शनिवार, 18 जनवरी 2020

गाय vs cow

वैज्ञानिकों ने अब शिद्ध कर दिया है कि यूरोपीयन सूअर का दूध पिने लायक नहीं हैं। इसके दूध से केवल बीमारियाँ पैदा होती हैं। आज लोग जर्सी या हॉलस्टन नस्ल की cow का दूध पी रहे है, जबकि डेनमार्क और स्विटजरलैंड के वैज्ञानिक यह प्रमाणित कर चुके हैं कि जर्सी और हॉलस्टन cow का दूध स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यह कैंसर की रोकथाम नहीं करता बल्कि कैंसर की बीमारी पैदा करता हैं। जर्सी या अमेरिकन cow भारतीय गाय का स्थान नहीं ले सकती। 
🐄यह गाय नहीं होती बल्कि गाय जैसा ही एक प्राणी है जिसे लोगों ने गाय का नाम दे दिया है। फ्रांस के जंगलों में 🐷जुरास नाम के पशु के डीएनए के साथ छेड़छाड़ करके ज्यादा दूध प्राप्त करने के उद्देश्य से जर्सी गाय नामक प्राणी की उत्पत्ति की गई। अंग्रेजों ने भारतीय संस्कृति में गाय माता के महत्व को देखकर ईष्र्यावश जर्सी का प्रचार-प्रसार कर डाला और आज तक लोग जर्सी को प्राथमिकता दे रहे है।
  • विदशों में विदेशी गाय उसके मांस (बीफ) के लिए पाली जाती है और दूध उसका गौढ़ उत्पाद है। अतः विदेशों में विदेशी गऊ वंश की उपयोगिता दूध पर से समाप्त या कम होते ही उसका मांस प्राप्त एवं उपयोग कर लिया जाता है। अध्ययन से पता चलता है कि विदेशों में गौ पालन फार्म्स की 90 प्रतिशत से अधिक आमदनी बीफ के द्वारा होती है जबकि देशी गाय को बीफ के लिए पाला जाना भारतवर्ष में असंभव है। अतः यह विचारणीय प्रश्न है कि गौ हत्या बंदी में विदेशी गाय को शामिल न किया जाये केवल देशी गौ हत्या बंदी हो। यह विदेश की स्थिति व देश की स्थिति की विडम्बना है कि देश के सिकुड़ते हुए संसाधनों में विदेशी गाय देशी गाय का हिस्सा ले इससे उलट विदेशी गाय का स्वभाविक प्रयोग जो विदेशों में होता है, बीफ के लिए किया जाये।

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