रविवार, 28 मार्च 2021

होली की परंपराओं और रंगों से सेहत का सीधा जुड़ाव है। जानिए क्या है इसका विज्ञान...

होलिका की परिक्रमा करने से खत्म होते हैं बैक्टीरिया और रंगों को देखने से खत्म होते हैं राेग

2 वर्ष पहले वैज्ञानिकों के मुताबिक, रंग मूड बूस्टर की तरह काम करते हैं, इजिप्ट और चीन में प्राचीन काल से रंगों से किया जाता रहा है इलाज
रंगों में हल्दी और नीम की पत्तियों का प्रयोग शरीर के लिए ब्यूटी पैक का करता है काम

बेशक होली रंगों और मस्ती का त्योंहार है लेकिन इसका उतना ही जुड़ाव सेहत से भी है। होली परंपराओं पर विज्ञान कहता है कि यह त्योहार शरीर को स्वस्थ रखने के साथ वातावरण से मच्छर, बैक्टीरिया और कीटों को खत्म करने का काम करता है। होलिका दहन के दौरान परिक्रमा करने पर शरीर में मौजूद बैक्टीरिया का दम घुटने लगता है और अधिक तापमान के संपर्क में आने से ये खत्म होने लगती हैं। होली की परंपराओं और रंगों से सेहत का सीधा जुड़ाव है। जानिए क्या है इसका विज्ञान...

1) अबीर-गुलाल का स्किन से कनेक्शन

जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्राचीनकाल से अबीर-गुलाल को कुदरती चीजों से तैयार किया जाता रहा है। इसमें फूलों से लेकर मसालों का प्रयोग किया गया है। फूलों की प्रकृति और मसालों की एंटीसेप्टिक खूबी खासतौर पर स्किन के लिए फायदेमंद है। अबीर-गुलाल जब स्किन के रोमछिद्रों से शरीर में पहुंचता है तो त्वचा के रंग में इजाफा करने के साथ बेजान पर्त को हटाता है। नेचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता के मुताबिक, प्राकृतिक रंगों में प्रयोग हल्दी, पलास के फूल, नीम की पत्तियां, मक्के का आटा, चुकंदर का रस फेसपैक और स्क्रब की तरह काम करता है और शरीर में निखार आता है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, होली के समय मौसम में बदलाव हो रहा होता है। धीरे-धीरे खत्म होती सर्दी और बढ़ती गर्मी के कारण वातावरण में बैक्टीरिया, कीट और मच्छरों की संख्या बढ़ती है। होलिका दहन के कारण अचानक वातावरण का तापमान तेजी से बढ़ने पर बैक्टीरिया और कीटों का दम घुटने लगता है। इनकी संख्या में तेजी से कमी आती है। होलिका दहन के दौरान परिक्रमा करने से बॉडी में मौजूद जीवाणु खत्म होने लगते हैं।

वैज्ञानिकों का कहना है होली में इस्तेमाल होने वाले अलग-अलग रंग एक थैरेपी की तरह काम करते हैं। कई तरह के रंग शरीर और दिमाग को संतुलित रखते हैं। साथ ही यह आपके दिमाग को बूस्ट करते हैं। इसे देखने पर शरीर में हार्मोन और रसायन रिलीज होते हैं जो रोगों से राहत दिलाते हैं। वर्तमान में रोगों को खत्म करने वाली कलर थैरेपी भी इसी खूबी का ही हिस्सा है। वहीं इजिप्ट और चीन में इसका इस्तेमाल प्राचीन समय से इलाज के तौर पर किया जा रहा है। जैसे…

लाल : यह रंग गर्म प्रकृति का होने के कारण दर्द के इलाज के लिए बेहतर माना गया है। यह एड्रिनेलिन हार्मोन को बढ़ावा देता है। अनिद्रा, कमजोरी और रक्त से जुड़े रोगों में राहत देता है। 
पीला : यह रंग मानसिक उत्तेजना के साथ नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है। यह पेट और स्किन के साथ मांसपेशियों को भी स्ट्रेंथ देता है। पेट खराब होने और खाज खुजली के मामलों में पीला रंग फायदा पहुंचाता है।
हरा : यह प्रकृति के बेहद करीब होता है और आंखों को सुकून पहुंचाता है। हार्मोन को संतुलित रखने के साथ शरीर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। 
नीला : इसे ठंडा रंग माना जाता है और उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करता है। कलर थैरेपी में इसका इस्तेमाल सिरदर्द, सूजन, सर्दी और खांसी के उपचार में किया जाता है। 
नारंगी : यह रंग उत्साह को बढ़ाकर फेफड़ों को मजबूत बनाता है। इसलिए नारंगी रंग अस्थमा, ब्रॉन्काइटिस और किडनी इंफेक्शन के मामलों में उपयोगी साबित होता है। 


बुधवार, 24 मार्च 2021

भारतीय स्कूलों में शारीरिक सजा देने का प्राचीन वैज्ञानिक कारण...

भारतीय स्कूलों में शारीरिक सजा देने का प्राचीन वैज्ञानिक कारण जो भारत मे अप्रासंगिक हो गये है पर ....

विदेशी इसे अपना रहे हैं...

कान पकड़कर उठक-बैठक की सजा

भारत में गुरुकुल के ज़माने से आज तक स्कूल/विद्यालयों में बच्चों को उठक-बैठक की सजा देने की परम्परा चली आ रही है। दोनों हाथों को आपस में क्रॉस करके बाएं हाथ से दाहिने कान और दहिने हाथ से बाये कान को पकड़कर उठना बैठना होता था। जिस बच्चे को यह सजा मिलती वो तो शर्मसार हो जाता था, लेकिन हाल में हुई रिसर्च से पता चला है कि इस कसरत के लाभ अद्धभुत हैं।

कान पकड़कर उठक-बैठक करना यह प्राचीन योग है, जोकि दिमाग के लिए बहुत लाभदायक है। हमारे भारतीय स्कूलों में यह सजा अक्सर पढाई में कमजोर बच्चों को दी जाती है, लेकिन प्राचीन काल में ऐसा नहीं था..! उस समय गुरुकुलों में सभी को यह योग कराया जाता था। अब विदेशों में यह योग Super Brain Yoga के नाम से प्रसिद्ध हो रहा है...

हम भारतीयों का तो ऐसा है कि जब कोई ये न बोले – 'वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है...' विदेशी इसका पेटेंट करना चाहते हैं… फॉरेन साइंटिस्ट ने कहा, हम किसी बात का विश्वास ही नहीं करते..!

उठक बैठक के लाभ 

यह योग करते समय ध्यान दें कि कान के उपरी हिस्से को नहीं बल्कि निचले हिस्से (Earlobe) को पकड़ा जाता है। कान के इस हिस्से में विशेष एक्यूप्रेशर पॉइंट होते हैं, जिसे दबाने से दिमाग की विशेष तंत्रिकाओं में सक्रियता बढती है, मस्तिष्क कार्यक्षमता बढ़ती है।

इस पोजीशन में उठने बैठने से मस्तिष्क की मेमोरी सेल्स में तेजी से रक्त प्रवाह होता है। दिमाग के बाये और दायें हिस्सों की कार्यप्रणाली में सामंजस्य स्थापित होता है, जिससे कि मन शांत और केन्द्रित होता है। फलस्वरूप याददाश्त तेज होती है और दिमाग तेज होता है।

यह योग करने से Autism, Asperger’s syndrome जैसी दिमागी बीमारियाँ, सीखने और व्यवहार सम्बन्धित रोग में भी लाभ मिलता है। इसी लाभ के कारण कक्षा के कमजोर और शरारती बच्चों को यह योग करवाया जाता था, लेकिन इसे कोई भी करे उसे लाभ ही मिलेगा।

उठक-बैठक कैसे करें..?

सामने देखते हुए सीधे खड़े हों, ठुड्डी जमीन के समानांतर हो... दोनों पैर कंधो की चौड़ाई जितना दूरी पर हो और पंजे सीधे हों... अब सीने के सामने से दोनों हाथो को क्रॉस करते हुए बाएं हाथ से दाहिने कान का निचला हिस्सा और दाहिने हाथ से बाएं कान का निचला हिस्सा पकड़ें... कान न बहुत तेजी से दबाएँ कि एकदम लाल ही हो जाएँ न एकदम हल्के से. मध्यम प्रेशर लगाते हुए पकड़ें, कान के सिरे को अंगूठे और पहली ऊँगली के बीच पकड़ें... अंगूठे ऊपर की तरफ हो और ऊँगली पीछे जाये... हाथ सीने के ऊपर हों, जिसमें दाहिना हाथ ऊपर आये... सामने देखते हुए धीरे-धीरे बैठना शुरू करें, आराम से जितना झुक सकें झुकें फिर धीरे-धीरे उठ खड़े हों... बैठक लगाते समय सांस छोड़ें और उठक लगाते समय सांस लें... एक बार में 1 से 3 मिनट तक यह करें। उठक-बैठक के तुरंत बाद आप अनुभव करेंगे कि दिमाग शांत होता है और फ्रेश ऊर्जा महसूस होती है। इस योग को करने से तुरंत लाभ तो मिलते हैं, लेकिन करीब 3 हफ्ते तक करने से ही बड़े बदलाव महसूस होंगे। यह योग करते समय जीभ को तालू से सटाकर रखें, अधिक लाभ मिलेगा।

मंगलवार, 23 मार्च 2021

शिवलिंग एक Radioactive Cource Container

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे...
भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। 
▪️ शिवलिंग एक Radioactive Cource Container है। जाग्रत शिवलिंग Live source का Container है, बाकी सब प्रतीक हैं। चूंकि Source गर्म हो जाता है, इसलिये इस पर लगातार जल की बूंदे डाली जाती हैं।
▪️शिवालय में शिवलिंग नीचे तल पर होता है, ताकि इसका पानी बाहर न छलके क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। 
▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं।
▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। 
▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।
▪️ पहले के जमाने में शिवालय हमेशा बस्ती से बाहर वीराने में पाये जाते थे, जैसे कि परमाणु बिजलीघर आज भी बस्ती से बाहर वीराने में बनाये जाते हैं।
▪️ भगवान शिव को परमाणु शक्ति का अधिपति माना जा सकता है। 
 शिवजी के साथ उन के प्रतीक चिन्ह भी होते हैं, उनके पीछे का विज्ञान समझिए...
त्रिशूल - अल्फा, बीटा तथा गामा किरणों का प्रतीक
सांप - Cooling Coils
डमरू - Emergency Siren
नंदी - Emergency Vehicle
भूतगण - Radiation Workers जो रेडिएशन के असर से वैसे दिखते हैं।
शिवजी का क्रोध ( तांडव ) - Nuclear Disaster
पाशुपतास्त्र - Nuclear Weapon
▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। 
महाकाल उज्जैन से शेष ज्योतिर्लिंगों के बीच का सम्बन्ध (दूरी) देखिये -
▪️ उज्जैन से सोमनाथ- 777 किमी 
▪️ उज्जैन से ओंकारेश्वर- 111 किमी 
▪️ उज्जैन से भीमाशंकर- 666 किमी 
▪️ उज्जैन से काशी विश्वनाथ- 999 किमी 
▪️ उज्जैन से मल्लिकार्जुन- 999 किमी 
▪️ उज्जैन से केदारनाथ- 888 किमी 
▪️ उज्जैन से त्रयंबकेश्वर- 555 किमी 
▪️ उज्जैन से बैजनाथ- 999 किमी
▪️ उज्जैन से रामेश्वरम्- 1999 किमी 
▪️ उज्जैन से घृष्णेश्वर - 555 किमी 
हिन्दू धर्म में कुछ भी बिना कारण के नहीं होता था। 
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है, जो सनातन धर्म में हजारों सालों से मानते आ रहे हैं। 
इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये हैं करीब 2050 वर्ष पहले...
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायी गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
आज भी वैज्ञानिक सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिए उज्जैन ही आते हैं।
🙏🏻 सत्य सनातन धर्म की जय ⛳

शुक्रवार, 19 मार्च 2021

वो 26 आयतें...

शिया वक्फ बोर्ड पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए जनहित याचिका दायर कर दी है. रिजवी की इस मांग ने एक अलग ही तरह की बहस को जन्म दे दिया है. रिजवी के अनुसार, कुरान की इन आयतों से देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है. इस विषय पर जाने से पहले जान लेते हैं कि आखिर उन 26 आयतों मेंं ऐसा क्‍या है, जिसके कारण उन्‍हेंं वसीम रिजवी विवादित कह रहे हैं. जनहित याचिका के अनुसार, ये आयतें नकारात्मक हैं और हिंसा व नफरत को बढ़ावा देती हैं.

ये हैं वो 26 आयतें
1- Verse 9 Surah 5 فَاِذَاانْسَلَخَالۡاَشۡهُرُالۡحُـرُمُفَاقۡتُلُواالۡمُشۡرِكِيۡنَحَيۡثُوَجَدْتُّمُوۡهُمۡوَخُذُوۡهُمۡوَاحۡصُرُوۡهُمۡوَاقۡعُدُوۡالَهُمۡكُلَّمَرۡصَدٍ​ ۚفَاِنۡتَابُوۡاوَاَقَامُواالصَّلٰوةَوَاٰتَوُاالزَّكٰوةَفَخَلُّوۡاسَبِيۡلَهُمۡ​ ؕاِنَّاللّٰهَغَفُوۡرٌرَّحِيۡمٌ

मतलब: फिर, जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएं तो मुशरिकों को जहां कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो. फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है.

2- Verse 9 Surah 28 يٰۤاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡۤااِنَّمَاالۡمُشۡرِكُوۡنَنَجَسٌفَلَايَقۡرَبُواالۡمَسۡجِدَالۡحَـرَامَبَعۡدَعَامِهِمۡهٰذَا​ ۚوَاِنۡخِفۡتُمۡعَيۡلَةًفَسَوۡفَيُغۡنِيۡكُمُاللّٰهُمِنۡفَضۡلِهٖۤاِنۡشَآءَ​ ؕاِنَّاللّٰهَعَلِيۡمٌحَكِيۡمٌ

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! मुशरिक तो बस अपवित्र ही हैं. अतः इस वर्ष के पश्चात वे मस्जिदे-हराम के पास न आएँ. और यदि तुम्हें निर्धनता का भय हो तो आगे यदि अल्लाह चाहेगा तो तुम्हें अपने अनुग्रह से समृद्ध कर देगा. निश्चय ही अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, अत्यन्त तत्वदर्शी है.

3- Verse 4 Surah 101 وَاِذَاضَرَبۡتُمۡفِىالۡاَرۡضِفَلَيۡسَعَلَيۡكُمۡجُنَاحٌاَنۡتَقۡصُرُوۡامِنَالصَّلٰوةِ ​ۖاِنۡخِفۡتُمۡاَنۡيَّفۡتِنَكُمُالَّذِيۡنَكَفَرُوۡا​ ؕاِنَّالۡـكٰفِرِيۡنَكَانُوۡالَـكُمۡعَدُوًّامُّبِيۡنًا‏

मतलब: और जब तुम धरती में यात्रा करो, तो इसमें तुमपर कोई गुनाह नहीं कि नमाज़ को कुछ संक्षिप्त कर दो; यदि तुम्हें इस बात का भय हो कि विधर्मी लोग तुम्हें सताएंगे और कष्ट पहुंचाएंगे. निश्चय ही विधर्मी लोग तुम्हारे खुले शत्रु हैं.

4- Verse 9 Surah 123 يٰۤـاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡاقَاتِلُواالَّذِيۡنَيَلُوۡنَكُمۡمِّنَالۡكُفَّارِوَلۡيَجِدُوۡافِيۡكُمۡغِلۡظَةً​ ؕوَاعۡلَمُوۡاۤاَنَّاللّٰهَمَعَالۡمُتَّقِيۡنَ

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! उन इनकार करनेवालों से लड़ो जो तुम्हारे निकट हैं और चाहिए कि वे तुममें सख़्ती पाएं, और जान रखो कि अल्लाह डर रखनेवालों के साथ है.

5- Verse 4 Surah 56 اِنَّالَّذِيۡنَكَفَرُوۡابِاٰيٰتِنَاسَوۡفَنُصۡلِيۡهِمۡنَارًاؕكُلَّمَانَضِجَتۡجُلُوۡدُهُمۡبَدَّلۡنٰهُمۡجُلُوۡدًاغَيۡرَهَالِيَذُوۡقُواالۡعَذَابَ​ ؕاِنَّاللّٰهَكَانَعَزِيۡزًاحَكِيۡمًا‏

मतलब: जिन लोगों ने हमारी आयतों का इनकार किया, उन्हें हम जल्द ही आग में झोंकेंगे. जब भी उनकी खालें पक जाएंगी, तो हम उन्हें दूसरी खालों में बदल दिया करेंगे, ताकि वे यातना का मज़ा चखते ही रहें. निस्संदेह अल्लाह प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है.

याचिका के अनुसार, ये आयतें नकारात्मक हैं और हिंसा व नफरत को बढ़ावा देती हैं.

 
6- Verse 9 Surah 23 يٰۤاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡالَاتَتَّخِذُوۡۤااٰبَآءَكُمۡوَاِخۡوَانَـكُمۡاَوۡلِيَآءَاِنِاسۡتَحَبُّواالۡـكُفۡرَعَلَىالۡاِيۡمَانِ​ ؕوَمَنۡيَّتَوَلَّهُمۡمِّنۡكُمۡفَاُولٰۤـئِكَهُمُالظّٰلِمُوۡنَ‏

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! अपने बाप और अपने भाइयों को अपने मित्र न बनाओ यदि ईमान के मुक़ाबले में कुफ़्र उन्हें प्रिय हो. तुममें से जो कोई उन्हें अपना मित्र बनाएगा, तो ऐसे ही लोग अत्याचारी होंगे.

7- Verse 9 Surah 37 اِنَّمَاالنَّسِىۡٓءُزِيَادَةٌفِىالۡكُفۡرِ​ يُضَلُّبِهِالَّذِيۡنَكَفَرُوۡايُحِلُّوۡنَهٗعَامًاوَّيُحَرِّمُوۡنَهٗعَامًالِّيُوَاطِـُٔـوۡاعِدَّةَمَاحَرَّمَاللّٰهُفَيُحِلُّوۡامَاحَرَّمَاللّٰهُ​ ؕزُيِّنَلَهُمۡسُوۡۤءُاَعۡمَالِهِمۡ​ ؕوَاللّٰهُلَايَهۡدِىالۡقَوۡمَالۡـكٰفِرِيۡنَ

मतलब: (आदर के महीनों का) हटाना तो बस कुफ़्र में एक वृद्धि है, जिससे इनकार करनेवाले गुमराही में पड़ते हैं. किसी वर्ष वे उसे हलाल (वैध) ठहरा लेते हैं और किसी वर्ष उसको हराम ठहरा लेते हैं, ताकि अल्लाह के आदृत (महीनों) की संख्या पूरी कर लें, और इस प्रकार अल्लाह के हराम किए हुए को वैध ठहरा लें. उनके अपने बुरे कर्म उनके लिए सुहाने हो गए हैं और अल्लाह इनकार करनेवाले लोगों को सीधा मार्ग नहीं दिखाता.

8- Verse 5 Surah 57 يٰۤـاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡالَاتَـتَّخِذُواالَّذِيۡنَاتَّخَذُوۡادِيۡنَكُمۡهُزُوًاوَّلَعِبًامِّنَالَّذِيۡنَاُوۡتُواالۡكِتٰبَمِنۡقَبۡلِكُمۡوَالۡـكُفَّارَاَوۡلِيَآءَ​ ۚوَاتَّقُوااللّٰهَاِنۡكُنۡتُمۡمُّؤۡمِنِيۡ

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! तुमसे पहले जिनको किताब दी गई थी, जिन्होंने तुम्हारे धर्म को हंसी-खेल बना लिया है, उन्हें और इनकार करनेवालों को अपना मित्र न बनाओ. और अल्लाह का डर रखो यदि तुम ईमानवाले हो.

9- Verse 33 Surah 61 مَّلۡـعُوۡنِيۡنَ ​ۛۚاَيۡنَمَاثُقِفُوۡۤااُخِذُوۡاوَقُتِّلُوۡاتَقۡتِيۡلً

मतलब: फिटकारे हुए होंगे. जहाँ कहीं पाए गए पकड़े जाएंगे और बुरी तरह जान से मारे जाएंगे.

10- Verse 21 Surah 98 اِنَّكُمۡوَمَاتَعۡبُدُوۡنَمِنۡدُوۡنِاللّٰهِحَصَبُجَهَـنَّمَؕاَنۡـتُمۡلَهَاوَارِدُوۡنَ

मतलब: निश्चय ही तुम और वह कुछ जिनको तुम अल्लाह को छोड़कर पूजते हो सब जहन्नम के ईधन हो. तुम उसके घाट उतरोगे.

11- Verse 32 Surah 22 وَمَنۡاَظۡلَمُمِمَّنۡذُكِّرَبِاٰيٰتِرَبِّهٖثُمَّاَعۡرَضَعَنۡهَا​ؕاِنَّامِنَالۡمُجۡرِمِيۡنَمُنۡتَقِمُوۡنَ

मतलब: और उस व्यक्ति से बढ़कर अत्याचारी कौन होगा जिसे उसके रब की आयतों के द्वारा याद दिलाया जाए,फिर वह उनसे मुंह फेर ले? निश्चय ही हम अपराधियों से बदला लेकर रहेंगे.

12- Verse 48 Surah 20 وَعَدَكُمُاللّٰهُمَغَانِمَكَثِيۡرَةًتَاۡخُذُوۡنَهَافَعَجَّلَلَكُمۡهٰذِهٖوَكَفَّاَيۡدِىَالنَّاسِعَنۡكُمۡ​ۚوَلِتَكُوۡنَاٰيَةًلِّلۡمُؤۡمِنِيۡنَوَيَهۡدِيَكُمۡصِرَاطًامُّسۡتَقِيۡمًاۙ

मतलब: अल्लाह ने तुमसे बहुत-सी गनीमतों का वादा किया है, जिन्हें तुम प्राप्त करोगे. यह विजय तो उसने तुम्हें तात्कालिक रूप से निश्चित कर दी. और लोगों के हाथ तुमसे रोक दिए (कि वे तुमपर आक्रमण करने का साहस न कर सकें) और ताकि ईमानवालों के लिए एक निशानी हो. और वह सीधे मार्ग की ओर तुम्हारा मार्गदर्शन करे.

13- Verse 8 Surah 69 فَكُلُوۡامِمَّاغَنِمۡتُمۡحَلٰلاًطَيِّبًاۖوَّاتَّقُوااللّٰهَ​ ؕاِنَّاللّٰهَغَفُوۡرٌرَّحِيۡمٌ

मतलब: अतः जो कुछ ग़नीमत का माल तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो. निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है.

लेखन की कला से पहले के काल में श्रुति के आधार पर धर्मग्रंथ आगे की पीढ़ियों तक पहुंचते थे.

14- Verse 66 Surah 9يٰۤاَيُّهَاالنَّبِىُّجَاهِدِالۡكُفَّارَوَالۡمُنٰفِقِيۡنَوَاغۡلُظۡعَلَيۡهِمۡ​ؕوَمَاۡوٰٮهُمۡجَهَنَّمُ​ؕوَبِئۡسَالۡمَصِيۡرُ ‏

मतलब: ऐ नबी! इनकार करनेवालों और कपटाचारियों से जिहाद करो और उनके साथ सख़्ती से पेश आओ. उनका ठिकाना जहन्नम है और वह अन्ततः पहुंचने की बहुत बुरी जगह है.

15- Verse 41 Surah 27 فَلَـنُذِيۡقَنَّالَّذِيۡنَكَفَرُوۡاعَذَابًاشَدِيۡدًاۙوَّلَنَجۡزِيَنَّهُمۡاَسۡوَاَالَّذِىۡكَانُوۡايَعۡمَلُوۡنَ‏

मतलब: अतः हम अवश्य ही उन लोगों को, जिन्होंने इनकार किया, कठोर यातना का मज़ा चखाएँगे, और हम अवश्य उन्हें उसका बदला देंगे जो निकृष्टतम कर्म वे करते रहे हैं.

16- Verse 41 Surah 28 ذٰلِكَجَزَآءُاَعۡدَآءِاللّٰهِالنَّارُ​ ۚلَهُمۡفِيۡهَادَارُالۡخُـلۡدِ​ ؕجَزَآءًۢبِمَاكَانُوۡابِاٰيٰتِنَايَجۡحَدُوۡنَ‏

मतलब: वह है अल्लाह के शत्रुओं का बदला - आग. उसी में उनका सदा का घर है, उसके बदले में जो वे हमारी आयतों का इनकार करते रहे.

17- Verse 9 Surah 111 اِنَّاللّٰهَاشۡتَرٰىمِنَالۡمُؤۡمِنِيۡنَاَنۡفُسَهُمۡوَاَمۡوَالَهُمۡبِاَنَّلَهُمُالۡجَـنَّةَ​ ؕيُقَاتِلُوۡنَفِىۡسَبِيۡلِاللّٰهِفَيَقۡتُلُوۡنَوَيُقۡتَلُوۡنَ​وَعۡدًاعَلَيۡهِحَقًّافِىالتَّوۡرٰٮةِوَالۡاِنۡجِيۡلِوَالۡقُرۡاٰنِ​ ؕوَمَنۡاَوۡفٰىبِعَهۡدِهٖمِنَاللّٰهِفَاسۡتَـبۡشِرُوۡابِبَيۡعِكُمُالَّذِىۡبَايَعۡتُمۡبِهٖ​ؕوَذٰلِكَهُوَالۡفَوۡزُالۡعَظِيۡمُ

मतलब: निस्संदेह अल्लाह ने ईमानवालों से उनके प्राण और उनके माल इसके बदले में ख़रीद लिए हैं कि उनके लिए जन्नत है. वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं, तो वे मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं. यह उसके ज़िम्मे तौरात, इनजील और क़ुरआन में (किया गया) एक पक्का वादा है. और अल्लाह से बढ़कर अपने वादे को पूरा करनेवाला हो भी कौन सकता है? अतः अपने उस सौदे पर खु़शियाँ मनाओ, जो सौदा तुमने उससे किया है. और यही सबसे बड़ी सफलता है.

18- Verse 9 Surah 58 وَمِنۡهُمۡمَّنۡيَّلۡمِزُكَفِىالصَّدَقٰتِ​ ۚفَاِنۡاُعۡطُوۡامِنۡهَارَضُوۡاوَاِنۡلَّمۡيُعۡطَوۡامِنۡهَاۤاِذَاهُمۡيَسۡخَطُوۡنَ‏

मतलब: और उनमें से कुछ लोग सदक़ों के विषय में तुम पर चोटें करते हैं. किन्तु यदि उन्हें उसमें से दे दिया जाए तो प्रसन्न हो जाएँ और यदि उन्हें उसमें से न दिया गया तो क्या देखोगे कि वे क्रोधित होने लगते हैं.

19- Verse 8 Surah 65 يٰۤـاَيُّهَاالنَّبِىُّحَرِّضِالۡمُؤۡمِنِيۡنَعَلَىالۡقِتَالِ​ ؕاِنۡيَّكُنۡمِّنۡكُمۡعِشۡرُوۡنَصَابِرُوۡنَيَغۡلِبُوۡامِائَتَيۡنِ​ ۚوَاِنۡيَّكُنۡمِّنۡكُمۡمِّائَةٌيَّغۡلِبُوۡۤااَلۡفًامِّنَالَّذِيۡنَكَفَرُوۡابِاَنَّهُمۡقَوۡمٌلَّايَفۡقَهُوۡنَ

मतलब: ऐ नबी! मोमिनों को जिहाद पर उभारो. यदि तुम्हारे बीस आदमी जमे होंगे, तो वे दो सौ पर प्रभावी होंगे और यदि तुममें से ऐसे सौ होंगे तो वे इनकार करनेवालों में से एक हज़ार पर प्रभावी होंगे, क्योंकि वे नासमझ लोग हैं.

20- Verse 5 Surah 51 يٰۤـاَيُّهَاالَّذِيۡنَاٰمَنُوۡالَاتَتَّخِذُواالۡيَهُوۡدَوَالنَّصٰرٰۤىاَوۡلِيَآءَ ​ۘبَعۡضُهُمۡاَوۡلِيَآءُبَعۡضٍ​ؕوَمَنۡيَّتَوَلَّهُمۡمِّنۡكُمۡفَاِنَّهٗمِنۡهُمۡ​ؕاِنَّاللّٰهَلَايَهۡدِىالۡقَوۡمَالظّٰلِمِيۡنَ

मतलब: ऐ ईमान लानेवालो! तुम यहूदियों और ईसाइयों को अपना मित्र (राज़दार) न बनाओ. वे (तुम्हारे विरुद्ध) परस्पर एक-दूसरे के मित्र हैं. तुममें से जो कोई उनको अपना मित्र बनाएगा, वह उन्हीं लोगों में से होगा. निस्संदेह अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता.

21- Verse 9 Surah 29 قَاتِلُواالَّذِيۡنَلَايُؤۡمِنُوۡنَبِاللّٰهِوَلَابِالۡيَوۡمِالۡاٰخِرِوَلَايُحَرِّمُوۡنَمَاحَرَّمَاللّٰهُوَرَسُوۡلُهٗوَلَايَدِيۡنُوۡنَدِيۡنَالۡحَـقِّمِنَالَّذِيۡنَاُوۡتُواالۡـكِتٰبَحَتّٰىيُعۡطُواالۡجِزۡيَةَعَنۡيَّدٍوَّهُمۡصٰغِرُوۡنَ

मतलब: वे किताबवाले जो न अल्लाह पर ईमान रखते हैं और न अन्तिम दिन पर और न अल्लाह और उसके रसूल के हराम ठहराए हुए को हराम ठहराते हैं और न सत्यधर्म का अनुपालन करते हैं, उनसे लड़ो, यहां तक कि वे सत्ता से विलग होकर और छोटे (अधीनस्थ) बनकर जिज़्या देने लगें.

22- Verse 5 Surah 14 وَمِنَالَّذِيۡنَقَالُوۡۤااِنَّانَصٰرٰٓىاَخَذۡنَامِيۡثَاقَهُمۡفَنَسُوۡاحَظًّامِّمَّاذُكِّرُوۡابِهٖفَاَغۡرَيۡنَابَيۡنَهُمُالۡعَدَاوَةَوَالۡبَغۡضَآءَاِلٰىيَوۡمِالۡقِيٰمَةِ​ ؕوَسَوۡفَيُنَبِّئُهُمُاللّٰهُبِمَاكَانُوۡايَصۡنَعُوۡنَ‏

मतलब: और हमने उन लोगों से भी दृढ़ वचन लिया था, जिन्होंने कहा था कि हम नसारा (ईसाई) हैं, किन्तु जो कुछ उन्हें जिसके द्वारा याद कराया गया था उसका एक बड़ा भाग भुला बैठे. फिर हमने उनके बीच क़ियामत तक के लिए शत्रुता और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा, जो कुछ वे बनाते रहे थे.

23- Verse 4 Surah 89 وَدُّوۡالَوۡتَكۡفُرُوۡنَكَمَاكَفَرُوۡافَتَكُوۡنُوۡنَسَوَآءً​ فَلَاتَتَّخِذُوۡامِنۡهُمۡاَوۡلِيَآءَحَتّٰىيُهَاجِرُوۡافِىۡسَبِيۡلِاللّٰهِ​ ؕفَاِنۡتَوَلَّوۡافَخُذُوۡهُمۡوَاقۡتُلُوۡهُمۡحَيۡثُوَجَدتُّمُوۡهُمۡ​وَلَاتَتَّخِذُوۡامِنۡهُمۡوَلِيًّاوَّلَانَصِيۡرًا

मतलब: वे तो चाहते हैं कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी हैं, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घर-बार न छोड़ें. फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहां कहीं भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक

24- Verse 9 Surah 14قَاتِلُوۡهُمۡيُعَذِّبۡهُمُاللّٰهُبِاَيۡدِيۡكُمۡوَيُخۡزِهِمۡوَيَنۡصُرۡكُمۡعَلَيۡهِمۡوَيَشۡفِصُدُوۡرَقَوۡمٍمُّؤۡمِنِيۡنَۙ ‏

मतलब: उनसे लड़ो. अल्लाह तुम्हारे हाथों से उन्हें यातना देगा और उन्हें अपमानित करेगा और उनके मुक़ाबले में वह तुम्हारी सहायता करेगा. और ईमानवाले लोगों के दिलों का दुखमोचन करेगा;

25- Verse 3 Surah 151 سَنُلۡقِىۡفِىۡقُلُوۡبِالَّذِيۡنَكَفَرُواالرُّعۡبَبِمَاۤاَشۡرَكُوۡابِاللّٰهِمَالَمۡيُنَزِّلۡبِهٖسُلۡطٰنًا ​​ۚوَمَاۡوٰٮهُمُالنَّارُ​ؕوَبِئۡسَمَثۡوَىالظّٰلِمِيۡنَ

मतलब: हम शीघ्र ही इनकार करनेवालों के दिलों में धाक बिठा देंगे, इसलिए कि उन्होंने ऐसी चीज़ों को अल्लाह का साक्षी ठहराया है जिनके साथ उसने कोई सनद नहीं उतारी, और उनका ठिकाना आग (जहन्नम) है. और अत्याचारियों का क्या ही बुरा ठिकाना है.

26- Verse 2 Surah 191 وَاقۡتُلُوۡهُمۡحَيۡثُثَقِفۡتُمُوۡهُمۡوَاَخۡرِجُوۡهُمۡمِّنۡحَيۡثُاَخۡرَجُوۡكُمۡ​ وَالۡفِتۡنَةُاَشَدُّمِنَالۡقَتۡلِۚوَلَاتُقٰتِلُوۡهُمۡعِنۡدَالۡمَسۡجِدِالۡحَـرَامِحَتّٰىيُقٰتِلُوۡكُمۡفِيۡهِ​ۚفَاِنۡقٰتَلُوۡكُمۡفَاقۡتُلُوۡهُمۡؕكَذٰلِكَجَزَآءُالۡكٰفِرِيۡنَ

मतलब: और जहां कहीं उनपर क़ाबू पाओ, क़त्ल करो और उन्हें निकालो जहां से उन्होंने तुम्हें निकाला है, इसलिए कि फ़ितना (उपद्रव) क़त्ल से भी बढ़कर गम्भीर है. लेकिन मस्जिदे-हराम (काबा) के निकट तुम उनसे न लड़ो जब तक कि वे स्वयं तुमसे वहां युद्ध न करें. अतः यदि वे तुमसे युद्ध करें तो उन्हें क़त्ल करो - ऐसे इनकारियों का ऐसा ही बदला है.

(इन 26 आयतों का हिंदी अनुवाद Quraninhindi.com से लिया गया है।)

सोमवार, 8 मार्च 2021

भामती

एक बहुत अदभुत घटना मैं आपसे कहता हूं।
वाचस्पति मिश्र का विवाह हुआ। पिता ने आग्रह किया, वाचस्पति की कुछ समझ में न आया; इसलिए उन्होंने हां भर दी। सोचा, पिता कहते है, तो ठीक ही कहते होंगे। वाचस्पति परमात्मा की खोज में लगा था। उसे कुछ और समझ में ही न आता था। कोई कुछ भी बोले, वह परमात्मा की ही बात समझता था। पिता ने वाचस्पति को पूछा, विवाह करोगे? उसने कहा, हां।
उसने शायद सुना होगा, परमात्मा से मिलोगे? जैसा कि हम सब के साथ होता है। जो धन की खोज में लगा है, उससे कहो, धर्म खोजोगे? वह सुनता है, धन खोजोगे? उसने कहा, हां। हमारी जो भीतर खोज होती है, वही हम सुन पाते हैं। वाचस्पति ने सुना और हां भर दी।
फिर जब घोड़े पर बैठ कर ले जाया जाने लगा, तब उसने पूछा, कहां ले जा रहे हैं? उसके पिता ने कहा, पागल, तूने हां भरा था। विवाह करने चल रहे हैं। तो फिर उसने न करना उचित न समझा; क्योंकि जब हां भर ही दी थी और बिना जाने भर दी थी, तो परमात्मा की मर्जी होगी।
वह विवाह करके लौट आया। पत्नी घर में आ गई, लेकिन वाचस्पति को खयाल ही न रहा। रहता भी क्या! न उसने विवाह किया था, न हां भरी थी। वह अपने काम में ही लगा रहा। वह ब्रह्मसूत्र पर एक टीका लिखता था। बारह वर्ष में टीका पूरी हुई। बारह वर्ष तक उसकी पत्नी रोज सांझ दीया जला जाती, रोज सुबह उसके पैरों के पास फूल रख जाती, दोपहर उसकी थाली सरका देती। जब वह भोजन कर लेता, तो चुपचाप पीछे से थाली हटा ले जाती। बारह वर्ष तक पत्नी का वाचस्पति को पता नहीं चला कि वह है। पत्नी ने कोई उपाय ही नहीं किया कि पता चल जाए। बल्कि सब उपाय किए कि कहीं भूल-चूक से पता न चल जाए, जिससे उनके काम में बाधा न पड़े।
बारह वर्ष बाद, जिस पूर्णिमा की रात वाचस्पति का काम आधी रात पूरा हुआ, वाचस्पति उठने लगे, तो उनकी पत्नी ने दीया उठाया--उनको बिस्तर तक राह दिखाने के लिए। बारह वर्ष में पहली दफा वाचस्पति ने अपनी पत्नी का हाथ देखा। क्योंकि बारह वर्ष में पहली दफा काम समाप्त हुआ था। किसी काम से अब मन बंधा नहीं था। हाथ देखा, चूड़ियां देखीं, चूड़ियों की आवाज सुनी। लौट कर पीछे देखा और कहा, स्त्री, इस अंधेरी रात में तू कौन है? कहां से आई? मकान के द्वार बंद हैं, तुझे कहां पहुंचना है, मैं पहुंचा दूं!
उसकी पत्नी ने कहा, आप शायद भूल गए होंगे, बहुत काम था। बारह वर्ष आप काम में थे। सम्भव भी नही है, आपको याद रहे। अगर आपको खयाल आता हो, तो आप मुझे पत्नी की तरह घर ले आए थे। तब से मैं यहीं हूं।
वाचस्पति रोने लगा। उसने कहा, यह तो बहुत देर हो गई। क्योंकि मैंने तो प्रतिज्ञा कर रखी है कि जिस दिन यह ग्रंथ पूरा हो जाएगा, उसी दिन घर का त्याग कर दूंगा। यह तो मेरे जाने का वक्त हो गया। भोर होने के करीब है; मैं तो जा रहा हूं। पागल, तूने पहले क्यों न कहा? तू थोड़ा तो इशारा कर सकती थी। लेकिन अब बहुत देर हो गई।
वाचस्पति की आंखों में आंसू देख कर पत्नी ने उसके चरणों में सिर रखा। उसने कहा, जो भी मुझे मिल सकता था, वह इन आंसुओं में मिल गया। अब मुझे कुछ और चाहिए भी नहीं, आप निश्चिंत जाएं। और मैं क्या पा सकती थी इससे ज्यादा कि वाचस्पति की आंख में मेरे लिए आंसू हैं! बस, मुझे बहुत मिल गया है।
वाचस्पति ने अपने ब्रह्मसूत्र की टीका का नाम भामती रखा। भामती का कोई संबंध टीका से नहीं है। यह उसकी पत्नी का नाम है। यह कह कर कि अब मैं कुछ और तेरे लिए नहीं कर सकता, बेशक मुझे लोग भूल जाएं, तुझे न भूलें, इसलिए अपने ग्रन्थ को मैं भामति नाम देता हूं। वाचस्पति को बहुत लोग भूल गए, लेकिन भामती को भूलना मुश्किल है। भामती को लोग पढ़ते हैं। अदभुत टीका है ब्रह्मसूत्र की।
फेमिनिन मिस्ट्री इस स्त्री के पास होगी। मैं भी मानता हूं कि उस क्षण में इसने वाचस्पति को जितना पा लिया होगा, उतना हजार वर्ष भी चेष्टा करके कोई स्त्री किसी पुरुष को नहीं पा सकती। उस एक क्षण में, वाचस्पति जिस भांति एक हो गया होगा इस स्त्री के हृदय से, वैसा कोई पुरुष को कोई स्त्री कभी नहीं पा सकी होगी।
क्या छुआ होगा वाचस्पति के प्राण को? बारह वर्ष उस स्त्री ने पता भी न चलने दिया कि मैं यहीं हूं। वह रोज दीया उठाती रही, भोजन कराती रही। वाचस्पति ने कहा, तो रोज जो थाली खींच लेता था, वह तू ही थी? रोज सुबह जो फूल रख जाता था, वह तू थी? जिसने रोज दीया जलाया, वह तू ही थी? पर तेरा हाथ मुझे दिखाई नहीं पड़ा!
भामती ने कहा, मेरा हाथ दिखाई पड़ जाता, तो मेरे प्रेम में कमी साबित होती। मैं प्रतीक्षा कर सकती हूं।
तो जरूरी नहीं कि कोई स्त्री स्त्रैण रहस्य को उपलब्ध ही हो। यह तो लाओत्से ने नाम दिया, क्योंकि यह नाम सूचक है और समझाया जा सकता है। पुरुष भी हो सकता है। असल में, अस्तित्व के साथ तादात्म्य उन्हीं का होता है, जो इस भांति प्रार्थनापूर्ण प्रतीक्षा को उपलब्ध होते हैं।
"इस स्त्रैण रहस्यमयी का द्वार स्वर्ग और पृथ्वी का मूल स्रोत है।"
चाहे पदार्थ का हो जन्म, चाहे चेतना का, और चाहे पृथ्वी जन्मे, चाहे स्वर्ग, इस अस्तित्व की गहराई में जो रहस्य छिपा हुआ है, उससे ही सबका जन्म होता है। इसलिए मैंने कहा, जिन्होंने परमात्मा को मदर, मां की तरह देखा, दुर्गा या अंबा की तरह देखा, उनकी समझ परमात्मा को पिता की तरह देखने से ज्यादा गहरी है। अगर परमात्मा कहीं भी है, तो वह स्त्रैण होगा। इतने बड़े जगत को जन्म देने की क्षमता पुरुष में नहीं है। इतने विराट चांदत्तारे जिससे पैदा होते हों, उसके पास गर्भ चाहिए। बिना गर्भ के यह संभव नहीं है।
इसलिए खासकर यहूदी परंपराएं, ज्यूविश परंपराएं--यहूदी, ईसाई और इस्लाम, तीनों ही ज्यूविश परंपराओं का फैलाव हैं--उन्होंने जगत को एक बड़ी भ्रांत धारणा दी, गॉड दि फादर। वह धारणा बड़ी खतरनाक है। पुरुष के मन को तृप्त करती है, क्योंकि पुरुष अपने को परमात्मा के रूप में प्रतिष्ठित पाता है। लेकिन जीवन के सत्य से उस बात का संबंध नहीं है। ज्यादा उचित एक जागतिक मां की धारणा है। पर वह तभी खयाल में आ सकेगी, जब स्त्रैण रहस्य को आप समझ लें, लाओत्से को समझ लें। अन्यथा समझ में न आ सकेगी।

ताओ उपनिषाद--प्रवचन--018
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