गौ हत्यारा रावण - रावण और उसकी सेना गौ और ब्राह्मण की हत्या करते थे। प्रमाण देखिए...
"जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहिं।
नगर गाउँ पुर आगि लगावहिं।।" -(मानस०१-१८३-०६,)

१२. वेदों का विरोधी रावण – कहा जाता है कि रावण चारों वेदों का ज्ञाता था किन्तु रावण के सारे काम वेद विरोधी थे। वेद-पुराण का अध्ययन एवं श्रवण करने वालों को वह प्रताड़ित करता था -
जेहि बिधि होइ धर्म निर्मूला। सो सब करहिं बेद प्रतिकूला।। - (मानस ०१-१८३-०५)
नहिं हरिभगति जग्य तप ग्याना। सपनेहुँ सुनिअ न बेद पुराना।। - (मानस ०१- १८३- ०८)
तेहि बहुबिधि त्रासइ देस निकासइ जो कह बेद पुराना।। - ( मानस ०१- १८३- छंद )

१३. बूढ़ों का अपमान करने वाला रावण - रावण वृद्धजनों का अपमान करता था। वयोवृद्ध माल्यवंत को फटकारते हुए रावण ने कहा था कि " याद रख! तू बूढ़ा हो गया है इसलिए तुझे पीट नहीं रहा हूँ।"
"ताके बचन बान सम लागे। करिआ मुह करि जाहि अभागे।।
बूढ़ भएसि न त मरतेउँ तोही। अब जनि नयन देखावसि मोही।।" - ( मानस ०६-४९-०३)

१४. बहुरूपिया छली रावण - सन्यासी का रूप धारण कर अकेली महिला का अपहरण करने वाले को आप छली नहीं तो क्या योद्धा कहेंगे..? यदि रावण इतना ही बड़ा योद्धा था, तो फिर रामजी की उपस्थिति में सीताजी का हरण क्यों नहीं किया..! विचार करें...

इस लेख में संक्षिप्त रूप से रावण के चौदह दुर्गुणों की चर्चा की गयी है। यहाँ एक और बात स्मरण में रखें कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् श्रीराम ही हमारे आदर्श हो सकते हैं, रावण जैसा दुष्कर्मी कदापि नहीं..!


✍🏻पं. अनुराग मिश्र “अनु”
आध्यात्मिक लेखक व कवि